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१२८ जैसाहितषी।
[भाग १५ • अपने स्कूलों के लिए अनुभवी अध्यापक सीधासादा काम है, लोग इसे जल्दी सीख पा सकता है।
सकते हैं और हर गाँव में विशेष व्यय किये इस स्कीमको अमल में लाने में बड़ी बिना इसका प्रचार कर सकते हैं। भारी कठिनाई चरने की है । यदि इस यह शिताक्रम मैंने केवल इसी शुद्धि कलाको लोग पसन्द कर ले तो हमें और उम्मेदवारीके वर्षके लिए ही सचित हजारों चरखोकी जरूरत होगी। सौभा- किया है। जब फिरसे सब ठीकठाक हो ग्यका विषय है कि हर गाँवका बढ़ई जायगा और स्वराज्यकी स्थापना हो लेगी प्रासानीसे यह यन्त्र तैयार कर सकता तब सूत कातनेका काम केवल १ घण्टा है। आश्रमसे या और कहीं चरखा कर सकते हैं और बाकी समय साहित्यमँगाना पड़ी भारी भूल है। सूत कातने की शिक्षामें लगा सकते हैं। की कलामें यह खूबी है कि यह बिलकुल
(भारतमित्र)
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