Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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जन-लक्षणावलो
संख्या
संकेत
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थकार
प्रकाशक
प्रकाशन काल
| भगव. दा. वृ. भगवती सूत्र वृत्ति
दानशेखर सूरि
२४१ | भावत्रि.
भावत्रिभंगी
श्रुतमुनि
मा. दि. जैन ग्रन्थमाला, बम्बई| वि. सं. १९७८
देवसेनसूरि
प्रा. भावसं. भावसंग्रह
दे. २४३ | भावसं.
, (संस्कृत) वाम. २४४
भाषारहस्य
| वामदेवसूरि
भाषार.
यशोविजयगणी
| मनसुखभाई भगुभाई,
अहमदाबाद भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
२४५ | म.पु.
ई. १९५१
महापुराण (भा. १, २) | जिनसेनाचार्य महापुराण (उत्तरपुराण)
गुणभद्राचार्य
२४६ | म पु.
ई०१९५४
मा. दि. जैन ग्रन्थमाला, बम्बई ई. १९३७
ई. १६४०
ई. १९४१
२४७ | म. पु. पुष्प. | महापुराण प्रथम खण्ड महाकवि पुष्पदन्त
(१-३७ प.) २४८
, द्वि. खण्ड
(३८-८० प.) २४६
, तृ. खण्ड
(८१-१०२ प.) मूलाचार (प्र. भा. वट्टके राचार्य
१-७ अधिकार) मूला. वृ. मूलाचार वृत्ति वसुनन्द्याचार्य | मूला. मूलाचार (द्वि. भा. | वट्टकेराचार्य
८.१२ अधि.) २५३ मूला: वृ. मूलाचार वृत्ति
| वसुनन्द्याचार्य
मूला.
वि. सं. १९७७
वि. सं. १९८०
मोक्षप.
मोक्षपंचाशिका
वि. सं. १९७५
मोक्षप्रा.
मोक्षप्राभृत
कुन्दकुन्दाचार्य
वि. सं. १९७७
| भ. श्रुतसागर
२५६ । मोक्षप्रा. | मोक्षप्राभृत वृत्ति
श्रुत. वृ. यतिधर्मवि. | यतिधर्मविशिका
२५७
निर्णयसागर प्रेस, बम्बई
| ई. १६०१
२५८ | यशस्ति. | यशस्तिलक (पूर्व खण्ड | सोमदेवसरि
१.३ अाश्वास) २५६ यशस्ति. व. यशस्तिलक वत्ति भट्टारक श्रुतसागर
| यशस्ति.
ई. १९०३
यशस्तिलक (उ. खण्ड) | सोमदेवसूरि युक्त्यनुशासन
समन्तभद्राचार्य
| युक्त्यनु.
मा. दि. जैन ग्रन्थमाला, बम्बई| वि. सं. १९७७
२६२ | युक्त्यनु. टी. युक्त्यनुशासन टीका
विद्यानन्दाचार्य
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