Book Title: Jain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 9
________________ सज्जन हृदयाभिलाषा परिग्रह, परिवार एवं परिस्थिति के राग में भौतिकता, भोग एवं भ्रान्तियों के चक्रव्यूह में सत्ता, सम्पत्ति एवं सुन्दरता की चाह में आज का मानव विस्मृत कर चुका है अध्यात्म संस्कृति की सम्पदा को मन मोहक संसार की असारता को सुख एवं ऐश्वर्य की क्षण भंगुरता को ऐसे में मर्यादाओं का पुनः आह्वान हो संयम मूल्यों की पहचान हो स्वस्थ समाज का निर्माण हो इसी आन्तरिक अभ्यर्थना के साथ एक मौलिक चिन्तन....

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