Book Title: Jain Sanskrutik Chetna
Author(s): Pushpalata Jain
Publisher: Sanmati Vidyapith Nagpur

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Page 111
________________ iM माये कि प्रति को उपेबिल पर दमित रखा जाना मानो wet औरत है। बन रन की सार्वभौमिकता मारी विकास में बाधक नहीं हो सकती ऐ मेरी मान्यता है। बंग इतिहास के संदर्भ में भी यदि बात की जाये तो स्पष्ट हो जायेगा किनापायों ने नारी की बनषोर निम्बा और उसे बर्माचरण में कठोर पाया भले ही माना हो पर समाज में उसकी स्थिति उज्ज्वल से उज्यसतर होती गई है। सभी मामानों को अनन्त चतुष्टय युक्त मानकर नारी को सर्वप्रथम बम बर्मन में ही यह कहकर सब किया है कि तुम्हारी मारमा में भी मनन्त भक्ति बम-बान पारित की है जो तुम्हारे जीवन को स्वावलम्बी और सुखी बना सकती है। भावसकता इतनी ही है कि हमें पब इस शक्ति का प्राभास हो पाना चाहिए । जब तक नारी स्वयं इसका माभास न कर ले, उसका विकास सम्भव नहीं । उसे अब किसी के मुंह की पोर देखने की प्रावश्यकता नही । उसे स्वयं ही इस बात का निर्णय करना है कि वह किन साधनो से प्रारमविकास कर सकती है और फिन साधनों से अपनी प्रतिभा पौर शक्ति को समाज के विकास में सपा सकती है। प्रथम बात तो यह है कि उसे यह मानकर चलना होगा कि वह परिवार का एक महत्वपूर्ण घटक है । उसे सामंजस्य और सहिष्णुतापूर्वक परिवार के सभी सदस्यों को लेकर पारिवारिक समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए । दूसरी बात यह है कि परिवार के विकास में उसे स्वयं को भी उत्तरदायी समझना होगा। ये दोनों तस्व एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। परिवार का महत्वपूर्ण घटक ही परिवार के विकास का उत्तरदायी रहता है। परिवार व्यक्ति का सीमित समूह है मार परिवारों का समूह एक समाज है । यष्टि से समष्टि भोर समष्टि से यष्टि गुला हुया है । भर्षनारीश्वर की कल्पना नारी के महत्व की पौर स्पष्ट रूप से वित करती है। चैन बम बहस्य धर्म में भ्यायोपार्जन को एक मावस्यक तत्व मानता है। पाक के समय में एक माना गया है। शोषण की रति इस सत्व से दूर हो जाती है और समता भाप की जाति लाने में सहायक बनती है। भाष के बीवन का केंदरम भ्रष्टाचार भी इससे समाप्त हो जाता है। अपने जीवन को कम से कम परिणही बनायें जिससे उनके भावों में विभुतिया सके मितव्यषिता का निशान्त भी इसी सिडांत से जुड़ा हमा है। परिवार को सुव्यवस्थित रखने के लिए इस निमत से पिमुखमा भी नहीं जा सकता। दुर्भसनों से मुक्त रहकर धर्म साधना करना औ ल्याचार का पुनीसग है। हम जानते है कि पूर्व बड़ा और मन पान से कितने परिवार परवानी की कमार पर पांच बाते हैं। ऐसे परिवारों का नितमी समतापूर्वक नारी विमान से बना सकती नहीं।

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