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दसमझयणं
दसमज्झयणं
स-भिक्खु निक्खम्ममाणाए . वुद्धवयणे
__निच्चं चित्तसमाहिओ हवेज्जा। इत्थीण वसं न यावि गच्छे
बंतं नो पडियायई जे स भिक्ख ॥ १ ॥
पुढवि न खणे न खणावए
सीओदगं न पिए न पियावए। अगणिसत्थं जहा . सुनिसियं
- तं न जले न जलावए जे स भिक्खू ।। २ ।।
अनिलेण न वीए न वीयावए
हरियाणि न छिदे न छिदावए। वीयाणि सया विवज्जयंतो
सच्चित्तं नाहारए जे स भिक्खू ॥ ३॥ वहणं तसथावराण होइ
पुढवितणकट्ठनिस्सियाणं . । तम्हा उद्देसियं न भुजे
नो वि पए न पयावए जे स भिक्खू ॥ ४ ॥ रोइय नायपुत्तवयणे
अत्तसमे मन्नेज्ज छप्पि काए। - पंच य फासे महव्वयाई
. पंचासवसंवरे जे स भिक्खू ॥५॥