Book Title: Jain Jati ka Hras aur Unnati ke Upay
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Sanyukta Prantiya Digambar Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ ८० १२४ म४३ (१९४७ ४१३ ' (३३) १००० पुरुषोंकी मृत्युकी समानता में स्त्रियोंकी अन्दाजन मृत्यु संख्या प्रान्त J०-१५ वर्ष १५-२० २०-३० सर्वआयु चहाल ...... १३ १२१५ १९७१ 1८६७ विहार....... यम्बई ..... . १०२५ वर्मा • ... ७८ ८५६ मध्यप्रान्त ." .. | ४६ /१२३४ १२३१ ६० पञ्जाव : .... | १०३२ ६६६ १०५५. | ९६८ आगरा ओर अवध - ६७० | १०५६ ११०५ / ६६८ । इन संख्याओं से वह प्रभाव प्रकट है जो हमारे सामाजिक रिवाज के कारण स्त्रियों की घटोतरी पर पड़ता है। यह घटोतरी १५ और ३० वर्ष की उमर में अधिक है। और यह वह समय है जव स्त्रियों की देखभाल खूब होती है। ३० वर्ष के उपरान्त सर्व उमरों की मृत्यु संख्या घट जाती है। " इस वाल विवाह के परिणाम से जो एक भयावह दृष्य दृष्टिगोचर होता है वह यह जानने में है कि स्त्रियों की संख्या पहिले ही पुरुषों की अपेक्षा अधिक नहीं है । इस प्रकार जव पञ्जाव में पहिले ही १०० पुरुषों में २ स्त्रिये हैं तय वहां २० और ३०वर्ष को उमर में मृत्यु ६८ पुरुषों में १०५५ स्त्रियों की होती है।' इस तरह हिसाव लगाने से बाल विवाह के कारण मृत्युसंख्या '


Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64