Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 04 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 8
________________ दूसरा मोक्षमार्ग साततत्त्वो का स्वरूप मिथ्यात्व का स्वरूप पाँच समवाय का स्वरूप तीसरा जीव के असाधारण पांच भावो का वर्णन पांच भावो का क्रम क्या है मीपशमिक भाव का स्वरूप क्षायिक भाव का स्वरूप क्षयोपशमिक भाव का स्वरूप मोदयिक भाव का स्वरूप पारिणामिक भाव का स्वरूप पाँच भाव क्या बताते हैं । चौथा मोक्षमार्ग सम्बन्धी प्रश्नोत्तर पांचवा पचाध्यायी पर प्रश्नोत्तर १-१६६ १-६४ ६५-~१०८ १०६-१६६ १-२२१ १-११ १२-१६ १७-२१ २२-२६ २७-४५. ४६-४६ ५०-२२१ १-७३Page Navigation
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