Book Title: Jain Jati ka Hras aur Unnati ke Upay
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Sanyukta Prantiya Digambar Jain Sabha

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Page 48
________________ ('a') भारतवर्ष के विविध प्रान्तों में १००० पुरुषों की समानता में इस प्रकार स्त्रियां थीं : प्रान्त बंगाल बिहार. बम्बई.. ... # • बर्मा ... ....... मध्यप्रान्त ....... मद्रास....... पंजाब... संयुक्तप्रान्त. ब्रिटिशइन्डिया .. ..... सन् १६९१ १६०१ १८६२ १८८१ हृष्टपू ६६० ७३ ६६ २०४३. १०४७ २०४० १०२४ £33. ४५ ६३८ ६३८ ६५६ ६६२ ६६२ ८७७ १००८ २०१६ + पू ६७३ १०३२ १०२६ | १०२३ १०२१ =१७ ६१५ સ્પષ્ટ ८५४ ८५० ८४४ ६३७ ६३ હર ६३ हपू પુ } इससे ज्ञात होता है कि सन् १८८१ की गणना में १००० पुरुषों की समानता में पूष्ट स्त्रियां थी और इसके बादुके २० वर्षो में वही बढ़कर ६३ हो गई । परन्तु श्रव सन् १६११ मे वह फिर उसी सन् १८८९ वाली संख्या पर पहुंच गई है। और सन् १९२१ की गणना में और भी घटी होगी क्यों कि जो कारण उसके हासके सन् १९११ में थे, वह घटे नही हैं । इस कोष्ठक में एक खास बात ध्यान देने की यह है कि विहार, वर्मा, मध्यप्रान्त और मद्रास प्रान्तों की स्त्रियोंकी संख्या बढ़ी ही है । इसका कारण सहज में समझ में आ जाता है । इन प्रान्तों

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