Book Title: Jainagam Pathmala
Author(s): Akhileshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
View full book text
________________
३३२
सेत्तं मूलपढमाणुओगे । से किं तं गंडियाणुओगे ?
गंडियाणुओगे कुलगरगंडियाओ, तित्थय रगंडियाओ, चक्कवट्टिगंडियाओ, वासुदेवगंडियाओ, गणधरगंडियाओ, भद्द्वाहुगंडियाओ, तवोकम्मगंडियाओ, हरिवंसगंडियाओ, उस्सप्पिणी गंडियाओ, ओसप्पिणीगंडियाओ, चित्तंतरगंडियाओ,
अमर-नर- तिरिय निरय गइ-गमण- विविहपरियट्टणाणुओगेसु एवमाइयाओ गंडियाओ आघविज्जंति, पण्णविज्जंति ।
सेत्तं गंडियाणुओगे | से त्तं अणुओगे ।
से कि त चूलियाओ ?
चूलियाओ - आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलिआ, सेसाई पुव्वाई अचूलियाई । से त्तं चूलियाओ ।
दिट्टिवायरस णं परित्ता वायणा,
संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ |
नवो-सुत्तं
से णं अंगट्टयाए वारसमे अंगे, एगे सुयक्बंधे, चोट्सपुव्वाई, संखेज्जा वत्थू, संखेज्जा चूलवत्थू,

Page Navigation
1 ... 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383