Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 5
________________ [३] दो शब्द श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह के सातवें भाग की द्वितीयावृत्ति पाठकों के सामने प्रस्तुत है। इसकी प्रथमावृत्ति संवत् २००० में प्रकाशित हुई थी। पाठकों को यह बहुत पसन्द आई । इसलिए थोड़े ही समय में इसकी सारी प्रतियां समाप्त हो गई। इस ग्रन्थ की उपयोगिता के कारण इसके प्रति जनता कि रुचि इतनी बढ़ी कि हमारे पास इसकी मांग वरावर आने लगी। जनता की मांग को देख कर हमारी भी यह इच्छा हुई कि इसकी द्वितीयावृत्ति शीघ्र ही छपाई जाय किन्तु प्रेस की असुविधा के कारण इसके प्रकाशन में विलम्ब हुआ है। फिर भी हमारा प्रयत्न चालू था। आज हम अपने प्रयत्न में सफल हुए हैं। अतः इसकी द्वितीयावृत्ति पाठकों के सामने रखते हुए हमें आनन्द होता है। __ प्रमाण के लिये उद्धृत ग्रन्थों की सूची प्रायः इसके भाग १ से ५ और भाग के अनुसार है। और बोलों के नीचे सूत्र और ग्रन्थ का नाम प्रमाण के लिये दिया हुआ भी है। बोल संग्रह पर विद्वानों की सम्मतियों प्राप्त हुई है। वे भी कागज की कमी के कारण इस मे नहीं दी जा सकी हैं। 'पुस्तक शुद्ध छपे इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है फिर भी दृष्टिदोष से तथा :स कर्मचारियों की असावधानी से छपते समय कुल अंशुद्धियां रह गई हैं इसके लिए पुस्तक में शुद्धिपत्र लगा दिया गया है। अतः पहले उसके अनुसार पुस्तक सुधार कर फिर पढ़े। इनके सिवाय यदि कोई अशुद्धि आपके ध्यान में आवे तो हमें सूचित करने की कृपा करें ताकि आगामी आवृत्ति में सुधार कर दिया जाय । वर्तमान समय में कागज, छपाई और अन्य सारा सामान महंगा होने के कारण इस द्वितीयावृत्ति की कीमत बढ़ानी पड़ी है। निवेदक:-- मन्त्री श्री अगरचन्द भैरोदान सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था बीकानेर

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