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विशिष्ट यक्ष और देवियां
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सर्वाल यक्ष
इस यक्ष की चर्चा पूर्व में की जा चुकी है। अम्बिका से सम्बद्ध होने के कारण इसे गोमेध यक्ष का प्राद्य रूप कहा जा सकता है किन्तु इसका वाहन दिव्य श्वेत गज बताया गया है । सर्वाह्न यक्ष का वर्ण श्याम है । इसके मस्तक पर धर्मचक्र स्थित होता है जिसे वह अपने दो हाथों से पकड़े रहता है; अन्य दो ह थ बद्धांजलिमुद्रा में हुआ करते है । ब्रह्मगान्ति यक्ष
इस यक्ष का रूप तो विकराल है पर स्वभाव और कार्य अत्यन्त सौम्य । श्वेताम्बर परम्परा के ग्रन्थों में इसके स्वरूप का वर्णन मिलता है। तदनुसार इसका वर्ण पिंग है। भद्रासन पर स्थिति और पादुकारूढ़ होना ब्रह्मशान्ति यक्ष की विशेषता है। इसके मस्तक पर जटामुकुट, विकराल दाढ़ें और कन्धे पर उपवीत होता है । यक्षके दायें हाथों मे प्रक्षसूत्र और दण्डक तथा बायें हाथों में कमण्डलु और छत्र होते है ।' तुम्बरु यक्ष
अर्हन्तदेव का प्रतीहार । जटामुकुटधारी, नर मुण्डमालाभूपित शिर, हाथ में खटवांग । इस यक्ष का नाम शासन यक्षों की सूची में भी मिलता है। शान्ति देवी
यह देवी धवल वर्ण की है । निर्वाणकलिका में एक स्थल पर 3 इसके अनेक हाथ बताये गये हैं जिनमें वह वरदमुद्रा, कमल, पुस्तक, कमण्डलु प्रादि धारण करती है किन्तु उसी ग्रन्थ में अन्य स्थल पर शान्ति देवता को कमलासना और चतुर्भुजा कहा गया है और उसके दायें हाथों के प्रायुध, वरद एवं प्रक्षसूत्र तथा बायें हाथों के प्रायुध कुण्डिका और कमण्डलु कहे गये है ।
१. निर्वाण कलिका, पन्ना ३८ २. निर्वाणकलिका, बिम्बप्रतिष्ठाविधि, पन्ना २० ३. बिम्बप्रतिष्ठाविधि, पन्ना १८ ४. पन्ना ३७