Book Title: Jain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 8
________________ हृदयार्पण जिनके उल्लेख एवं आलेखों से मिला स्वर्णिम सहयोग। जिनकी कृतियों से जुड़ा __ तत्त्व चिंतन में मनोयोग ।। जिनके जीवन मंथन से पाया ज्ञान नवनीत । जिनके पुनीत मार्ग पर चलकर लगी जिन वाणी से प्रीत ।। सेसे आगम आलोडक, तत्त्व विचारक, श्रुत संवर्धक ज्ञान गगनांगण के दिव्य दिवाकर समस्त ग्रन्थकारों को सादर समर्पित । AVevo

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