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(ब) बीओ पाढो मूढा किसीवल - कन्ना (मूर्ख कृषीवल - कन्या)
* विसालाए नयरीए का वि किसीवल-कन्ना परिवसइ । सा अईव रूववई, किंतु मूढा । अहं सव्वसेटुं पई लहामि इइ तीए संकप्पो । अह अन्नया विसालाहिवो गयं आरोहिऊण भमणत्थं गओ आसी । तं पासिऊण सा कुमारी 'अयं मे पई होऊं जोग्गो' त्ति चिंतिऊण तं अणुगया । तओ सो नरवई कं पि जोईसरंदठूण गयाओ ओयरित्ता तं नमित्था वंदित्था य । सा कुमारी तं जोईसरं पासित्ता 'अयं निवाओ सेट्ठो' त्ति नाऊण तं अणुसरिया । अह सो जोईसरो कं चि देवउलं पविटो । तत्थ देवं सिरसा नमिऊण गओ । एयं आलोएऊण एस देवो मुणीओ उत्तमो त्तिचिंतेत्ताण सा तत्थेव ठिया । अणंतर को वि साणो नियसामिणा सह तं देवउलं आगओ । तुरियं देवपीढस्स उवरिं आरोहिओ । एयंपासित्ता सा मूढा ‘किं साणो देवेण समाणो' त्ति चिंतेइ । एत्थंतरम्मि सो साणो देवउलाओ निग्गओ, निय-सामिस्स समीवगंतूण पाएसु पडिओ । अंते य तीए कुमारीए किसीवल-जुवाणो सव्वसेट्ठो' त्ति नच्चा तेण सह विवाहो कओ ।
प्रस्तावना : यह पाठ पूर्वकालवाचक धातुसाधित अव्ययों का उपयोग समझाने के लिए दिया है। परीक्षा में पाठ के वाक्य तथा भाषांतर नहीं पूछा जायेगा।
मूर्ख कृषीवल-कन्या (हिन्दी अनुवाद) 'विशाला' नामक नगरी में कोई एक किसान की कन्या रहती थी । वह अतिशय रूपवती थी लेकिन मूर्ख थी । 'मैं सर्वश्रेष्ठ पति प्राप्त करूँगी', ऐसा उसने संकल्प किया था । एक बार विशाला नगरी का राजा हाथीपर आरूढ होकर, भ्रमण करने के लिए गया था । उसको देखकर उस कुमारी ने, 'यही मेरा पति होने के लिए योग्य है ऐसा विचार करके, उसके पीछे पीछे गई । उसके बाद उस नरपति (राजा) ने किसी योगीश्वर को देखकर, हाथीपर से वरकर, उनको नमन और वंदन किया । कुमारी ने उस योगीश्वर को देखकर, 'यह योगी, राजा (नृप) से श्रेष्ठ है', ऐसा मकर, उसका अनुसरण किया । वह योगीश्वर किसी मंदिर में प्रविष्ट हुआ । वहाँ (अर्थात् मंदिर में) भगवान को मत्था टेक्कर नमन करके गया । यह देखकर, 'यह देव मुनि से उत्तम है', ऐसा विचार करके, वह (कुमारी) वहीं (उसी मंदिर में) ठहरी । अनंतर कोई एक श्वान (कुत्ता) अपने स्वामी के साथ उसी मंदिर में आया । तुरंत देव के उच्चासन पर आरूढ हुआ । यह (दृश्य) देखकर, वह मूर्ख लडकी ‘क्या कुत्ता देव के समान है ?', ऐसा विचार करने लगी। इतने में वह कुत्ता मंदिर से निकला, अपने स्वामी के नजदीक जाकर, पैरों पर गिरा (पडा) । अंतिमत: (अंत में) उस कुमारी ने किसान युवक ही सर्वश्रेष्ठ है', ऐसा जानकर, उसके साथ विवाह किया।
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स्वाध्याय १) प्राकृत पाठ में आये हुए पूर्वकालवाचक धातुसाधित अव्ययों का संग्रह कीजिए । उनका अर्थ भी लिखिए । २) रूप पहचानिए' इस प्रश्न में परीक्षा में पू.का.धा.अ. के रूप भी पूछे जाएँगे । वे इस प्रकार लिखने होंगे -
पासिऊण - धातु 'पास' - पू.का.धा.अ.