Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 441
________________ २० जैन-लक्षणावली १२६ सिद्धसेन सूरि (जी. क. १२२७ के पूर्व १३४ हरिभद्र सूरि ८-९वीं शती चूणि) १३० सिद्धसेन सूरि (प्र. सारो. १३वीं शती (१२४८ या | १३५ हरिभद्रसूरि(षड. वृत्ति) १२वीं शती १२७८) १३१ सोमदेव सूरि १३६ हेमचद्रसूरि (कलिकाल स.) ११४५-१२३० (ई. १०-११वीं शती १०८८.११७३) १३२ स्वामिकुमार सम्भवतः १०-११वीं शती | १३७ हेमचन्द्रसूरि (मलधारीय) १२वीं शती (अभयदेव के १३३ हरिचन्द १३वीं शती पश्चात्) टीका) शताब्दीक्रम के अनुसार ग्रन्थकारानुक्रमणिका प्रथम शताब्दी १ कुन्दकुन्द २ गुणधर ३ पुष्पदन्त ४ भूतबली ५ वट्टकेर ६ विमल सूरि द्वितीय शताग्दो ७ प्रार्यरक्षित स्थविर ८ समन्तभद्र द्वितीय-तृतीय शताब्दी ९ उमास्वाति १० शिवार्य पांचवीं शताब्दी ११ शिवशर्म पांचवीं-छठी शताब्दी १२ देवद्धि गणि छठी शताब्दी १३. देवनन्दी (पूज्यपाद) १४ देववाचक गणि १५ भद्रबाहु (द्वितीय) १६ यतिवृषभ छठी-सातवीं शताब्दी १७ योगीन्दुदेव १८ सिद्धसेन दिवाकर सातवीं शताब्दी १६ संघदास गणि २० जिनभद्र क्षमाश्रमण सातवीं-आठवीं शताब्दी २१ जिनदास गणि महत्तर पाठवीं शताब्दी २२ कोटपाचार्य २३ जटासिंहनन्दी २४ रविषण २५ सिद्धसेन (न्यायाव. के कर्ता) पाठ-नौवीं शताब्दी २६ अकलंकदेव २७ हरिभद्र सूरि नौवीं शताब्दी २८ अपराजित सूरि २६ अमोघवर्ष (प्रथम) ३० जिनसेन (ह. पु.) ३१ जिनसेन (म. पु.) ३२. महासेन (स्व. सं.) ३३ विद्यानन्द ३४ वीरसेन ३५ सिद्धसेन गणि नौ-दसवीं शताब्दी ३६ गुणभद्र ३७ शीलांकाचार्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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