Book Title: Jain Granth aur Granthkar
Author(s): Fatehchand Belani
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सन्मति प्रकाशन नं०४ जैन ग्रंथ और ग्रंथकार संपादक फतेहचंद बेलानी न्यायतीर्थ, व्याकरणताय, न्यायरत्न, अक्तूबर १९५० डेढ़ रुपया For Private & Personale Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निवेदन श्री फतेहचन्द बेलानी की प्रस्तुत पुस्तिका उन्होंने १९४६ ई० में प्रकाशित करने को दी थी। वह अब प्रकाशित हो रही है अतएव इसमें हाल में जो नई सामग्री, जैसे आमेर ग्रन्थागार की सूची और प्रशस्तिसंग्रह मावि, उपलब्ध हुई है, उसका उपयोग नहीं हुआ है। इतना होते हुए भी जैन ग्रन्थ और प्रन्यकारों का यह संकलन हिन्दीभाषी विद्वानों को जैन साहित्य का शताब्दी के अनुसार परिचय देने में एक मात्र साधन है इसे स्वीकार करना होगा। इस छोटी सी पुस्तिका को अपनी संशोधक सामग्री के द्वारा परिपूर्ण बनावें यही प्रार्थना विद्वानों से है। इसी छोटी सी पुस्तिका से यह भली भांति ज्ञात हो सकता है कि भारतीय बाडमय की प्रत्येक शाखा में प्रत्येक शताब्दी में जैनाचार्यों ने जो योगदान किया है वह नगण्य नहीं है। इस साहित्य को भी भारतीय साहित्य के इतिहास में उचित स्थान मिले और उसकी साम्प्रदायिक साहित्य के नाम पर उपेक्षा न की जाय तब ही भारतीय साहित्य अपने पूर्ण रूप में ज्ञात हो सकेगा अन्यथा वह विकल ही रहेगा। २६-१०-५० निवेदक दलसुख मालवणिया मंत्री For Private & Personale Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादक की ओर से इस छोटी सी पुस्तिका में मैंने यथाशक्य जांच कर जैन ग्रन्थकारों का शताब्दी समय दिया है। पर मेरा निर्णय आखिरी है ऐसा मैं नहीं समझता। विद्वानों को इसे जांचना चाहिए और अन्तिम निर्णय पर आने का प्रयत्न करना चाहिए। इसमें श्वेताम्बर और दिगम्बर साहित्य साथ साथ दिया है। दोनों परंपरा की अलग अलग सूची बनाई गई थी और फिर सभी का पौर्वापर्य जांचने का सरल था नहीं अतएव मैने विगम्बराचार्यों के नाम प्रायः श्वेताम्बरों के नामों के अन्त में एकसाथ रख दिये हैं। इसका कोई यह अर्थ न करें की तत्तत् शताब्दी में वे सभी श्वेताम्बरों के बाद ही हुए हैं। इस संकलन में मैंने संस्कृत-प्राकृत-अपभ्रंश ग्रन्थों को ही स्थान दिया है । सिर्फ श्री आनंबधन जी इसके अपवाद है। मेरा यह दावा तो नहीं है कि इसमें सभी ग्रन्थों का और ग्रन्थकारों का समावेश हो गया है। विषयक्रम भी ग्रन्थनाम से दिया गया है अतएव संभव है कि ग्रन्थ का विषय कुछ और हो, और उसे लिखा गया हो किसी अन्य विषष का। सभी ग्रन्थ देखना संभव नहीं था अतएव ऐसा भ्रम होना स्वाभाविक है। अन्य के नाम के बाद कहीं कहीं श्लोक शब्द लिखकर जो अंक दिये हैं वह ग्रन्थ परिमाण को सूचित करते हैं। और जहाँ ग्रन्थ नाम के बाद सिर्फ अंक दिये हैं उनसे उस ग्रन्थ का रचनाकाल विक्रम संवत् में सूचित होता है । इसको तैयार करने में भी मो० द० देसाई के 'नसाहित्पनो संक्षिप्त इतिहास' का, श्री नाथुराम जी प्रेमी के 'जैनसाहित्य और इतिहास' का विशेष रूपसे उपयोग किया है अतएव में उनका आभार मानता हूँ। ८४ आगम (श्वे० संमत) १-११ ग्यारह अंग-आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्या. प्रज्ञप्ति, ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशांग, अन्तकृद्दशा, अनुत्तरोपपातिक, प्रश्नव्याकरण, विपाक । १२-२३ बारह उपांग-औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाजीवाभिगम, प्रशापना, सूर्यप्रशप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, कल्पिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशा। २४-२७ चार मूलसूत्र-आवश्यक सूत्र, दशवालिक, उत्तराध्ययनानि, पिंड. नियुक्ति (अथवा ओघनिर्यक्ति) २८-२९ दो चूलिका सूत्र-नन्दीसूत्र, अनुयोगद्वार । ३०-३५ छ छेद सूत्र-निशीथ, महानिशीथ, बृहत्कल्प, व्यवहार, दशाश्रुतस्कंध, पंचकल्प (विच्छिन्न)। ३६-४५ दश प्रकीर्णक-चतुःशरण, आतुरप्रत्याख्यान, भक्तपरिशा, तन्दुल वैचारिक, चन्द्रवेध्यक, देवेन्द्रस्तव, गणिविद्या, महाप्रत्याख्यान वीरस्तव, संस्तारक* । ४६ कल्पसूत्र (पर्युषण कल्प, जिनचरित, स्वविरावलि, सामाचारी) ४७ यतिजीतकल्प (सोमप्रभसूरि) । ४८ श्राद्धजीतकल्प (धर्म घोषसूरि) जीत कल्प ४९ पाक्षिक सूत्र (आवश्यक सूत्र का अंग) ५० क्षमापना सूत्र (आवश्यक सूत्र का अंग) ५१ बंदित्तु ५२ ऋषिभाषित ५३-७२ वीस अन्य पयन्ना-अजीबकल्प, गच्छाचार, मरणसमाधि, सिद्धप्रा भृत, तीर्थोद्गार, आराधनापताका, द्वीपेसागरप्रज्ञप्ति,ज्योतिषकरण्टक, अंगविद्या, तिथिप्रकीर्णक, पिण्डविचद्धि, सारावलि, पर्यन्ताराधना, जीव विभक्ति, कवच प्रकरण, योनिप्राभूत, अंगचूलिया, वग्गचूलिया, वृद्धचतुःशरण, जम्पयन्ना। *किसी के मत से 'वीरस्तव' और 'देवेन्द्रस्तव' दोनों का समावेश एक में है और 'संरतारक' के स्थान में "मरण समाधि" और "पच्छाचपयन्नाार" हैं। फतेहचन्द बेलानी बनारस २५-११-४६ For Private & Personale Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३-८३ ग्वारह नियुक्ति-(भद्रबाहुकृत) आवश्यक नियुक्ति, दशवकालिक नियुक्ति, उत्तराध्ययन नि०, आचारांग नि०, सूत्रकृतांग नि०, सूर्यप्रज्ञप्ति नि०, बृहत्कल्प नि., व्यवहार नि०, दशाश्रुतस्कंध नि० ऋषिभाषित नि०, (अनुपलब्ध), संसक्त नि०।* ८४ विशेष आवश्यक भाष्या। विक्रमपूर्व शताब्दी चौथी शय्यंभवसूरी(वीर०सं०७५-९८) आगम दशवकालिक सूत्र, विक्रम पूर्व तीसरी भद्रबाहु स्वामी (वीर० सं० १७०) आगम छेद सत्र-दशाश्रुत, व्यवहार . बृहत्करूप, निश्रीय विक्रम पूर्व दूसरी श्यामाचार्य (वीर० सं० ३३४-७६) आगम पज्ञापना सूत्र विक्रम संवत् दूसरी आर्य रक्षित आगम अनुयोगद्वारसूत्र पादलिप्त सूरि कथा तरंगवतो (प्राकृत) ज्योतिष ज्योतिषकरंडकटीका, प्रकरण निर्वाण कलिका, गुणाढ्य कथा बृहत् कथा विक्रम दूसरी तीसरी गुणधर आगमिक कसाय पाहुड पुष्पदंत-भूतबलि आगमिक षट्खंडागम *पिण्डनियुक्ति' को मूलसूत्रों में गिना गया है । +विच्छिन्न दृष्टिवाद का समावेश कर लेने से ८५ संख्या होती है। गणना का प्रकार अन्य भी देखा जाता है। पंचकल्प चूणि के मत से चार सूत्रों के कर्ता और आवश्यक नियुक्ति के मत से प्रथम तीन सूत्रों के कर्ता कुंदकुंदाचार्य आगमिक प्रवचनसार, समयसार, नियम सार, पंचास्तिकाय, दशभक्ति बोषपाहुड, सुत्सपाहुड, भावपाहुड, षट्खंडागम की परि कर्म टीका विमल कथा पउमचरिय विक्रम तीसरी शिवशर्म सरि कर्मशास्त्र कम्मपयडी, शतक कर्म ग्रन्थ उमास्वाति (मि) आगमिक तत्वार्थ सूत्र भाष्य, भूगोल जम्बूद्वीप समास,क्षेत्र विचार (1) आचार प्रशमरति, श्रावक प्रशप्ति () पूजा प्रकरण () विक्रम चौथी-पांचवी सिद्धसेन दिवाकर बार्शनिक सन्मति तर्क (प्रा०).