Book Title: Jain Pratima Vigyan
Author(s): Balchand Jain
Publisher: Madanmahal General Stores Jabalpur

View full book text
Previous | Next

Page 177
________________ चतुर्विशति यक्ष १६५ पार्श्वस्य धरणों यक्ष: श्यामाग: कम्मवाहन. । वमुनन्दि, ५।६० खर्वः शीर्षफण : मिति: कमठगो दन्यानन पावं क स्थामोद्भामिचतर्भुज : मुगद या मन्मानाल गेन च स्फूर्जदक्षिणहस्तकोहिनकुल भ्राजिणु वामम्फरन् पाणियंच्छत विघ्न कारिर्भावना विन्हिनिमक यक ।। प्राचारदिनकर, उदय ::. पन्ना १७६ ननीर्थोत्पन्न पार्वयक्ष गजमयमरगफणामपिटत 'दाम श्यामवर्ण कूर्मवाहनं चतुर्भज बीजपुरको रगय पदणाण नकादियुत वामपाणि चेति ।। निर्वाणलिका पन्ना ३७ २४. मातङ्ग वधम नजिनेन्द्र ग्य या माननगर । द्विमजा मुगवोमो वरदो गजवारन: ।। मालिगं कर धने धर्म नत्र, च माना। बम नदि, ५ ६५-६६ मरगप्रमा मनि धमंच बिभ्रत्फल काम करेथ यच्छन । वर करिम्धी हरिकेतुभना मातंगयक्षागत नृष्टिमिष्टया ।। अाशाधर, ३११५२ विनान या मर्धनि धर्मचक्र पाल च वा मेन बरं परेण । परेशान मवितवर्धमान मान गयक्ष महिनं महामि ।। नमिचन्द्र, ३३८ ट्यामो महादस्तिगतिद्विवाहु. मदीजगकितवामपाणि: । दि'जहादवामदग्नी मानङ्गयक्षा वितनातु रक्षाम् ।। याचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १७६ ननीर्थोत्पन्नं मान गयक्ष श्यामवर्ग गजवाहन द्विभुजं दक्षिा नकुल वाम बीजपूरकमिति । निर्वाणकलिका, पन्ना ३७

Loading...

Page Navigation
1 ... 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263