Book Title: Jain Pratima Vigyan
Author(s): Balchand Jain
Publisher: Madanmahal General Stores Jabalpur

View full book text
Previous | Next

Page 218
________________ २०६ जैन प्रतिमाविज्ञान मरस्वतीकल्प, बप्पट्टि कृत, ६ -विजयकीति कृत, ६ -मलयकीति कृत, ६ -स्तुति, प्रागाधर कृत, ५ समरागणमूत्रधार, १६ समवायाग, ३ मग्रहणी, ४ मागारधर्मामृत, ६६ सूर्यप्रज्ञप्ति, ४ मूत्रकृताग, ३ स्तुतिचतुर्विशतिका, ४ म्दय भूम्नोत्र, ४ हरिव पुराण, ३, १०६ क्षेत्रममाम, ४ यिलोकमार, ४ त्रिपप्टिलक्षणमहापुगण, ३ गलाकापुरुषचरित ३ तथा अन्यत्र -स्मृतिशास्त्र, ३ सामान्य प्रकुगा, यक्षी ६५, १३४ अनिचका यक्षी,८६,१०६,१०: १३२ प्रगुल, मान, २०-२५ -- विद्यादेवी, ५८, १०६ प्रचल प्रतिमा, १२ अम्बा, १०० प्रच्युता, गामन यक्षी, ८६, ६०, ६६ अम्बिका,१००,१०१,१०५-०६,१३५ - विद्यादेवी, ६३, ६४, १२७ - द्विभजा, १०१ अच्छुप्ता, शामन यक्षी, ६८ - चतुर्भजा, १०१ - विद्यादेवी, ६३, ६४, १२७ - अष्टभुजा, १०१ पच्छुप्तिका, गासन यक्षी, ६८ - स्तवन, १०० अजित शासनयक्ष, ७४ - कल्प, १०० अजित बला, शासन यक्षी, ८७ अम्बिला, १०० प्रजिता, शासनयक्षी, ८७, १३३ ।। ग्ररकरभि, यक्षी, देवगढ, १०८ अनजातदेवी, शासनयक्षा, ६८ अर्हत्, १-२ अनंतमती, यक्षी, ६५, १३४ - प्रतिमा, १७ अनंतवीर्या, यक्षी, देवगढ, १०८ अवलोकितेश्वर, १०५ अनतागति, यक्षी, ६५ प्रवमपिणी २८ मनावृत यक्ष, ११०, १३६ अशोका, यक्षी ६८, १६४ अपराजिता, शासन यक्षी, १८, १३४ माभोगरोहिणी, यक्षी, देवगढ, १०८ -प्रतीहार देवता, ४१ पाम्रकूष्माण्डी, १००,१०१ -बौद्ध देवी, १०६ माम्रादेवी, यक्षी, १००, १०१, १३५

Loading...

Page Navigation
1 ... 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263