Book Title: Jain Hiteshi 1921 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 47
________________ म कांग्रेस। सको अ तस्समक्खं भयवंत इति बौटिकमततिमिरोपलक्षणम्य न. आसणे निवेसित्ता। ऽवकाशे इंद्रजिनेंद्रौ प्रत्युत्तरिणौ यदतोडे. सदस्सलक्खणं पुच्छे टातीद्धततस्त्वमसिमिबिड्ढौरयम,द्रं जैनेंद्रं वागरणं अवयवा इंदं ॥इति॥ . व्याकरणानां । सिद्धिमनकांतादिच्छों अ:x तदवयवाः केचन उपाध्यायेन गृहीताः। कxपाई त्यतथारीते हैमागीकृतवर्मन्प्रक्षेततश्चन्द्रं व्याकरणं संजातमिति हरिभद्रः ॥ पार्यविजेयचिरंजीया इति प्रसन्न चंद्रोत्पले (?) यत्तु देवनंदिबौटिकंपूज्यपाद इतीच्छंतस्तद्गुरुकाः पूज्यपादस्य लक्षणं। द्विसंधानकवेः काव्यं रत्नत्रयमपश्चिमम् । - कोग्रेम। इति धनंजयकोषात्तदयुक्तं । नेति चेत्कथंजैनेंद्रमिति । द्वादशस्वरमध्यामति चेन्न । महात्मा गांधीका लेख । इतरोपपदस्याभावात् । जैनकुमारसंभववद्ग- नागपुरकी कांग्रेस हो गई । उसके तिरिति चेन्न । कुमारवदिंद्र प्रति श्लेषाभा- विषयमें महात्मा गांधीका जो संक्षिप्त वात् थारीतिकततद्धितभावाच्च । तर्हि लेख 'यंग इण्डिया' में प्रकाशित हुआ है, लक्ष्मीरात्यंतिकी यस्य निरवशावभासने। . उसे हम अपने पाठकों के अवलोकनार्थ. देवनंदितपो नमस्तसम्वन भारतमित्रसे, उद्धृत करते हैं: ___"सबसे बड़ी और महत्त्वपूर्ण, कांग्रेस का गतिरिति चेत् । भारतमें हो गई । इसमें वर्तमान शासनलक्ष्मीरात्यंतिकीपद्यनुपज्ञेशस्य किंतरां। पद्धतिके विरुद्ध जैसा बड़ा प्रदर्शन हुआ ऐंद्रत्वयकि तत्त्वार्थे मोक्षमार्गस्य पद्यवत् ।।. वैसा पहले कभी नहीं हुआ। सभापतिने मिवादयश्चत्प्रथमं यदि है मेत्वपक्ष्यते । यह बात सोलह आने ठीक कही कि इस कालापकादि न तथा पदवैन्द्र महते कृतिः॥ कांग्रेसमें अध्यक्ष तथा नेता लोगोंको नहीं पूर्वत्र । मिप् वस् मस् १ सिप् थस् चलाते बल्कि लोग ही उन्हें चला रहे थ २ तिप तस् झि३ इड वहि महि १ थस हैं। कांग्रेस मञ्चपर प्रत्येक सजनको यह आथां ध्वं २ त आताम् झङ् ३ इति । स्पष्ट हो गया कि अब जनताने देशकी . आख्यातरीतिं प्रति देवराजे बागडोर अपने हाथमे ले ली है। नेता बड़ी खुशीसे धीरे धीरे चल सकते हैं। मिब्वस्मसो यः पितः रादितोदाः । । कांग्रेसने अपने उद्देश्यके विषयके वाद.. जीवं प्रपन्नाहममात्थ विश्व विवाद में एक दिन लगाया. जनताने बडी तत्त्वादिमं स्वां मतिमात्मनाथं ॥ दृढतासे उसे पास किया, सिर्फ दो महातर्हि सिद्धसेनांदिविशेषोपि दुर्निवार इति चेन्न शय विरोधी थे। असहयोग प्रस्तावमें जातामात्रोपि चिद्वीय प्रत्यात्मशरो सि यः। भी एक दिन लगाया गया और यह बड़े जनता का वराकीय परात्मन् वीर तत्पुर। उत्साहसे पास किया गया। अन्तिम दिन - कांग्रेसने संघटनाकी शेष ३२ धाराओं में - इसके आगे ४-३-७ सत्रको टिप्पणी जैसा ही लिखा है और फिर ३-४-४० सूत्रकी टिप्पणीके 'देव लगाया। मौ० मुहम्मद अलीने बुलन्द . नन्दिमतां' आदि दोनोक दिये हैं। आवाजमें इनका अनुवादकर लोगोंको * इसके आगे ५-४-६५ सूत्रकी टिप्पणी दी है ॥ समझाया । जनता बड़े ध्यानसे सब बातें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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