Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 438
________________ अन्यकारानुक्रमणिका प्रग्थकारों में अधिकांश का समय अनिश्चित है । यहां उसका निर्देश अनुमान के माधार से किया जा रहा है। संख्या प्रन्थकार ___ समय (विक्रम संवत्) ग्रन्धकार समय (विक्रम संवत्) १ भकलंकदेव ८.६वीं शती (ई.७२०-७८० १६ उमास्वाति २-३री शती २ प्रजितसेन १४वीं शती २. कुन्दकुन्दाचार्य प्रथम शती ३ अनन्तकीति १०.११वीं शती २१ कुमारकवि (पा. प्र.) १४५० + लगभग ४ प्रनम्तवीर्य (सिद्धिवि. ११वीं शती २२ कोटपाचार्य सम्भवतः हरिभद्र के पूर्ववत के टीकाकार) ५ अनन्तवीयं (प्र.र.मा.) ११-१२वीं शती २३ क्षेमकीति (बृहत्क. १३-१४वीं शती (वि.सं. टीकाकार) १३३२ में टी. समाप्त) ६ अपराजित सूरि वीं शती २४ गर्षि सम्भवत: १०वीं सती ७ अभयचन्द्र (लघीय. टी.) १३-१४वीं शती २५ गुणधराचार्य प्रथम शती ८ अभयचन्द्र (मन्दप्र.) १३-१४वीं शती (ई. १२७६ | २६ गुणभद्र ९-१०वीं शती में स्वर्गवास) ६ अभयदेव सूरि (सन्मति. १०-११वीं शती २७ गुणरत्न सूरि १५वीं शती (१४५९) टीका) १० अभयदेव सूरि (प्रागमों १२वीं शती २८ गोविन्द गणि १३वीं शती (सम्भवतः के टीकाकार) १२८८ के पूर्व) ११ अमितगति (प्रथम) १०-११वीं शती | २६ चक्रेश्वराचार्य ११९७ में शतक का भाष्य पूर्ण किया) १२ अमितगति (द्वितीय) ११वीं शती (१०५० में सु.] ३० चन्द्रर्षि महत्तर सम्भवतः १०वीं शती र.सं. और १०७० में घ. प. रची) | ३१ चामुण्डराय १०-११वीं शती १३ अमृतचन्द्र सूरि १०वीं शती ३२ जटासिंहनन्दी ८वीं शती १४ प्रमोधवर्ष (प्रथम) वीं शती (जिनसेन समकालीन) ३३ जयतिलक १५वीं शती का प्रारम्भ १५ प्रायंरक्षित स्थविर वि.की २री शती ३४ जयसेन १२वीं शती १६ माशापर १३वीं शती (ई. ११८८ से ३५ जिनदत्तसरि (विवेकवि.) १३वीं शती (उदयसिंह के १७ इन्द्रनन्दी (छेदपिन्छ) १०वीं शती राज्य में ई.१२३१) १५ इन्द्रमन्दी (नीतिसार) १३वीं पाती ३१ जिनदास गणि महत्तर ६५०-७५० (जिनभद्र के पश्चात व हरिभद्र के पूर्व) १२५०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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