Book Title: Jainology Parichaya 04
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 14
________________ ४. अट्टपाहुड- सार - प्रश्नसंच शिक्षिकाओं के लिए विशेष सूचना : * ‘अट्टपाहुड-सार’ किताब के आखरी भाग में दिया हुआ प्रश्नसंच न देखें । * जैनॉलॉजी - परिचय ( ४ ) इस किताब में दिया हुआ प्रश्नसंच ही देखें । * ‘अट्टपाहुड-सार’ किताब की प्रस्तावना और प्रत्येक पाहुड के प्रारंभ मे दी हुई प्रस्तावना लक्षपूर्वक पढें और पढाएँ । * यद्यपि परीक्षा में गाथाओं के आधारपर प्रश्न नहीं दिये हैं तथापि शिक्षिका, कथा में सभी गाथा पढकर उनका भावार्थ समझाएँ । * प्राकृत के प्राथमिक व्याकरण की रिव्हिजन शिक्षिका हर क्लास में करायें । * जैनदर्शन के पारिभाषिक संज्ञाओं की रिव्हिजन भी करायें । अ) अट्ठपाहुड की निम्नलिखित गाथाएँ कंठस्थ करके शुद्ध रूप में अर्थसहित लिखिए । १) दंसणभट्टा भट्टा दंसणभट्ठस्स णत्थि णिव्वाणं । सिज्झंति चरियभट्ठा दंसणभट्ठा ण सिज्झति ।। (दंसणपाहुड गा. ३) २) साहंति जं महल्ला आयरियं जं महल्लपुव्वेहिं । जं च महल्लाणि तदो महव्वया इत्तहे ताई ।। (चारित्तपाहुड गा. ३०) ३) सुत्तं हि जाणमाणो भवस्स भवणासणं च सो कुणदि । सूई जहा असुत्ता णासदि सुत्ते सहा णो वि ।। (सुत्तपाहुड गा. ३) ४) धम्मो दयाविसुद्धो पव्वज्जा सव्वसंगपरिचत्ता । देवो ववगयमोहो उदयकरो भव्वजीवाणं ।। (बोहपाहुड गा. २५) ५) तित्थयरभासियत्थं गणहरदेवेहिं गंथियं सम्मं । भावहि अणुदिणु अतुलं विसुद्धभावेण सुयणाणं ।। (भावपाहुड गा. ९० ) ६) अरुहा सिद्धायरिया उज्झाया साहु पंचपरमेट्ठी । ते वि हु चिट्ठदि आदे तम्हा आदा हु मे सरणं ।। (मोक्खपाहुड गा. १०४) ब) एक-दो वाक्यों में वस्तुनिष्ठ जवाब लिखिए । ('अट्टपाहुड-सार' किताब की प्रस्तावना पर आधारित प्रश्न) १) दिगम्बर परम्परा में भ. महावीर और गौतम गणधर के बाद किनका नाम लिया जाता है ? २) परम्परा अनुसार आ. कुन्दकुन्द ने कितने पाहुडों की रचना की थी ? अब उनमें से कितने पाहुड उपलब्ध हैं ? ३) 'पाहुड' शब्द का संस्कृत रूपांतरित शब्द कौनसा है ? उसका अर्थ क्या ? ४) यह ग्रन्थरूपी पाथेय कौनसे व्यक्ति के लिए उपयुक्त है ?

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