Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 442
________________ शताब्दीक्रम के अनुसार ग्रन्थकारानुक्रमणिका दसवीं शताब्दी ७२ नेमिचन्द्र (उत्तरा. वृ.) ७३ नेमिचन्द्र (प्रव. सारो.) ३८ अनन्तकीर्ति ७४ पद्मनन्दी (प.पं. वि) ३६ अभयदेव सूरि (सन्मति-टीकाकार) ७५ मुनिचन्द्र ४० अमितगति (प्रथम) ७६ यशोदेव (प्रत्या. स्व.) ४१ अमृतचन्द्र ७७ यशोभद्र (षोड. वृ.) ४२ इन्द्रनन्दी (छेदपिण्ड) ७८ वसुनन्दी ४३ गर्षि ७६ वाग्भट ४४ चन्द्रषिमहत्तर ८० वादिदेव सूरि ४५ देवसेन ८१ हरिभद्र (षडशीति वृ.) ४६ रामसेन ८२ हेमचन्द्र मलघारगच्छीय ग्यारहवीं शताब्दी ४७ अनन्तवीर्य (सिद्धिवि. टीकाकार) बारह-तेरहवीं शताब्दी ४८ अमितगति (द्वितीय) ८३ चक्रेश्वराचार्य ४६ चामुण्डराय २४ परमानन्द सूरि ५० देवगुप्त सूरि ८५ रत्नप्रभ ५१ नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती ८६ वीरनन्दी (आचारसार) ५२ पद्मनन्दी (जं. दी. प.) ८७ श्रीचन्द्र सूरि ५३ पद्मसिंह मुनि ८८ हेमचन्द्र सूरि ५४ प्रभाचन्द्र (प्र. क. मा.) ८६ हेमचन्द्र (श्रुतस्क.) ५५ वर्धमान सूरि तेरहवीं शताब्दी ५६ वादिराज ५७ वादीभसिंह ६० पाशाघर ५८ वीरनन्दी (चन्द्र.) ६१ इन्द्रनन्दी (नीतिसार) ५६ शान्तिसूरि वादिवेताल ६२ गोबिन्द गणि ६० शुभचन्द्र (ज्ञानार्णव) ६३ जिनदत्त सूरि (वि. वि.) ६१ सिद्धर्षि गणि ९४ देवभद्र सूरि ६२ सोमदेव सूरि ६५ पद्मप्रभ मलधारी ६३ स्वामिकुमार ६६ प्रभाचन्द्र (रत्नक. टी.) ___ ग्यारह-बारहवीं शताब्दी ९७ मलयगिरि ६४ अनन्तवीर्य (प्र. र. मा.) १८ माधवचन्द्र विद्य ६६ सिद्धसेन सूरि (जीत. पूणि) ६५ द्रोणाचार्य ६६ नेमिचन्द्र (द्रव्यसंग्रह) १०० सिटसेन सूरि (प्र. सारो..) १०१ हरिचन्द्र ६८ माणिक्यनन्दी तेरह-चौदहवीं शताब्दी बारहवीं शताब्दी १०२ अभयचन्द्र (लघीय. टीका) ६६ अभयदेव सूरि (आगम. टी.) १०३ क्षेमकीति ७० जयसेन । १०४ देवेन्द्र सुरि ७१ जिनवल्लभ गणि १०५ भास्करनन्दी । ६७ ब्रह्मदेव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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