Book Title: Jain Sukta Sandoha
Author(s): Kailassagarsuri
Publisher: Kailas Kanchan Bhavsagar Shraman Sangh Seva Trust Mumbai

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Page 6
________________ Shi Mahavir Jain Aradhana Kendis जैन सूक्त ० ॥ ४ ॥ विषयानुक्रमः २४ ब्रह्मचर्यम् २५ २६ परिग्रहम् २७ अब्रह्मचर्यम् पञ्च महाव्रतभावनाः २८ रात्रिभोजनम् २९ अशुभध्यानम् ३० धर्मध्यानम् ३१ वीतरागसुखम् ३२ मोक्षसाधनानि ३३ श्राचकधर्मः ३४ दिशापरिमाणम् ३५ भोगोपभोगविरमणम् ३६ अभक्ष्यत्यागः ३७ पञ्चदशकर्मादानानि श्लोकसङ्ख्या १३ १४ १० ८ ७ ३ ८ ४ ११ १४ ३ . ५ २ www.kobatirth.org. पत्राङ्कम् विषयानुक्रमः १६ ३८ अनर्थदंड विरमणव्रतम् १७-१ ३९ सामायिकत्रतम् १७ ४० देशावगाशिकव्रतम् ४१ पोषधव्रतम् १८-१ १८ १८ १९-१ १९ १९ २० २० ४२ उपवासः ४३ पर्वतिथिः ४४ पर्वाराधनम् ४५ अतिथिसंविभागवतम् ४६ अनित्यभावना ४७ अशरणभावना ४८ संसारभावना ४९ २० २० २१-१ For Private And Personal Use Only एकत्व भावना अन्यत्वभावना ५१ अशुचित्वभावना ५० श्लोकसङ्ख्या ३ ९ २ ४ ४ ४ २ २ १३ ५ १३ MG 6 ७ पत्राङ्कम् २१-१ २१ २१ २१ २१ २२-१ २२-१ २२ २२ २३-१ २३ २४-१ २४ २४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ****** अनुक्रम णिका ॥ ४ ॥

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