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(५४) वर्ष कार्यकर्ताओं का चुनाव, आमदनी और खर्च का निश्चय एवं गत विगत का व्योरेवार हिसाब तथा जीर्णोद्धार प्रन्यो. द्वार का निर्णय और समाजोन्नति के लिये उक्त उपायों को प्रचार में लाने के नियम जो इस पुस्तक में बताये गये हैं इस के लिए आवश्यक है कि कायदेवार स्थानीय घरों में से एक एक पञ्च चुना जाय। उनमें से पक सभापति, एक मत्री, एक खजानची और एक निरीक्षक साधारणरूप में चुने जायँ तथा खास काम के लिए अन्य व्यक्ति नियत कीये जायें। इन सब का चुनाव सर्वसम्मति से हो । पञ्चायती नियमों का पालन समुचित रीति से हो रहा है या नहीं इस यात के लिये हर महीने में एक बार पंचायत एकत्रित होना चाहिए। मंत्री सव कार्य लिखित रूप में रखे, जिससे कोई विवाद नहो । इस तरह का संगठन होने पर शीघ्र ही जरूरी सुधार सर्वत्र हो जावेगा।
उपरोक्त वर्णन में हम देखचुके हैं कि हमारे यहाँ खियों की उचित देखभात नहीं होती। उनकी शिक्षा का प्रवन्ध नहीं होता। उनके शारीरिक स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। इस कारण उनकी मृत्यु अधिक होती है। उनका उचित श्रादर किये जाने और उनमें ज्ञान-संचार करने का प्रबन्ध होना चाहिए। अन्य दो कारणों में गाँवों को जैनो छोड़ कर शहरों में वसते जाते हैं। कारण इसका यही है कि उनका शारीरिक बल उतना नहीं रहा है जो चे ग्राम्य जीवन व्यतीत करसके। तिसपर व्यापार निमित शहरों में वे अधिकता से आजाते हैं। सरकारी रिपोर्ट के निम्नांक से ज्ञात हो जायगा कि फो सैकड़े कितने जैनी शहरों में रहते हैं:
बङ्गाल ५६२, विहार ३७८, बम्बई ३६६, वर्मा ६.१,