Book Title: Jain Jati ka Hras aur Unnati ke Upay
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Sanyukta Prantiya Digambar Jain Sabha

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Page 39
________________ ( ३३ ) निकम्मी होती है। यद्यपि बहुतायत से वह होती ही नहीं और होती भी है तो उनका जीवन कठिन होजाता है। यही कार हूँ कि बच्चे बहुत मरते हैं । "अल्पायु का गर्भ माता पिता और स्वयं उस पेट की सवान तीनों के लिए अत्यन्त हानिकारक होता है। पच्चीस बाल गर्भवती स्त्रियों की जांच की गई जिस से मालूम हुआ कि पांच लड़कियों का गर्भ गिरगया, तोन बच्चा जनने के समय मरगई, ६ को जनने के समय श्रत्यन्त कष्ट हुआ और उनके पेट से बच्चे औज़ारों के जरिये निकाले गए, पांच को वच्चा जनने के बाद पुराना मूत्ररोग होगया, दो बच्चा पैदा होने पर प्रसूती रोगमें पड़कर और अत्यन्त निर्बल होकर मरगई, ३ दूसरी बार वञ्चाजनने पर मरगई, २ तीसरी बार बच्चा जनते समय मरगई और १२ श्रत्यन्त क उठाकर मरने से बच्चगई, पर उनकी तन्दुरुस्ती जन्म भर के लिये बिगड़ गई । अर्थात् कुल २५ में से १० तो और १२ जन्म रोगिणी होगई, केवल ३ लड़कियां अच्छी रहीं ।" (देखो देशदर्शन पृष्ट १२६ - १३० ) । इस बालविवाह के कारण स्त्रियां किस ज्यादती से मृत्युको प्राप्त होती हैं यह इससे साफ, प्रगट है 1. The Census of Iudin नामक पुस्तक में स्त्रियों के प्रभाव के विषय में लिखा है कि " बालविवाह के और इस हेतु छोटी उमर में गर्भ धारण करने के कारण स्त्रियों की संख्या का कितना हास हुआ है वह निम्न कोष्टक से ही अनुभव किया जा सका है : इस

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