Book Title: Jain Pratima Vigyan
Author(s): Balchand Jain
Publisher: Madanmahal General Stores Jabalpur

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Page 216
________________ २०४ जन प्रतिमाविज्ञान श्रीषेण, ५ सकलचन्द्र उपाध्याय, ६ तथा अन्यत्र समन्तभद्र, १,४ सांकलिया, डा०, १० सागरचन्द्रसूरी, ५ मिद्धमेन, दिवाकर, ४ सोमदेवसूरी, १, ६६, १०५ हरिभद्रमूरि, ६, १०६ हम्तिमल्ल, ७ हेमचन्द्र, प्राचार्ग, ३ तथा अन्यन्न हेलाचायं, ५ क्षपक चन्दननन्दी, ६ ग्रन्थों के नाम अपराजितपृच्छा १०, नथा अन्यत्र अभिलषितार्थचिन्तामणि, १० प्रग्निपुराण, ११८.२० प्राचारदिनकर, ह तथा अन्यत्र प्रादिपुराण, १ प्रादिणाहचरिउ, ३ अम्बिकाम्तुति, जिनदत्तमूरि कृत, ५ -- स्तवन, वास्तुपाल कृत, ५ -कल्प, शुभचन्द्र कृत, ५ पावश्यककणि २ पावश्यकनियुक्ति टीका, १०६ उपासकाध्ययन, ६६ -श्रावकाचार ग्रन्थ, ६ --पूज्यपाद कृत, ६ -सोमदेवमूरि कृत, ६ एकीभावस्तोत्र, ४ कल्पमूत्र, ३ कल्याणमंदिर स्तोत्र, ४ कामचाण्डानिनीकल्प, ५ क्रियाविशाल, ३ चउपनमहापुरिसरित, ३ चक्रेश्वरीस्तोत्र, ८६ चविगतिजिनेन्द्रचरित, अमरचन्द्रमूरि कृत, ३ चन्द्रप्रज्ञप्ति, ४ चारित्रमार, ६ जिनमहस्रनामस्तात्र, सिद्धसेन दिवाकर कृत, ४ - जिनमेन कृत, ४ -- प्राशाधर कृत, ४ देवविजय गणी कृत, ४ -विनयविजय उपाध्याय कृत, ८ जिनमंहिता, इन्द्रनन्दि कृत, ६ --एकन्धि कृत, ६ -वादिकुमुदचन्द्र कृत, ८ जिनेन्द्रकल्याणाम्युदय, ८ जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, ८ जबूद्वीपपण्णत्तिमगहो, ८ जबूढोपप्रज्ञप्ति, ४ जंवूद्वीपसमास, ४ ज्वालिनीकल्प, ५ तत्त्वार्थसूत्र, ४ तिसट्टिमहापुरिसालंकार, ३

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