Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 4
________________ [२] आभार प्रदर्शन श्रीमान् जैनाचार्य पूज्य श्री १००७ श्री गणेशीलालजी महाराज साहब ने महती कृपा फरमाकर, हमारी प्रार्थना से इस भाग के कतिपय बोल सुनने की कृपा की है। आपकी अमूल्य सूचनाओं से हमें विशेप ज्ञान लाभ हुआ है । अतएव हम पूज्य श्री का परम उपकार मानते हैं। श्रीमान् मुनि श्री १००७ श्री बडे चाँदमलजी महाराज साहब श्रीघासीलालजी महाराज साहव तथा अन्य मुनिवरों ने भी कई एक बोल सुनने की कृपा की है । बोलों के सम्बन्ध में आप श्रीमानों ने भी हमें अमूल्य सूचनाएं देकर अनुगृहीत किया है । अतएव आप श्रीमानों के प्रति भी यह समिति कृतज्ञता प्रकाश करती है। आप मुनिवरों की कृपा का यह फल है कि हम पुस्तक को विशेष उपयोगी एवं प्रामाणिक बना सके हैं। निवेदक-पुस्तक प्रकाशन समिति (द्वितीयावृत्ति के सम्बन्ध में) शास्त्रमर्मज्ञ पंडित मुनि श्री पन्नालालजी म. सा. ने इस भाग का दुवारा सूक्ष्मनिरीक्षण करके संशोधन योग्य स्थलों के लिये उचित परामर्श दिया है । अतः हम आपके आभारी हैं। वयोवृद्ध मुनि श्री सुजानमलजी म. सा. के सुशिष्य पं० मुनिश्री लक्ष्मीचन्दजी म. सा ने इसकी प्रथमावृति की छपी हुई पुस्तक का आदयोपान्त उपयोग पूर्वक अवलोकन करके कितनेक शंका स्थलों के लिये सूचना की थी। उनका यथास्थान संशोधन कर दिया गया है। अतः हम उक्त मुनि श्री के आभारी हैं। इसके सिवाय जिन २ सज्जनों ने आवश्यक संशोधन कराये और पुस्तक को उपयोगी बनाने के लिये समय समय पर अपनी शुभ सम्मतियाँ प्रदान की हैं उन सब का हम आभार मानते हैं। __ इसके अतिरिक्त इस ग्रन्थ के प्रणयन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे जिन जिन विद्वानों की सम्मतियों और ग्रन्थ कर्ताओं की पुस्तकों से लाभ हुआ है उनके प्रति मैं विनम्र भाव से कृतज्ञ हूँ। ऊन प्रेस बीकानेर निवेदक-भैरोदान सेठिया

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