Book Title: Jain Sanskrutik Chetna
Author(s): Pushpalata Jain
Publisher: Sanmati Vidyapith Nagpur

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Page 132
________________ 4 ताब की हंसी है प्रदे दुष्परिणाम जितना की मानवता कति' होने से नहीं बच पाती । इसका महिला को भोगना पड़ता है उतना मोर दूसरे को नहीं। जीवन के इस कैन्सर को बड़े साहस, धैर्य मौर विवेक से समाप्त करना होगा । कान्ति करनी होगी । हृदय परिवर्तन करना होगा । शिक्षा के प्रचार-प्रसार से इस प्रकार की बार शनैः शनैः समाप्त होती चली जायेंगी। "अमला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी" कह कर राष्ट्रकवि मैथिलीकरण गुप्त ने नारी जीवन की विवशता की भोर इंगित किया चौर "मांचल में है इम मौर मालों में पानी" कह कर ममता तथा सहिष्णुता जैसे स्वाभाविक गुणों की मौर संकेत किया । इन दो पंक्तियों में कवि ने समूची नारी को प्रस्तुत कर दिया है । परिस्थितियों से घुटने टेक देने का भी कारण कदाचित् उसकी ये ही स्वाभाविक वृत्तियां हैं। पुरुष की महंमन्यता के साथ उनकी टकराहट होती है मीर परस्वर द्वन्द प्रारम्भ हो जाता है। नारी को ही अन्ततः उत्सर्ग की मोर अपने कदम माने बढ़ाने पड़ते हैं । कामायनी के प्रमुख पात्र श्रद्धा-मनु का चरित्र विकास कदाचित् इसी तथ्य को प्रस्तुत करता है । नारी ने सासाजिक उत्कर्ष में सदैव हाथ बढ़ावा है । राष्ट्रीय बेलना को भी उसने खूब जाग्रत किया है। पन्ना धाय, पद्मिनी, लक्ष्मीबाई के उत्सर्ग को कीम भुला सकता है ? सीता, सुलोचना, भजना, राजुल, चन्दन बाला, विजय ला हेमश्री, महतरा, पद्मश्री, मैना सुन्दरी प्रभुति नारियों के उज्ज्वल उदाहरत भी उसके साथ हैं । मार्गी, मैत्रेयी, लोपामुद्रा, ब्राह्मी, सुन्दरी के प्रादर्श जीवन उसके मुख्य सूत्र है। मिल बारा की कवित्रियों में दया बाई, सहजो बाई, उमाबाई, गवरी बाई भावि तथा सगुण धारा की कवित्रियों में मीरा बाई, चणकुमरी बाई, चन्द्रकला बाई, प्रताप कुंवरी बाई प्रादि प्रमुख ऐसी महिलाएं हुई हैं जिन्होंने अपने पवित्र जीवन पर आधारित साहित्य-सृजन से सारे समाज को मरकृष्ट किया है । उपर्युक्त तथ्यों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि महिलाएं परिवि परिस्थितियों में भी अपने परिवार और समाज को सुसंगठित रख सकती हैं पर राष्ट्रीय एकता को कायम कर भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में योगदान दे सकती हूँ । राजनीतिक, सांस्कृतिक, प्राध्यात्मिक मारिरिक स्वकी स्वस्थ व सुसंस्कृत बनाने की दृष्टि से बाज महिलाओं के ऊपर विशेष उत्तरवादित्व या पड़ा है। यदि उसमें नारी चेतना और ग्रात्म विचाव हो तो इस उनको मेह बढ़ी सुगमतापूर्वक निभा सकती है। "नारी शक्ति का प्रतीक

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