Book Title: Jainology Parichaya 04
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 9
________________ उपरोक्त दोनों वृतान्तों से जाहिर होता है कि ईसवी की पहली शताब्दी में ये दोनों पन्थ अपनी अलग-अलग मान्यताएँ प्रस्थापित कर चुके थे । दक्षिण में याने कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश में दिगम्बर सम्प्रदाय का सुदृढ केंद्र बना श्वेताम्बर-दिगम्बर सम्प्रदायों में तात्त्विक एवं सैद्धान्तिक मूलगामी मतभेद नहीं दिखायी देते । षड्द्रव्य, उनमें से पाँच अस्तिकाय, जीव-अजीव आदि सात या नौ तत्त्व, कर्मसिद्धान्त, गुणस्थान, पाँच महाव्रत, अनेकान्तवाद, अहिंसा एवं तप की प्रधानता - आदि सभी महत्त्वपूर्ण बातें दोनों सम्प्रदायों को पूर्णत: मान्य है । जो भी आचारविषयक तथा अन्य मतभेद हैं वे निम्नलिखित प्रकार से हैं - दिगम्बर १) संपूर्ण अपरिग्रही होने के लिए 'नग्नता' आवश्यक। २) स्त्रियों को स्त्रीजन्म में 'मोक्ष' नहीं। ३) भ. महावीर की अर्धमागधी वाणी व्युच्छिन्न श्वेताम्बर १) 'वस्त्रधारी' भी संपूर्ण 'अपरिग्रही' हो सकते हैं । २) उचित आध्यात्मिक विकास होने से, स्त्री-पुरुषनपुंसक कोई भी, उसी जन्म में 'मोक्षगामी' हो सकता है। ३) आज उपलब्ध ४५ या ३२ अर्धमागधी ग्रन्थ महावीर वाणी है। ४) भ. महावीर देवानन्दा ब्राह्मणी के गर्भ से त्रिशला क्षत्रियाणी के गर्भ में प्रविष्ट हए । वे विवाहित थे। उनकी एक कन्या एवं जमाई भी थे । ५) श्वेताम्बर साधु 'रजोहरणी', मुखपट्टिका और ‘पात्र' रखते हैं। पात्र में भोजन करते हैं। ४) भ. महावीर त्रिशला क्षत्रियाणी के पुत्र थे । वे आजन्म ब्रह्मचारी थे। ५) दिगम्बर साधु ‘मयूरपिंछी' और कमण्डलु रखते हैं । हाथ में भोजन करते हैं। ६) तीर्थंकर-मूर्तियाँ पूर्ण नग्न एवं ध्यानमुद्रा में होती ६) तीर्थंकर-मूर्तियाँ वस्त्र-अलंकार-नेत्रसहित होती ७) उन्नीसवें तीर्थंकर 'मल्ली', पुरुष थे । ८) केवलज्ञानी भोजन नहीं करते एवं निद्रा नहीं लेते। ७) उन्नीसवीं तीर्थंकर ‘मल्ली', स्त्री थी। ८) केवलज्ञानी को भी भोजन और निद्रा की आवश्यकता होती है। श्वेताम्बर - दिगम्बर उपसम्प्रदाय (१) श्वेताम्बरियों के मुख्य उपसम्प्रदाय निम्नानुसारी हैं - अ) मूर्तिपूजक या मंदिरमार्गी ब) स्थानकवासी क) तेरापन्थी (२) दिगम्बरियों के मुख्य उपसम्प्रदाय निम्नानुसारी हैं - अ) बीसपन्थी ब) तेरापन्थी क) तारणपन्थी ड) गुम्मनपन्थी, कांजीस्वामीपन्थी इत्यादि ।

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