Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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सख्या
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शती
ग्रन्थकारानुक्रमणिका ग्रन्थकार
समय (विक्रम संवत्) | संख्या ग्रन्थकार समय (विक्रम संवत् ) ८३ मुनिचन्द्र (ललितवि. १२वीं शती (११६८ से | १०, विमलसूरि
प्रथम शती पंजिका) ८४ मेधावी १६वीं शती (१५४१)
११वीं शती (नेमिचन्द्र सि.
च. के गुरुभाई) ८५ यतिवृषभ
छठी शती
१०९ वीरनन्दी (प्रा. सा.) १२-१३वीं शती ८६ यशोदेव (प्रत्या. स्व.) १२वीं शती
११० वीरसेन
हवी ती (शकसं. ७१७
से ७४५) ८७ यशोभद्र (षोड. बृ.) १२वीं शती (११८२)
१११ शय्यम्भव मूरि जम्बस्वामी के बाद प्रभव ८८ यशोविजय १८वीं शती
और तत्पश्चात् शय्य
म्भव हुए ८६ योगीन्दुदेव ७वीं शती (ई. छठी श.) |११२ शान्तिचन्द्र (ज. द्वी. प्र. १७वीं शती (सं. १६६०
के टीकाकार)
में टीका पूरी की) ६० रत्नकीति (प्रार. सा. टी.) १५वीं शती
११३ शान्तिसूरि (वादिवेताल) ११वीं शती (वि सं. ११ रत्नप्रभ १२-१३वीं शती
१०६६में स्वर्गवासी हुए) ११४ शिवशर्म
सम्भवत: वि. की ५वीं ६२ रत्नशेखर सूरि १५वीं शती(१४४७, वज्रसेन सूरि के शिष्य) |११५ शिवार्य
२.३री शती ६३ रविषेण
७-८वीं शती ११६ शीलांकाचार्य
६.१०वीं शती ६४ राजमल
१७वीं शती (१६३५)
| ११७ शुभचन्द्र (ज्ञाना.) संभवत: १०-११वीं शती ६५ रामसेन
१०वीं शती
११८ शुभचन्द्र (काति. टी.) १७वीं शती (१५७३ से वट्टकेर १-२री शती ११६ श्यामाचार्य
विक्रम पूर्व प्रथम शती ६७ वर्धमान सूरि (प्रा. दि.) ११वीं शती(जिनेश्वर सूरि
(वी. नि.३७६के पश्चात्) के गुरु १०८०) | १२० श्रीचन्द्रसूरि १२-१३वीं शती (जीतक. ६८ वसुनन्दी १२वीं शती
वि. पदव्याख्या सं. EE वाग्भट १२वीं शती
१२२७ में पूर्ण की)
१२१ श्रुतमुनि (भा. त्रि.) १४वीं शती (१३६८) १०० वादिदेव सूरि
१२वीं शती (ई.१०८६ से | १२२ श्रुतसागर
१६वीं शती १०१ वादिराज
११वीं शती - | १२३ समन्तभद्र
२री शती १०२ वादीसिंह १०:११वीं शती .
| १२४ संघदास गणि
७वीं शती (जिनभद्र के १०३ वामदेव १५वीं शती का पूर्वार्ष
पूर्ववर्ती).
१२५ सिद्धसेन (सन्मति.) ६-७वीं शती १०४ विद्यानन्द
हवीं शती (ई.७७
१२६ सिद्धसेन सूरि (न्यायाव.) ७-८वीं शती १०५ विनयविजय गणि १७वीं शती (१६६६)
१२७ सिद्धसेन गणि
हवीं शती १०६ विमलदास
प्लवग संवत्सर वैशाख
शुक्ल ८, बृहस्पतिवार | १२८ सिर्षि गणि (न्याव. वृ.) १०-११वीं शती
११३०)
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