Book Title: Jain Jati ka Hras aur Unnati ke Upay
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Sanyukta Prantiya Digambar Jain Sabha

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Page 47
________________ (४०) हम अगाड़ी करेंगे। दसवां कारण पुरुषों का अविवाहित रह जाना और कन्याओं की कमी है। जैनसमाज में पुरुषों का विवाह २५ वर्ष से कम की ही उम्र में होजाता है, अतएव २५ वर्ष से अधिक उन्न के कुंवारे पुरुष वे ही होते है जिनके व्याहे जाने की बहुत ही कम आशा होती है। इन अविवाहित पुरुषों की औसत प्रति सैकड़ा १८५ पड़ती है। लग भग यही औसत २५ वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में भी अविवाहितो को होगी। २५ वर्ष से कम उम्र के पुरुषों की संख्या २१ ७०० है । अतः इनमें भी प्रतिशत १६५ के हिसाबसे कोई चार हजार पुरुप अविवाहित रह जायेंगे। इसतरह कुल युक्तप्रान्त के ४०६५ पुरुपोमे से ७५०० पुरुष ऐसे हैं, जिनका विवाह नहीं हुआ और न होने की आशा है । ये वे पुरुष नहीं हैं जिन्होने ब्रह्मचर्यव्रत धारण करके अविवाहित रहना स्वीकार किया है। किन्तु ये वे है, जिनके विवाह हो नहीं सकते ! इस तरह जैन समाज के पुरुषों का पांचवां हिस्सा अविवाहित रह जाता है। यदि इनका विवाह हो गया होता तो इनके सन्तान उत्पन्न होती.. और कुछ वृद्धि ही होती। - (जैनहितैषी भाग १३ पृष्ट ४४६). "जैनसमाजके एक पंचमांश पुरुषों के अविवाहित रहने के नीचे लिखे कारण हैं : '१-त्रियों की कमी।

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