Book Title: Jain Lakshanavali Part 1
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 424
________________ संख्या ४६ ४१ श्राव. वृ. आवश्यक सूत्र वृत्ति ४२ प्राव. हरि वृ. मल. हेम. टि. आवश्यकसूत्र हरिभद्रविर - चित वृत्ति पर टिप्पण ४३ इष्टोप. इष्टोपदेश ४४ इष्टोप. टी. इष्टोपदेश टीका ४५ उत्तरा. संकेत ४५ ४७ उत्तरा. सू. उत्तरा. नि. ४६ उत्तरा. शा. वृ ५० उपदे. प., उप. प. ५१ उपदे. प. टी. ५२ उपदे. प., उप. ५३ उपदे. प. टी. प. ५४ उपदे. मा. ५७ ५५ उपासका. ५६ ऋषिभा. प्रोघनि. वृ. ग्रन्थ नाम उत्तराध्ययन सूत्र उत्त. ने. वृ. उत्तराध्ययन सुबोधा वृत्ति नेमिचन्द्राचार्य ५८ प्रोपपा. ५६ प्रोपपा. अभय वृ. अंगप. ६० ६१ कर्मप्र. ६२ | कर्मप्र. चू. Jain Education International उत्तराध्ययन सूत्र (प्रथम विभाग ) उत्तराध्ययननियुक्ति 11 33 73 ग्रन्थानुक्रमणिका उत्तराध्ययन नि. वृति उपदेशपद ( प्रथम वि . ) टीका मुनिचन्द्र सूरि ( द्वितीय वि . ) हरिभद्र सूरि टीका मुनिचन्द्र सूरि धर्मदास गणी सोमदेव सूरि उपदेशमाला ग्रन्थकार उपासकाध्ययन आ. मलयगिरि मलधारगच्छीय हेमचन्द्र सूरि पूज्यपादाचार्य पं. आशावर भद्रबाहु शान्तिसूरि हरिभद्रसूरि ऋषिभाषित सूत्र प्रोघनिर्युक्ति ( सभाष्य ) वृत्तिकार द्रोणाचार्य प्रोपपातिक सूत्र प्रोपपातिकसूत्रवृत्ति अंगपण्णत्ती कर्म प्रकृति कर्म प्रकृति चूर्णि वृत्तिकार प्रभयदेव शुभचन्द्राचार्य प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोफंड सूरत ई. १९३६ ई. १६२० 11 मा. दि. जैन ग्रंथमाला, वम्बई वि. १६७५ "3 पुष्पचन्द खेमचन्द, वलाद " For Private & Personal Use Only "1 11 जैन पुस्तकोद्धार संस्था, सूरत ई. १९१६ "1 प्रकाशन काल 11 12 ग्रन्थमाला, सूरत प्रागमोदय समिति, बम्बई " } श्रीमन्मुक्तिकमल जैन मोहन- वि. १९७६ माला, बड़ौदा " T 33 ני 33 ऋषभदेव केशरीमल श्वेता. जैन संस्था, रतलाम भारतीय ज्ञानपीठ, काशी ऋषभदेव केशरीमल संस्था, ई. १६२७ रतलाम श्रा. विजयदान सूरीश्वर जैन ई. १९५७ ई. १९१६ वि. १६८१ 39 ई. १६२६ ई. १६६४ 11 भा. दि. जैन ग्रंथमाला समिति वि. १६७६ बम्बई वाचक शिवशमं सूरि मुक्ताबाई ज्ञानमन्दिर डभोई ई. १९३७ (गुजरात) "" www.jainelibrary.org.

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