न्यायावतार, द्वात्रिंशत् द्वात्रिंशिका (२२ मिलती हैं) विक्रम पाँचवीं-छठवीं भद्रबाहु आगमिक एकादशनियुक्ति-आवश्यक नि, दशवकालिक नि०, उत्तराध्ययन नि०, आचारांग नि०, सत्रकृतांग नि०, सूर्यप्रज्ञप्ति नि०, दशाश्रुतस्कन्ध, व्यवहार सूत्र नि०,पिण्डनियुक्ति, ओषनियुक्ति, बृहत्कल्प नि०, ऋषिभाषित नि०। वट्टकेर आगमिक मूलाचार शिवार्य (शिवनंदि)पापनीय आगमिक आराधना* (२१७० गाथा) सर्वनंदि आगमिक लोक विभाग (प्रा०,५१४) यति वृषभाचार्य " तिलोय पन्नत्ति (५३५) * आराधना आश्रित साहित्य (१) अपराजित सूरि (विजयाचार्य) कृत विजयोदया टीका सबसे प्राचीन और प्रथम, Jain Education Internation For Private &Personal use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवनंदि ( पूज्यपाद जिनेंद्र बुद्धि) चन्द्रपिं महत्तर छठवीं देवगिणि क्षमाश्रमण (देववाचक) आगम ( आगमों को पुस्तकारूढ किया) मल्लवादी (दोनों अनुपलब्ध) ( ४ ) आगमिक व्याकरण (६) श्रीचंद - टिप्पण (७) जयनंदि - टिप्पण योग वैद्यक मंत्र प्रकीर्णक असल सूत्र पाठ ३००० सूत्र दार्शनिक कर्मशात्र सर्वार्थसिद्धि, ( तस्दार्थ टीका ) जेनेंद्र * शब्दावतार न्यास ( पाणिनि पर अनुपलब्ध) समाधितंत्र वैद्यकशास्त्र (२) अमितगति संस्कृत आराधना, (३) पं. आशाघर - मूलाराधना दर्पण (४) प्रभाचंद्र - आराधना पंजिका, आराधना कथा कोश. (५) पं. शिवलाल जी - भावार्थ दीपिका ( १८२८), एक प्राकृत टीका मंत्र यंत्र शास्त्र अर्हस्प्रतिष्ठा लक्षण (अनु० ), सारसंग्रह (अनु० ), जैनाभिषेक (अनु०), शान्त्यष्टक (अनु० ), दशभक्ति इष्टोपदेश नन्दीसूत्र नयचक्र ( द्वारशार), सन्मतितर्क टीका (अनु०), पंचसंग्रह सटीक (८) देवसेन - कृत आराधनासार, * जैनेन्द्र व्याकरण (अनेक शेष) पर टीकाएं आचार्य अभयनंदिकृत महावृत्ति श्लोक१२००० नौवी बारहवीं शताब्दी के बीच श्रुतकीर्तिकृत पंचवस्तु प्रकिया ३३००० श्लोक | प्रभाचंदकृत शब्दाभोजभास्कर व्यास १६००० श्लो. पर प्राप्य १२००० लोक महाचंद्रकृत लघुजैनेन्द्र (बीसवीं शताब्दी) संघदास क्षमाश्रमण धर्मसेन गणि जिनभद्र क्षमाश्रमण कोट्टाचार्य धर्मदास गणि (?) मानतुंग सूरि ( ? ) सिंगणि ( सिंहसूर) जिनदास महत्तर (चूर्णिकार ) समन्तभद्र कोट्याचार्य हरिभद्रसूरि पीछले सूत्र पाठ पर ३७०० (१) कथा वसुदेव हिडि आगमिक पंचकल्प भाष्य ( संघदास तथा धर्मसेन दोनों ने मिलकर ) विक्रम सातवीं आगमिक 12 औपदेशिक स्तोत्र दार्शनिक आगमिक आचार दार्शनिक स्तोत्र विशेषावश्यक भाष्य सटीक जीतकल्पसूत्र, ( ६६६ ), मु विशेषणवती, विशेषावश्यक टीका उपदेशमाला ( प्राकृत ) भक्तामर स्तोत्र नयचक्र की टीका नंदी सूत्र चूर्णि (६३५ में ) निशीथसूत्र चूर्णि रत्नकरंडधावकाचार, * आप्तमीमांसा युक्त्यनुशासन, स्वयंभू स्तोत्र, विक्रम आठवीं आयमिक गुणनंदिकृत प्रक्रिया - (शब्दार्णवप्रक्रिया यही पीछला सूत्र पाठ माना जाता है। सोमदेव सूरिकृत शब्दार्णव चन्द्रिका (गुणनंदिके शब्दार्णव पर यही टीका है ) चारुकीर्तिकृत शब्दाव प्रक्रिया (जैनेन्द्रप्रक्रिया) जैनेन्द्र भाग्य ( अनुपलब्ध) * प्रो० हीरालालजी ने अन्य कर्तृक सिद्ध किया है। आगमिक अनुयोगद्वारवृत्ति, नन्दी लघु वृत्ति, प्रज्ञापनासूत्र व्याख्या, आवश्यक लघुटीका, आवश्यक बृहत्टीका, ओधनियुक्तिवृत्ति, Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अनुपलब्ध (&). जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिटीका, जंबूद्वीप संग्रहणी, जीवाभिगमलघुवृत्ति, तत्त्वार्थ सत्रलघुवृत्ति, पंचनियंठी, दशवैकालिक लघुवृत्ति और वृहबुवृत्ति, नन्द्यध्ययन टीका, पिडनिक्तिवृत्ति, प्रज्ञापनाप्रदेश व्याख्या, दार्शनिक अनेकांतजयपताका ( सटीक ) अनेकान्तवादप्रवेश, न्यायप्रवेश (दिङनाग ) टीका, षड्दर्शन समुच्चय, शास्त्रवातसमुच्चय प्र तत्त्वतरंगिणी, त्रिभंगी-सार, न्यायावतारवृत्ति * पंचलिंगी, द्विजवदनचपेटा, परलोक सिद्धि, वेदबाह्यत निराकरण, षड्दर्शनी, सर्वज्ञ सिद्धि, स्याद्वाद कुचोयपरिहार, * धर्मसंग्रहणी, लोकतत्व निर्णय, योगदृष्टिसमुच्चय, योगविदुः योगशतक, योगविशति, षोडशनी । afer कथा समराइच्चकहा, मुनिपतिचरित्र, यशोधरचरित्र, वीरांगद कथा, कथा