Book Title: Jainology Parichaya 04
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 27
________________ १६) भारहे बहुजणा गामंमि वसंति । भारत में बहुत लोग गाँव में बसते हैं । १७) रायपुरिसो चोरं हणइ । राजपुरुष (सिपाही) चोर को मारता है । प्राकृत में कुछ अकारान्त क्रियापद, 'ए' स्वर जोड के प्रयुक्त किये जाते हैं । जैसे - कर - करेमि । किन क्रियापदों को 'ए' जोडना है, इसके बारे में रूढी ही प्रमाण मानी जाती है । उदाहरण के तौरपर 'कर' के समान होनेवाले क्रियापद नीचे दिये हैं। क्रियापद : कर (करे) (करना) पुरुष एकवचन अनेकवचन प्रथम पुरुष (अहं) करेमि । (अम्हे, वयं) करेमो । द्वितीय पुरुष (तुमं) करेसि । (तुम्हे) करेह । तृतीय पुरुष (सो) करेइ । (ते) करेंति । निम्नलिखित क्रियापद कर (करे) क्रियापद के समान उपयोजित किये जाते हैं - कह (कहना), गण (गणना करना), वण्ण (वर्णन करना), साह (कहना), लज्ज (लज्जित होना), अच्च (अर्चना करना), उड्ड (उडना), चोर (चोरी करना), दंड (दण्डित करना), आहार (आहार करना), निमंत (निमंत्रण करना), पाड (पाडना), मार (मारना), चिंत (चिन्तन करना) प्रश्न : निम्नलिखित प्राकृत वाक्यों का क्रियापद, पुरुष और वचन पहचानिए । १) तुम सव्वया सच्चं कहेह । तुम सर्वदा सच कहते हो । उदा. क्रियापद कह' - द्वितीय पुरुष, एकवचन २) बालियाओ पुप्फाइं गणेति । बालिकाएँ फूलोंकी गिनती करती हैं । ३) समणो महावीरचरियं वण्णेइ । श्रमण महावीरचरित्र का वर्णन करता है। ४) जणणी हियं साहेइ । जननी हित का कथन करती है। ५) अहं दुच्चरियाओ लज्जेमि । मैं दुश्चरित्र से लज्जित होती हूँ ।

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