Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 422
________________ लक्षणावली में उपयुक्त ग्रन्थों की अनुक्रमणिका संख्या संकेत ग्रन्थ नाम ग्रन्थकार प्रकाशक प्रकाशन काल अध्यात्मक. अध्यात्मकमल मार्तण्ड कवि राजमल्ल वीर-सेवा-मन्दिर सरसावा ई. १६४४ अध्यात्मर. अध्यात्मरहस्य (योगो- पं. आशाधर द्दीपन शास्त्र) वीर सेवा-मन्दिर दिल्ली अध्यात्मसा.| अध्यात्मसार उ. यशोविजय जैनधर्म प्रसारक सभा भावनगर वि. १९६५ | अन. ध. | अनगारधर्मामृत पं.प्राशाधर मा. दि. जैन ग्रन्थमाला समिति, बम्बई ५ अन. घ. स्वो. अनगारधर्मामृत टीका टी. ६ | अनुयो. अनुयोगद्वारसूत्र आर्यरक्षित स्थविर |आगमोदय समिति बम्बई | ई. १६२४ ७ अनुयो. मल. | अनुयोगद्वार टीका | हेम. वृ. ८ | अनुयो. चू. | अनुयोगद्वार चणि मलधारगच्छीय हेमचन्द्र ऋषभदेवजी केसरीमलजी | ई. १९२८ श्वे. संस्था रतलाम अनुयो. हरि. | अनुयोगद्वार टीका हरिभद्र सूरि १० | अने. ज. प. अनेकान्तजयपताका सेठ भगुभाई तनुज मनसुख भाई अहमदाबाद | अमित. श्रा. अमित गति श्रावकाचार | प्राचार्य अमितगति | दि. जैन पुस्तकालय, सूरत वी. नि. २४८४ (भागचन्दकृत टीका सहित) वि. २०१५ १२ अष्टक. अष्टकानि । हरिभद्र सूरि | जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर वि.सं.१९६४ १३ | अभि. रा. | अभिधान राजेन्द्रकोष | श्री विजय राजेन्द्र (सात भाग) सूरीश्वर श्री जैन श्वेताम्बर समस्त संघ, रतलाम | ई. १९१३-३४ | अष्टश. अष्टसती भट्टाकलंकदेव भा. जैन सिद्धान्त प्र. संस्था ई. १६१४ अष्टस. अष्टसहस्री प्रा. विद्यानन्द निर्णय सागर प्रेस, बम्बई | ई. १९१५ १६ | अष्टस. वृ. | अष्टसहस्री तात्पर्यविवरण| उ. यशोविजय जैन ग्रन्थ प्रकाशन सभा, ई. १६३७ राजनगर १७ प्राचा. सा., प्राचारसार वीरनन्दि सैद्धान्तिकचक्र-मा.दि.जैन ग्रंथमाला, बम्बई । वि. १६७४" | आ. सा. वर्ती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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