कोश, नेमिनाथ चरिउ, धूतस्थान, योग भूगोल लोकबिंदु क्षेत्रसमास वृत्ति, प्रकरण अष्टकप्रकरण, उपदेशप्रकरण, धर्मविदुप्रकरण, पंचाशक, पंचवस्तु - ( सटीका ), पंचसूत्रटीका, हरिषण अपराधिय चतुर्मुख स्वयंभू ( ७ ) चरित्र आगमिक पुराण प्रज्ञप्ति, धावक भर्हतुश्री चूडामणि, उपदेशपव कमंस्तववृत्ति, कुलकानि, क्षमावल्लीबीजम् चैत्यवंदनभाष्य चैत्यवंदन वृत्ति, ज्ञानपंचमी विवरण, दर्शन शुद्धिकरण, दर्शन सप्ततिका, देवेन्द्रनरेन्द्र प्रकरण, धर्मलाभ सिद्धि, धर्मसार, ध्यानशतक वृत्ति, नानाचित्रप्रकरण, यतिदिनकृत्य, लघुक्षेत्र समास, लघुसंग्रहणी, आत्मानुशासन, वीरस्तव, व्यवहार कल्प, आवक प्रज्ञप्तिवृत्ति, श्रावकधर्मतंत्र, संकितपंचासी संग्रहणीवृत्ति, पंचासितरि, संबोधसित्तरि, संबो धप्रकरण, संसारदावानल स्तुति, दिनशुद्धि, प्रतिष्ठाकल्प, बृहन्म ध्यात्वमथनम् ललितविस्तरा, पद्मचरित पद्मपुराण आराधना की विजयोदया टीका दशकालिक पर विजयोदया टीका हरिवंश पद्मपुराण पउमचरिउ ( अपभ्रंश), तीनों पिता रिट्ठनेमिचरिउ पुत्र ने (हरिवंशपुराण) (")) मिलकर पंचमी चरिउ बनाये ( नागकुमार चरित्र) (") Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रिभुवन-स्वयंभू (स्वयंभू के पुत्र) व्याकरण स्वयंभू व्याकरण, स्तोत्र स्वयंभू छंद दार्शनिक अष्टशती, लघीयस्त्रय, प्रमाण संग्रह, न्यायविनिश्चय सिद्धिविनिश्चय, तत्त्वार्थ की राजवार्तिक टीका विक्रम नवमी उद्योतन सूरि (दाक्षिण्यांक सूरि) कथा कुवलय माला (प्राकृत) आचार्य जिनसेन पुराण हरिवंश पुराण कवि परमेष्ठी वागर्थ संग्रह वीरसेन आगमिक - धवला टीका जलधवलाटीका* जिनसेन (वीरसेन के शिष्य) आगमिक जय धवला के ४० हजार इलाक काव्य पाश्र्वाभ्युदय काव्य (८३५) इतिहास आदिपुराण (त्रिपष्ठि चरित्र) शाकटायन (पाल्यकीति दार्शनिक स्त्रीमुक्ति प्रकरण, केवलिभुक्ति (यापनीय) प्रकरण, व्याकरण शब्दानुशासन -अमोघवृत्ति महासेन चरित्र सुलोचना कथा * इस टीका में ६०००० श्लोक है उसमें बीस हजार इलोक वीरसेन ने लिखे, बाकी के चालीस हजार श्लोक जिनसेन ने लिखे । +इसमें २०३८० श्लोंक जिनसेन ने लिखें, शेष तशिष्य गुणभद्र ने लिखा, अर्थात् दोनों ने मिलकर आदिपुराण और उत्तरपुराण पूरा किया । + शब्दानुशासन पर टीकाएं स्वयंकृत-अमोधवृत्ति (स्वापेश) प्रभाचन्द्रकृत-शाकटायन न्यास यक्षवर्मा कृत-चिन्तामणि लघीयसी टीका अजीतसेन कृत-मणि प्रकाशिका अभयचंद्र कृत-प्रक्रिया संग्रह भावसेन विद्य कृत-शाकटायन टीका दयापाल कृत-रूप सिद्धि प्रभंजन चरित्र यशोधर चरित्र धनंजय कोश धनञ्जय नाम माला (अनेकार्थ नाममालायुक्त) (धनंजय निघण्टु नाम माला) काव्य द्विसंधान काव्य x (राघव पाण्डवीय) स्तोत्र विषापहर स्तोत्र विद्यानंद दार्शनिक आप्तपरीक्षा, प्रमाण परीक्षा, पत्र (राजमल्ल सत्य वाक्य परीक्षा, सत्यशासनपरीक्षा, के समकालीन) अष्टसहस्त्री, श्लोकवातिक (तत्त्वार्थसूत्र की टीका) विद्यानंदमहोदय (अनु०) युक्त्यनुशासन टीका, श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र विक्रम दशी शताब्दी जयसिंह सूरि उपदेश धर्मोपदेशमाला वृत्ति शीलाचार्य (तत्त्वादित्य) गमिक आचारांगटीका सूत्रकृतांगटीका जीवसमासवृत्ति शिलाका देव (विमलमति) चरित्र चउपन्नमहापुरुसचरियं (१०००० श्लोक), सर्षि (दुर्ग स्वामी के शिष्य) बार्शनिक न्यायावतार( सिद्धसेन ) टीका कथा उपमितिभवप्रपंचा कथा चंद्रके बलीचरित्र उपदेश उपदेशमाला(धर्मदास कृत). विवरण विजयसिंह सूरि कथा भुवन सुंदरी-८९११ गाथा xद्विसंधार पर टीकाएं नेमिचंद्र कृत-पदकौमुदी टीका कवि देवर कृत-राघव-पांडवीय प्रकाशिका पं बदरीनाथ कृत--संक्षिप्त टीका For Private &Personal use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा काव्य महश्वर सूार पंचमामहात्म्यकथा पंचमामहास संयममंजरी (अपभ्रंशा काव्य) शोभन स्तुति शोभन स्तुति गुणभद्र (जिनसेन के शिष्य) पुराण उत्तरपुराण(आदि पुराणका शेष) उपदेश आत्मानुशासन चरित्र जिनदत्त चरित्र हरिषेण कथा आराधना कथाकोश १२५०० श्लोक कवि पम्प पुराण आदिपुराण चम्पू विक्रमार्जुन विजय कवि पोन्न पुराण शान्तिपुराण देवसेन आगमिक दर्शनसार, आराधनासार, तस्व सार, दार्शनिक लघुनयचक्र,बृहन्नयचक्र(सटीक), आलाप पद्धति टीका प्रकीर्णक भावसंग्रह धनपाल ( धक्कड वंशीय) कथा भवियसत्त कहा (पंचमीकहा) मणिक्यनंदि दार्शनिक परीक्षामुख अनन्तवीर्य सिद्धिविनिश्चय(अकलंक )की टीका विक्रम ग्यारहवीं शताब्दी जम्बूसूरि चरित्र मणिपति चरित्र (१००५) स्तुति जिनशतक. साम्बमुनि जिन शतक की टीका अभयदेवसूरि (तर्कपंचानन ) दार्शनिक सन्मति (सिद्धसेन)की तस्वबोध. “विधायिनी टीका (वादमहार्णव) २५००० श्लोक धनेश्चरसूरि (अभयदेव के शिष्य) कथा सुरसुंदरी कथा (?) स्तोत्र शत्रुजम माहात्म्य. EFFEEEEEEEEEEEEEE पुष्पदंत यहाकवि चरित्र तिसट्ठिमहापुरुषगुणालंकारु (अपभ्रंश), णायकुमार चरिउ (नागकुमारचरित्र) जसहरचरिउ पुराण महापुराण (उत्तरपुराण) कोश कोशग्रन्थ. स्तोत्र शिवमहिम्नस्तोत्र. आचार्य महासेन (जयसेन के चरित्र प्रद्युम्न चरित्र शिष्य गुणाकरके शिष्य) श्री पचनदि भूगोल जंबूदीवपन्नत्ति नेमिचन्द्र (अभयनंदि के शिष्य) कर्मशास्त्र पंचसंग्रह (गोम्मटसार, गोम्मट संग्रह, गोम्मट संग्रहस्त्र) लब्धि. सार (गोम्मटसार का परिशिष्ट भूगोल त्रिलोकसार चामुण्डराय (गोम्मटराय ) कर्मशास्त्र गोम्मटसार की पीरमत्तंडी टीका (कनडी) अजितसेन के शिष्य आगमिक चारित्रसार (तस्वार्थ विषयक) पुराण चामुंडपुराण (त्रिपष्ठिरक्षण पुराण) वीरनंदि (अभयनंदि के शिष्य) चरित्र चंद्रप्रभचरित्रमहाकाव्य इन्द्रनंदि 6) चरित्र श्रुतावतार (श्रुतपंचमी कथा) कनकनंदि बार्शनिक त्रिभंगी माधवचंद्र विद्य (नेमिचंद्र के भूगोल त्रिलोकसार की टीका शिष्य) कर्मशास्त्र क्षपणसार श्रीचंद्र पुराण महापुराण ( पुष्पदंत) का * टिप्पण, पुराणसार. चरित पचरित(रविषण) का टिप्पण * एक भाग मादि पुराण, और दूसरा भाग उत्तर पुराण है। 'आदि पुराण' का टिप्पण अनुपलब्ध है। उत्तर पुराण का टिषण १२७०० लोक है। For Private &Personal use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रभाचन्द्र हरिचन्द्र कवि सोमदेव अनन्त कीर्ति अमितगति ( माथुर संघ के आचार्य, माधवसेन के शिष्य (१२) आगमिक रत्नकरैक्टीका, द्रव्यसंग्रह पञिका, प्रवचनसरोजभास्कर, आराधनाकथाकोश, अष्टपाहुडपञ्जिका, समयसारटीका, पञ्चास्तिकाय टीका, मूलाचार टीका, कथा आराधना टीका, दार्शनिक प्रमेयकमलमार्तण्ड, न्यायकुमुद चन्द्र, सर्वार्थ सिद्धिटिप्पण (तत्त्वार्थटीका का विवरण ), स्वयंभूस्तोत्रपजिका व्याकरण शब्दाम्भोजभास्कर न्यास (जैनेंद्र व्याकरण का भाष्य) क्रिया कलाप टीका. योग समाधितंत्र टीका, उपदेश आत्मानुशासनतिलक, देवागमपञ्जिका (?) दार्शनिक न्यायविनिश्चय(अकलंक टीका कथा पार्वनाथचरित्र यशोधर चरित्र, स्तोत्र एकीभाव स्तोत्र,अध्यात्माष्टक, भूगोल त्रैलोक्य दीपीका, पुराण महापुराण (त्रिषष्टिचरित्र) नागकुमार महाकाव्य भैरव-पद्मावती कल्प, सरस्वती मंत्र कल्प, ज्वालिनी कल्प, आगमिक उपासकाचार बृत्ति, (१) मूला चार वृत्ति दार्शनिक देवागम (समंतभद्र) पर टीका स्तुति जिनशतक (समंतभद्र) पर टीका प्रतिष्ठासार संग्रह वृत्ति (1) काव्य धमेशमाभ्युदय महाकाव्य आगमिक षण्णवति प्रकरण ( अनुपलब्ध) बार्शनिक न्यायविनिश्चयसटीक (2) युक्तिचितामणि (अनु०), त्रिवर्ग महेंन्द्रमातलि संजल्प (अनु०), स्थाद्वादोपनिषत् चम्पू-चरित्र यशस्तिलक चम्मू ___ 'पाश्र्वनाथ चरित्र राजनीति नीतिवाक्यामृत दार्शनिक लघुसर्वज्ञसिद्धि, बृहत्सर्वशसिद्धि, जीवसिद्धि, प्रमाणनिर्णय, आगमिक उपासकांध्ययन (अमितगति थावकाचार), पंचसंग्रह संस्कृत आराधना (प्राकृत से संस्कृत), सामायिक पाठ (योग सार-प्राभूत), जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति (अनु०), चंद्र प्रज्ञप्ति (अनु०), साधद्वयद्वीप प्रज्ञप्ति (अनु०), व्याख्या प्रज्ञप्ति (अनु०) प्रकीर्णक भावना द्वात्रिंशिका, धर्म परीक्षा (१०७०), सुभाषितरत्नसंदोह धर्म परीक्षा (१०४०) . ज्योतिष सिद्धान्तशेखर, ज्योतिष रत्त माला, दैवज्ञ वल्लभ, जातक, पद्धत्ति, गणिततिलक, बीजगणित, श्रीपति निबंध, श्रीपति समुच्चय श्रीकोटिदकरण, धुव मानस करण औपदेशिक उपदेश पद (हरिभद्र) की टीका उपदेश माला बृहत् टीका कथानक उपमितिभवप्रपंचानामसमुच्चय बादिराज सूरि मल्लिषेण हरिषेण श्रीपति भट्ट (केशवदेव के पौत्र और पुष्पदन्त के भतीजे) बसुनंदि वर्षमान सूरि (१.८८ स्वर्ग) Forte & Personale Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शान्ति सूरि वादिवेताल आगमिक उत्तराध्ययन की पाइ टीका (पान्त्याचार्य स्वर्ग १०९६) जिनचंद्रगणि (कुलचंद्रगणि देव नघपद लघुवृत्ति, नवगुप्ताचार्य-तीन नामहै) कक्क पद प्रकरण, सूरि के शिष्य वीराचार्य आराधना पताका जिनेश्वर सूरि ( वर्धमान सूरि, दार्शनिक प्रमालक्ष्म सटीक, पंचलिंगीके शिष्य, खरतर गच्छ के प्रकरण स्थापक) कथा-चरित्र निर्वाण लीलावतीकथा वीर चरित्र प्रकरण हरिभद्र के अष्टकों पर टीका, षट्स्थानक प्रकरण धनेश्वर सूरि स्तोत्र शत्रुजय माहात्मय, कथा सुंर सुंदरी कथा (?) बुद्धिसागर सूरि व्याकरण पंचग्रन्यी व्याकरण (गद्यपद्या. मत्क ७००० श्लोक-संस्कृत प्राकृत) श्वेताम्बर सूरि (खड़गाचार्य) काव्य खड्ग काव्य सूराचार्य द्विसंधान काव्य, नेमि चरित्र पुराण महाकाव्य (१०९०) महा कवि धबल हरिवंश पुराण ( अपभ्रंश १८०० श्लोक मरेश्वर सूरि कथा संयम मंजरी (अपभ्रंश) श्रीचंद्र मुनि महावीरोत्साह (') कथाकोश (अन) सागरदत्त चरित्र-पुराण जंबू चरिउ (अप०) पाश्र्व पुराण (अपभ्रंश) नयनं दि चरित्र-पूराण सुदर्शन चरिउ (अपभ्रंश) (१५) बारहवीं शताब्दी अभयदेवसरि आगमिक ज्ञाताधर्मकथा टीका, (११२० (नवांगीटीकाकार, स्वर्ग विजयादशमी), स्थानांग टीका ११३५ कपड़वंजमें) (११२०), समवायांग टीका (११२०), भगवती टीका (११२८), उपासकदशा टीका अन्तकृद्दशा टीका, अनुत्तरोपपातिक टीका, प्रश्नव्याकरण टीका, विपाक टीका, औपपातिक टीका, प्रज्ञापना टीका, षट्स्थानक भाष्य, पंचाशक वृत्ति, आराधना कुलक स्तुति जयडतिहुअण स्तोत्र (अपभ्रंश) जिनचंद्रसूरि संवेगरंगशाला (११२५) कविसाधारण (सिद्धसेनसरि) विलासवती कथा (समराइच्च कथा से उद्धृत अपभ्रंश ११२३) नमिसाधु आगमिक चैत्यवंदन (आवश्यक) वृत्ति (११२२) धर्मोपदेशमाला बिवरण (प्रा. ११२९) नेमिचंद्रसूरि (आम्रदेव के शिष्य) , उत्तराध्ययन की सुखबोधा टीका कथा-चरित्र रत्नचूड कथा, महावीरचरियं प्राकृत (११३९ ) आख्यान मणिकोश. गुणचंद्रसूरि (सुमति वाचक शिष्य) महावीरचरित्र (११३९) शालीभद्रसूरि (थारापद्रगच्छीय) आगसिक संग्रहणी वृत्ति चन्द्रप्रभ महत्तर चरित्र विजयचन्द्र चरित्र(११२७-३७) वर्धमानाचार्य (नवांगी टीकाकार मनोरमा चरित्र (११४०) अभयदेव के शिष्य) आदिनाथ चरित्र (१९६०) प्रकीर्णक धर्मरत्नकरंडवृत्ति (११७२) Jain Education Internation For Private & Personal use only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रबंध