Book Title: Jain Granth aur Granthkar
Author(s): Fatehchand Belani
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
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सुधाकलश (मलधारा राजशेखर के शिष्य)
जिनकुशल सूरि
सोमलिक (विद्यातिलक)
रत्नदेव गणि
श्री तिलक
सर्वानन्द सूरि
भुवनतुंग सूरि
हस्ति मल्ल कवि (गोविन्द भट्ट के पुत्र)
वागभट
माघनन्दि सं० १३१७
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*दोनों कनटी भाषा में
( ३६ )
संगीत
कोश
आगमिक
दार्शनिक
प्रबंध कल्प-स्तोत्र
उपदेश
चरित्र
आगमिक
स्तोत्र
सुभाषित वज्जालय पर टीका १३९३
गौतमपुच्छा
नाटक
चरित्र
संगीतोपनिषत् १३८०, संगीत
सार १४०६
एकाक्षरनाममाला
कल्प
चैत्यवंदन (जिनदत्त) कुलकवृत्ति
षड्दर्शन टीका १३९२ कुमारपाल प्रबंध
वीरकल्प (१३८९), लघुस्तव टीका १३९७
शीलोपदेशमाला ( जयतिलक) पर शीलतरंगिणी टीका
जगड चरित्र
आतुर प्रत्याख्यान वृत्ति, चतुःशरण वृत्ति
ऋषिमंडल पर वृि
विक्रान्त
कौरव, सुभद्राहरण, मैथली कल्याण अंजनापवनंजय,
आदिपुराण * ( पुरु-चरित )
श्रीपुराण * प्रतिष्ठाकल्प
काव्य शास्त्र काव्यानुशासन स्वोपज्ञवृत्ति युक्त वागभट छन्दोनुशासन
छन्द
प्रागमिक
माघनन्दि आवकाचार
दार्शनिक
शास्त्रवार्ता समुच्चय पर टीका
राजशेखर
ज्ञानचंद
गुणसमृद्धि महत्तरा (साध्वी )
सुविधा
सोमकीर्ति
भवदेवसूदि
जयसिंह
( ३७ )
पंद्रहवीं शताब्दी दार्शनिक
गुणाकर महेन्द्रप्रभसूर
मलवेन्द्र (महेन्द्र के शिष्य) रत्नशेखर
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स्याद्वादकलिका (स्याद्वाद दीपिका), रत्नाकरावतारिका पंजिका, दर्शन समुच्चय, न्यायकंदली पंजिका,
प्रबंध चरित्र प्रबंधकोश १४०५
कौतुक कथा,
दार्शनिक रश्ना करावतारिका-टिप्पन,
चरित्र
अंजनासुंदरी चरित्र (प्राकृत) १४०६
शान्तिनाथ चरित्र,
"
व्याकरण कातंत्रवृत्ति-पंजिका १४११
विधिविधान यतिदिन चर्या प्रा०
चरित्र पार्श्वनाथ चरित्र कालकाचार्य कथा,
दार्शनिक न्यायसार ( भासवंज्ञ) दीपिका
व्याकरण
एक व्याकरण भी बनाया है,
चरित्र
स्तोत्र
यंत्र-तंत्र
कुमारपाल चरित्र
भक्तामर स्तोत्र वृत्ति १४२६ यंत्रराज १४२७
यंत्रराज टीका
आगमिक गुणस्थान क्रमारोह सटीक १४४७
संबोध सत्तरि
भूगोल लघुक्षेत्र समास सविवरण सिरियाल कहा (प्रा० १४२८) छन्दकोश (") स्तोत्र स्तुति गुरुगुण पत्रिशत् पचिका यंत्र-तंत्र सिद्धयंत्रचक्रोद्धार
कथा छंब
प्रकीर्णक प्रश्नोत्तर रत्नमाला पर वृद्धि उपदेश दानोपदेशमाला सटीक
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