Book Title: Jaindharmvarstotra Godhulikarth Sabhachamatkareti Krutitritayam
Author(s): Hiralal R Kapadia
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text ________________ चित्कोस बहुल लिखावीया जेणे भाविया हो सूक्ष्म नयभंग ते गूरुना सूप्रसादथि विद्या वासीत हो मुज गति सुरंग शी० 13 श्रीमहिमाप्रभ सूरीना पट्टधारी हो भावप्रभसूरीस रास रचो( च्यो )रलीयामणो सांभलितां हो लहिइं सूजगीस शी० 14 संवत नव नव घोडलो चंद्र समीत हो जांणो नरह सूंजांण मगसीर सूंद दिन बीजडी गूरुवारें हो सूंदर खूषखांण शी० 15 अणहिल्लपुर पाटणे ढंढेरवाडें हो वसति सूविसाल दियें मनोहर देहरां पेषतां हो जाइ पापनी जाल शी० 16 . तिहां ए रास रच्यो भलो मति सासू हो आंणी नुतन ढाल बुद्धिलसति विमला तणो मीतो रुडो हो संबंध रसाल शी० 17 विजें षडे सोलमी पुरण थइ हो एह सुंदर ढाल * श्रीभावप्रभसूरी कहें सांभलतां हो होई मंगलमाल शी० 18" श्रीललितप्रभसूरिशेखरैः १६४८तमे वैक्रमीये वर्षे आश्विनशक्लचतुर्थ्यां रविवासरे निर्मितायाः ‘पाटणचैत्यपरिपाटे:' ग्रशस्तिना ज्ञायते विशेषोऽयम् अतः सङ्कल्यते पट्टपरम्परा यथा श्रीभुवनप्रभसूरयः श्रीकमलप्रभसूरयः श्रीपुण्यप्रभसूरयः श्रीविद्याप्रभसूरयः श्रीललितप्रभसूरयः श्रीविनयप्रभसूरयः श्रीमहिमाप्रभसूरयः श्रीभावप्रभसूरयः
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