Book Title: Jain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 13
________________ जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा ...xi के सद्कर्तृत्व की रोशनी अपराजिताजी के निरपेक्ष एवं निष्पक्ष सहयोग की वजह से ही है। आपने परछाई बनकर जीवन की ऊँची-नीची डगर में अपने पति का साथ सहचरी के रूप में निभाया है। सुपुत्र दीपक एवं सुपुत्री मनीषा को विदेशों में उच्च अध्ययन करवाने के बावजूद भी उन्हें धर्म संस्कारों से जोड़े रखा है तथा उनमें भी धर्म कार्यों के प्रति पूर्ण सजगता एवं समर्पण के संस्कारों का सिंचन किया है। गुरुवर्या शशिप्रभा श्रीजी म.सा. के प्रति आपके अंतस्थल में विशेष श्रद्धा का स्पंदन है। आचार्य पद्मसागर सूरीश्वरजी म.सा. को जीवन में पूर्ण आशीर्वाद रहा है। एवं पूज्याश्री के मुखारविन्द से साध्वी सौम्यगुणा श्रीजी के अध्ययन आदि के विषय में जानकर उनके सम्पूर्ण अध्ययन एवं पुस्तक प्रकाशन में सहयोगी बनने की भावना अभिव्यक्त की। दीपक USA से Physics Honrs & Computer Science (Hons.) & Master Degree करके Microsoft को Engineer बनकर Seattla USA में मनीषा Dental Dr. बनकर सेवा में है। सज्जनमणि ग्रंथमाला आप जैसे समाज गौरव के दीर्घायु जीवन की प्रार्थना करते हुए आपकी प्रशस्ति में इतना ही कहता हीरे जैसा चमके चेहरा, मोती जैसी है मुस्कान । सोने सम सौं टंच खरा, यह मानव बड़ा महान ।।

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