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७३-८३ ग्वारह नियुक्ति-(भद्रबाहुकृत)
आवश्यक नियुक्ति, दशवकालिक नियुक्ति, उत्तराध्ययन नि०, आचारांग नि०, सूत्रकृतांग नि०, सूर्यप्रज्ञप्ति नि०, बृहत्कल्प नि., व्यवहार नि०, दशाश्रुतस्कंध नि० ऋषिभाषित नि०, (अनुपलब्ध),
संसक्त नि०।* ८४ विशेष आवश्यक भाष्या।
विक्रमपूर्व शताब्दी चौथी शय्यंभवसूरी(वीर०सं०७५-९८) आगम दशवकालिक सूत्र,
विक्रम पूर्व तीसरी भद्रबाहु स्वामी (वीर० सं० १७०) आगम छेद सत्र-दशाश्रुत, व्यवहार
. बृहत्करूप, निश्रीय
विक्रम पूर्व दूसरी श्यामाचार्य (वीर० सं० ३३४-७६) आगम पज्ञापना सूत्र
विक्रम संवत् दूसरी आर्य रक्षित
आगम अनुयोगद्वारसूत्र पादलिप्त सूरि
कथा तरंगवतो (प्राकृत) ज्योतिष ज्योतिषकरंडकटीका,
प्रकरण निर्वाण कलिका, गुणाढ्य
कथा बृहत् कथा
विक्रम दूसरी तीसरी गुणधर
आगमिक कसाय पाहुड पुष्पदंत-भूतबलि
आगमिक षट्खंडागम *पिण्डनियुक्ति' को मूलसूत्रों में गिना गया है ।
+विच्छिन्न दृष्टिवाद का समावेश कर लेने से ८५ संख्या होती है। गणना का प्रकार अन्य भी देखा जाता है।
पंचकल्प चूणि के मत से चार सूत्रों के कर्ता और आवश्यक नियुक्ति के मत से प्रथम तीन सूत्रों के कर्ता
कुंदकुंदाचार्य
आगमिक प्रवचनसार, समयसार, नियम
सार, पंचास्तिकाय, दशभक्ति बोषपाहुड, सुत्सपाहुड, भावपाहुड, षट्खंडागम की परि
कर्म टीका विमल
कथा पउमचरिय
विक्रम तीसरी शिवशर्म सरि
कर्मशास्त्र कम्मपयडी, शतक कर्म ग्रन्थ उमास्वाति (मि)
आगमिक तत्वार्थ सूत्र भाष्य, भूगोल जम्बूद्वीप समास,क्षेत्र विचार (1) आचार प्रशमरति, श्रावक प्रशप्ति ()
पूजा प्रकरण () विक्रम चौथी-पांचवी सिद्धसेन दिवाकर बार्शनिक सन्मति तर्क (प्रा०).न्यायावतार,
द्वात्रिंशत् द्वात्रिंशिका (२२
मिलती हैं) विक्रम पाँचवीं-छठवीं भद्रबाहु
आगमिक एकादशनियुक्ति-आवश्यक नि,
दशवकालिक नि०, उत्तराध्ययन नि०, आचारांग नि०, सत्रकृतांग नि०, सूर्यप्रज्ञप्ति नि०, दशाश्रुतस्कन्ध, व्यवहार सूत्र नि०,पिण्डनियुक्ति, ओषनियुक्ति, बृहत्कल्प
नि०, ऋषिभाषित नि०। वट्टकेर
आगमिक मूलाचार शिवार्य (शिवनंदि)पापनीय आगमिक आराधना* (२१७० गाथा) सर्वनंदि
आगमिक लोक विभाग (प्रा०,५१४) यति वृषभाचार्य
" तिलोय पन्नत्ति (५३५) * आराधना आश्रित साहित्य
(१) अपराजित सूरि (विजयाचार्य) कृत विजयोदया टीका सबसे प्राचीन और प्रथम,
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