Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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जैन-लक्षणावली
संख्या
संकेत
ग्रन्थकार
प्रकाशक
प्रकाशन काल
वसुश्रा.
वसुनन्दिश्रावकाचार
बसुनन्दी
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
ई. १९५२
२८७ वाग्भ.
वाग्भटालंकार
वाग्भट कवि
निर्णयसागर प्रेस, बम्बई
ई. १८९५
२८१
२८८ विपाक. विपाकसूत्र
गुर्जर ग्रन्थरत्न-कार्यालय ई. १६३५
अहमदाबाद विपाक. | विपाकसूत्र-वृत्ति अभयदेव सूरि अभय. व. विवेकवि. विवेकविलास जिनदत्तसूरि परी. बालाभाई रामचन्द्र वि.सं.१९५४
अहमदाबाद विशेषा. | विशेषावश्यक भाष्य जिन द्रगणि-क्षमाश्रमण | ऋषभदेव केशरीमल श्वेता. | ई. १६३६, (भा. १, २)
संस्था, रतलाम
१६३७ विशेषा. को विशेषावश्यक भाष्य कोटयार्य
| वृत्ति २९३ | व्यव., व्यव. व्यवहार सूत्र (नियुक्ति, मलय. व. भाष्य और मलयगिरि
विरचित वृत्ति सहित
१-१० उद्देश) २६४ | शतक. दे. शतक (पंचम कर्मग्रन्थ) | देवेन्द्रसूरि
जैन अात्मानन्द सभा, ई. १६४१
भावनगर २६५ | शतक. दे. | शतक वृत्ति
स्वो. वृ. शतक. शतकप्रकरण | शिवशर्म सूरि वीरसमाज, राजनगर ई. १९२३
२६७ | शतक. मल. शतकप्रकरण वत्ति
मलधारीय हेमचन्द्र
| शतक. चू.
शतकप्रकरण चूणि
२६६/शास्त्रवा. शास्त्रवार्तासमुच्चय
हरिभद्र सूरि
जैनधर्म प्रसारक सभा, वि. सं. १६६४
भावनगर प्रात्मानन्द सभा, भावनगर | वि. सं. १६७०
श्राद्धगु.
| ज्ञानप्रसारकमण्डल, बम्बई । वि. सं. १९६१
श्राद्धगुणविवरण महोपाध्याय जिन
मण्डनगणी श्रा. प्र. वि. श्राद्धप्रकरणविशिका
श्रा. प्र. श्रावकप्रज्ञप्ति | हरिभद्र सूरि | श्रा. प्र. टी. श्रावकप्रज्ञप्ति टीका बृ. श्रुतभ. बृहत् संस्कृत श्रुतभक्ति
(क्रियाक.) ३०५ श्रुत. श्रुतस्कन्ध ५. खं. पट्खण्डागम (भा. १-१६) श्रीभगवत् पुष्पदन्त
भूतबलि प्राचार्य ३०७ धव. पु. , टीका (प. खं.) । वीरसेनाचार्य
पं. पन्नालालजी सोनी ।
वि.सं. १९९३
जैन साहित्योद्धारक फण्ड, | ई. १६३६ से अमरावती
१९५८
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