Book Title: Jain Tark Bhasha
Author(s): Ishwarchandra Sharma, Ratnabhushanvijay, Hembhushanvijay
Publisher: Girish H Bhansali

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Page 5
________________ क्रमांक १ २ ७ ८ १० ११ १२ १३ १.४ १५ १६ विषयानुक्रमणिका विषय प्रकाशक का निवेदन भूमिका आरम्भिक निवेदन यशोविजय वाचकाष्टक प्रस्तावना शुद्धि पत्रक : प्रमाण के दो भेदों का निरूपण प्रत्यक्ष के दो भेदों का निरूपण प्रमाण परिच्छेद प्रमाण का सामान्य क्षण अर्थप्रण शक्तिरूप प्रमाण लक्षण का निराकरण पृष्ठांक १ १ से ४०८ १ २१ २७ ३६ ४२ सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष के दो भेदों का स्वरूप मतिज्ञान के भेदों का स्वरूप की अवाप्यकारिता अर्थावग्रह का निरूपण ईहा, अपाय और धारणा का स्वरूप मति ज्ञान के भेद-ममेद ११ २२ २३ ३५ ४६ व्यञ्जनावग्रह के चार भेद और मन और चक्षु ५२ ११.

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