Book Title: Jain Pratima Vigyan
Author(s): Balchand Jain
Publisher: Madanmahal General Stores Jabalpur

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Page 202
________________ १९० लक्ष्मी / महालक्ष्मी / त्रिपुरा चामुण्डा षष्ठी श्वेतच्छदाभोदुरुवाहनम्था लक्ष्मीगंदाल क्षितशस्त्रहस्ता । विघ्नापनोदाय दिशीह वेद्याः प्रवर्ततां दक्षिणपश्चिमायाम् ।। नेमिचन्द्र, ३६६ भगवति त्रिपुरे पद्मपुस्तकवरदाभयकरे मिहवाहने श्वेतवर्णे जैन प्रतिमालक्षण रुद्राणी / माहेश्वरी श्राचारदिनकर, उदय ६, पन्ना १३ चामुडिका प्रेतगता ममध्यमार्तण्डदीप्तिर्धृतदण्डाक्ति । प्रत्यूहान्त्यं दिशि वेदिकायाः प्रवर्तनामुत्तरपश्रिमायाः ।। नेमिचन्द्र, ३६६ भगवति चामुण्डे शिराजालकरालशरीरे प्रकरितदर्शने ज्वालाकुन्तले रक्तत्रिनेत्रे मूलकपालख स विकेशकरे प्रेतवाहने धूमरव श्राचारदिनकर, उदय ६, पन्ना १३ उच्चडगावकर गते धृतभिडिमाले द्राणि रुद्रामलचंद्रकान्ते । पूर्वोत्तरस्या दिशि तिष्ठ वैद्या विद्यानिधेरध्वरविघ्नशान्त्यै ।। नेमिचन्द्र, ३६७ भगवति माहेश्वरि शूलपिनाक कपालखट्वाङ्गकरं चन्द्रार्धललाटे गजचर्मावृते शेषाहिबद्ध काञ्चीकलापे त्रिनयने वृषभव हुने श्वेतवर्ण श्रागच्छ आचारदिनकर, उदय ६, पन्ना १३ प्रो षष्ठि प्राम्रवनामीने कदंबवनविहारिपुत्रद्वययुते नरवाहने श्यामागि इह प्रागच्छ... प्राचारदिनकर, उदय ६, पन्ना १३

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