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જૈન આગમ સાહિત્ય १७ आसीविस भावणा। १८ दिट्ठीविसभावणा। १९ दिट्ठिवायनामंग। २० सर्वश्रुत ।
प्रश्नव्याकरणका अन्वेषण-अंग ग्रंथोंमें प्राचीन प्रश्नव्याकरण अप्रकाशित है और वर्तमानसे भिन्न होना चाहिये। पाटणके भंडारोंमें इससे भिन्न असली प्रश्नव्याकरण उपलब्ध होनेका सुना गया है। यदि हो तो सर्व प्रथम उसे प्रकाशित करके अंगभूत मानना चाहिये। कई ग्रंथ असली नहीं मिलते तब नकली बनाकर कई लोग उसे असली प्रमाणित करनेका प्रयत्न करते हैं, जैसे विवाहचूलिकाके स्थान पर स्थानकवासी समाजको ओरसे विवाहचूलिका नामक नवीन ग्रंथ छपा है।
नंदीसूत्र और आगमसंख्या-नंदीरचना के समय आगमसाहित्य बडा अस्तव्यस्त हो गया था, फिरभी उसमें निम्न रूपसे आगमोंके नाम पाये जाते हैं:
अंगप्रविष्ट
अंगबाद्य
आवश्यक (छे भेद)
आवश्यकातिरिक्त
कालिक (३१ भेद) उत्कालिक (२९ भेद) अंगप्रविष्ट--१ आयारो, २ सुयगडो, ३ ठाणं, ४ समवाओ, ५ विवाहपन्नत्ति, ६ नायाधम्मकहाओ, ७ उवासगदसाओ, ८ अंतगडदसाओ, ९ अणुत्तरोववाइ अदसाओ, १० पण्हावागरण, ११ विवागसु: १२ दिदिवा। ___ आवश्यक-१ सामाइयं, २ चउबीसत्यवो, ३ बंदणगं, ४ पडिक्कमण, ५ काउस्सग्गो, ६ पञ्चक्खाणं ।
कालिक-१ उत्तरज्झयणाई, २ दसाओ, ३ कप्पो, ४ ववहारो, ५ निसीहं, ६ महानिसीहं, ७ इसिभासि आई, ८ जंबूदीवपन्नत्ती, ९ दीवसागरपन्नती, १० चंदपन्नत्ती, ११ खुड्डि आविमाणपत्रिमत्ती, १२ महल्लि भाषिमाणपविभत्ती, १३ अंगचूलिआ, १४ वग्गलिआ, १५ विवाहचूलिआ, १६ अरुणोयवाए, १७ वरुणोववाए, १८ गहलोववाप, १९ धरणोववार, २० वेसमणोषवाए, २१ वेलंधरोववार, २२ देविंदोववाए, २३ उट्ठाणसुए, २४ समुट्ठाणसुप, २५ वागपरिआवणिआओ, २६ निरयावलिआओ, २७ कप्पिआओ, २८ कप्पवडिसिआओ, २९ पुप्फिआओ, ३० पुप्फचूलिआओ, ३१ वहीदसाओ.
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