Book Title: Jainology Parichaya 04
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune
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भविष्यकाल में प्रयुक्त करने के लिए कुछ क्रियापद और उनके अर्थ -
जंप (बोलना), हस (हँसना), नच्च (नाचना), भुंज (भोजन करना), तर (तरना), मुंच (छोडना), दे (देना), हो (होना), खा (खाना), गिल (गिलना), लह (प्राप्त होना), वरिस (वर्षाव करना), पेक्ख (देखना), विहर (विहार करना), पविस (प्रवेश करना), हर (हरना, ले जाना), सोह (शोभना), वट्ट (होना), विहूस (विभूषित करना), पयास (प्रकाशित करना), रोव (रोना), छिंद (तोडना)
प्रश्न : निम्नलिखित प्राकृत वाक्यों का क्रियापद, पुरुष और वचन पहचानिए ।
१) अहं सच्चं जंपिस्सामि । ___ मैं सत्य बोलूँगा। उदा. क्रियापद ‘जप' - प्रथमपुरुष, एकवचन
२) नट्ट पेक्खिऊण अम्हे हस्सिस्सामो ।
नाटक देखकर हम हसेंगे ।
३) तुमं मज्झण्हे किं भुंजिस्ससि ?
तुम दोपहर में क्या खाओगी ?
४) तुम्हे कल्लं समुदं तरिस्सह ।
तुम सब कल समुद्र को तरोगे/पार करोगे ।
५) असोगो सोगं मुंचिस्सइ ।
अशोक शोक को छोडेगा ।
६) अहं सव्व जीवाणं अभयं देइहिमि ।
मैं सब जीवों को अभय दूंगा ।
७) थेरी भणइ, 'हे रक्खस ! तुमं मं कल्लं खाइहिसि ।'
बूढी बोली, 'हे राक्षस ! तुम मुझे कल खाओगे ।'
८) तुम्हे लहुं लहुं ओयणं गिलिहिह ।
तुम सब जल्दी जल्दी चावल गिलो ।
९) समणो मोक्खं लहिहिइ ।
श्रमण मोक्ख प्राप्त करेगा ।
१०) जलहरा विउलं जलं वरिसिहिति ।
मेघ विपुल जल बरसेंगे ।

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