चन्द्रप्रभसूरि (पौर्णमिक गच्छके वाचिक प्रमेयरन कोश स्थापक ११४९) आगमिक दर्शनशुद्धि, जिनवल्लभसूरि (नवांगी अभय- आगमिक सूक्ष्मार्थसिद्धान्त विचार (सार्धदेव के पास पुनर्दीक्षा लेकर शतक) आगमिकवस्तुविचार उनके पट्टधर, पहले जिनेश्वर के सार, षटशिति पिण्डविशुद्धि शिष्य थे, स्वर्ग ११६७) प्रकरण, प्रतिक्रमण सामाचारी, अष्टसप्ततिका पौषधविधि प्रकरण, संघपट्टक धर्मशिक्षा, द्वादशकुलक, प्रश्न त्तरशतक, काव्य श्रृंगारशतक,स्वप्नाष्टक विचार चित्रकाव्य, स्त्रोत्र अजितशांतिस्तंव, भावारिवार स्तोत्र, जिनकल्याणक स्तोत्र बीरस्तव, आदि करीब सौ स्तोत्र, प्रशस्तियां शान्ति सूरि (पूर्णतल्लगच्छीय) दार्शनिक यातार बार्तिक और वा काव्य-टीका तिलक मंजरी टिप्पण, वृन्दावर घटसपर-मेषाम्युदय-शिवभद्र चन्द्रदूत काव्यों की वृत्ति जिनदत्तसूरि (दादा) चरित्र गणघरसार्धशतक, गणधर जिनवल्भल के शिष्य सप्तति आगमिक कालस्वरूप कुलक,विशिका चर्च संदेहदोलावलि, सुगुरु पारतंत्र स्तोत्र स्वाधिष्ठायिस्तोत्र, विघ्नति नाशिस्तोत्र, अवस्था कुल चैत्यवन्दन कुलक, उपदेश उपदेश रसायन, रामदेवगणि (जिनवल्लभ के कर्मशान षडशिति टिप्पनक (११७३ शिष्य ) सत्तरी टिप्पनक (११७३) जिनभनसुरि (जिनवल्लभ के कोश अपवर्गनाममाला कोश (पंचर शिष्य) परिहार नाममाला) पद्मानंद (गृहस्थ) वराग्यशतक कवि श्रीपाल वैरोचन पराजय-महाप्रबंध, स्तोत्र __ सहस्त्रलिंग सरोवर प्रशस्ति, दुर्लभ सरोवर प्रशस्ति, रुद्रमाल प्रशस्ति, आनंदपुरवप्रप्रशस्ति (१२०९) हेमचंद्रसूरि (बृहद्गच्छीय) काव्य नाभेय-नेमि द्विसंधान काव्य. देवभद्रसूरि (नवांगीटीकाकार उपदेश भाराहणासस्थ, संवेगरंगशाला . अभयदेवके प्रशिष्य) कथा-चरित्र वीरचरियं, कहारयणकोसो (११५८), पाश्र्वनाथ चरित्र (११६५) वीरगणि (समुद्रयोषसूरि) आगमिक पिडनियुक्ति वृत्ति (११६९) वर्षमानसूरि (नवांगी टीकाकार चरित्र आदिनाथ चरित्र (१९६०) अभयदेव के शिष्य) प्रकरण धर्मकरंड सटीक (११७२) मुनिचन्द्रसूरि (वादीदेवसूरि के आगमिक सूक्ष्मार्थसाधशतक-णि गुरु वडगच्छीय) (१९६८) सूक्ष्मार्थविचारसार चूमि(११७०)आवश्यक सप्तति कर्मशास्त्र कर्म प्रकृति का टिप्पन, दार्शनिक अनेकान्त जयपताका वृत्ति का टिप्पन (११७६) काव्य-टीका नैषध काव्य पर टीका टीका चिरंतनाचार्य रचित (हरिभद्र सूरि रचित ?) देवेंद्रनरेंद्र प्रकरण पर वृत्ति-(११५८) उपदेशपद (हरिभद्र)का टिप्पन, (११७४) ललितविस्तरा (हरिभद्र) की पंजिका, धर्म बिंदु की वृत्ति, प्रकरण अंगुलसप्तति, वनस्पतिसप्तति का, गाथाकोश, अनुशासनांकुश Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुलक, उपदेशामृत कुलक, प्राभातिक स्तुति, मोक्षोपदेश पंचाशिका, उपदेश पंचाशिका, रत्नत्रय कुलक, शोकहर उपदेश, सम्यक्त्वोत्पाद विधि, सामान्यगुणोपदेश कुलक, हितोपदेश कुलक, कालशतक कुलक. मंडल विचार कुलक, द्वादशवर्गं । वादी देवसूरि (मुनिचंद्र के शिष्य) दार्शनिक प्रमाणनयतत्त्वालोक - 'स्याद्वादरत्नाकर' टीका युक्त (८४००० श्लोक ) जन्म ११४३, बीक्षा ११५२ आचार्य ११७४, स्वर्ग १२२६ देवचन्द सूरि ( हेमचन्द्राचार्य के गुरु ) शान्तिसूर (बृहद्गच्छ ) हेमचन्द्र (पूर्णतल्लगच्छ ) जन्म ११४५, दीक्षा ११५४ आचार्य ११६६, स्वर्ग १२२९ (१८) आगमिक मूलशुद्धि की स्थानक टीका ( स्थानकानि ) शान्तिनाथ चरित्र (प्रा० ) ११६० चरित्र " पृथ्वीचन्द चरित्र व्याकरण सिद्धमशब्दानुशासन बृहद् वृत्ति लघुवृत्ति धातुपारायण, उणादिसूत्रवृत्ति, लिङ्गानुशासन बृहन्म्यास सहित | द्वपाश्रय (संस्कृत) (प्राकृत) कुमारपाल चरित । अभिधानचिन्तामणि सटीक, अनेकार्थं संग्रह सटीक, देशीनाममाला सटीक, निषंदुशेष अलंकार काव्यानुशासन अलंकार चूडा मणि और विवेक सहित छन्दोनुशासन सटीक प्रमाणमीमांसा, अन्ययोगव्यवच्छेदिका । वादानुशासन (अनु० ) काव्य कोष छंब बार्शनिक 37 देवसूरि (वीरचंद्रसूरि के शिष्य) धर्मघोषसूरि ( चन्द्रप्रभ सूरिपौमिक गच्छस्थापक के शिष्य) विनयचंद्र वनेश्वर ि श्रीचंद्रसूरि (पावंदेव सूरि ) धनेश्वर के शिष्य ( १९ ) पुराण योग स्तोत्र स्तोत्र यशोदेवसूरि ( उपकेशगच्छीय) अगमिक नीति आगमिक व्याकरण त्रिषष्टिशला कापुरुषचरित परिशिष्ट पर्व सहित योगशास्त्र सटीक अयोगव्यवच्छेदिका, वीतराग स्तोत्र, महादेव स्तोत्र अनीति (?) जीवानुशासन सटीक (११६२ ) शब्दसिद्धि ऋषि मंडल स्तोत्र नवपद (देवगुप्त कृत) प्रकरण वृत्ति की बृहद्वृत्ति (११६५) नवतत्व प्रकरण की वृत्ति ११७४ चरित्र कथा चंद्रप्रभ चरित्र प्रा० ११७८ कथानक कोश ११६६ आगमिक सूक्ष्मार्थं विचार सार की वृत्ति ( १४००० श्लोक० ११७१) आगमिक निशीय चूर्णि (जिनदास) की विशोद्देशक व्याख्या ११७३ श्रावकप्रतिक्रमण सूत्र की वृति १२२२ नंदी टीका दुर्गपद व्याख्या, सुखबोधा सामाचारी, जीतकल्प बृहत् चूर्णि की व्याख्या १२२७ निरयावल को वृत्ति १२२८० वंदनसूत्रवृत्ति, सर्व सिद्धान्त विषमपद व्याख्या, दार्शनिक न्यायप्रवेशक (दिङनाग ) की हारिभद्रीय वृत्ति की पञ्जिका ११६९ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २१ ) हरिभव सूरि (जिनदेव उपाध्याय कर्मशास्त्र बंधस्वामित्व-पडशिति-कर्म ग्रन्थ के शिष्य) की वृत्ति १९७२ चरित्र मुनिपतिचरित्र प्रा०, धेयांस चरित्र, चरित्र मुनिसुव्रत चरित्र (?) स्तोत्र-कल्प प्रतिष्ठा कल्प, उपसर्गहर स्तोत्र (भद्रबाहु) की टीका (?) यशोदेव सूरि (वीरगणि के आगमिक शिष्य श्रीचंद्रसूरि के शिष्य) ११७२ ईपिथिकी चूणि, चैत्यवंदन चूर्णि बंदनक चूणि, पिंडविशुद्धि (जिन वल्लभ) लघुवृत्ति११७६,पाक्षिक सूत्र की सुखविबोषा टीका ११८०, पच्चक्लाणसरूव ११८२ हेमचंद्र सूरि-*मलधारी आगमिक विशेषावश्यकभाष्य की बृहत् वृत्ति (२८०० श्लो०, ११७५) आवश्यक टिप्पनक (आवश्यक प्रदेश व्याख्या) ५००० श्लोक, अनुयोगद्वार वृत्ति, जीवसमास बृत्ति (७००० श्लो. ११६४) नंदीसूत्र टिप्पनक शतकनामा कर्म गंथ पर वृत्ति ४००० श्लो. उपदेश उपदेशमाला सटीक १४००० श्लोक भवभावनासटीक (१३००० श्लो०, ११७०) अमरचंद्र सूरि (नागेन्द्र गच्छीय, सिद्धान्तार्णव (?) आनंद सूरि के गुरुभाई) हरिभद्र सूरि (आनंद सूरि के पट्टधर) तत्त्वप्रबोध * विशेषावश्यक भाष्य बृहृदवृत्ति में उनके सात सहायकों के नाम १ अभय कुमार गणि ५ विबुध चंद्र गणि २ धनदेव गणि ६ आनंद श्री महत्तरा साध्वी ২ লিনগর মলি ७ वीरमति गणिनि साध्वी ४ लक्ष्मण गणि उपदेश प्रशमरति (उमास्वाति) की वृत्ति ११८५ क्षेत्रसमास की वृत्ति जिनेश्वर सूरि चरित्र मल्लिनाथ चरित्र प्रा० ११७५ विजय सिंह आचार्य चंद्र गच्छीय आगमिक प्रतिक्रमण सूत्र की चूणि ४५०० श्लो०; १९८३ धर्मधोष सूरि(राजगच्छीय शील धर्म कल्पद्रुम ११८६ भद्र सूरि के शिष्य) यशोभद्रसूरि (धर्मघोष के शिष्य) गद्य गोदावरी ग्रंथ महेन्द्र सूरि नर्मदा सुंदरी कथा ११८७ आम्रदेव सूरि (वडगच्छीय जिन कथा । आख्यानमणिकोश (नेमिचंद्रसूरि) चंद्र सूरि के शिष्य की टीका ११९० नन्न सूहि धम्मविहि सिद्धसूरि (उपकेशगच्छीय देव- भूगोल क्षेत्र समास पर वृत्ति ११९२ गुप्त सूरि के शिष्य) नयमंगल आचार्य अलंकार कवि शिक्षा विजयसिंह सूरि (मलधारी हेम- उपवेश धर्मोपदेशमाला विवरण चंद्र के शिष्य) १४४७१ श्लो.; ११९१ श्रीचंद्रसूरि आगमिक संग्रहणीरत्न प्रा. चरित्र मुनिसुव्रत चरित्र १०९९४ गाथा; ११९३ विबुधचंद्रसूरि " क्षेत्रसमास लक्ष्मणगणि सुपासनाहचरिय देवभद्रसूरि (मलघारी श्रीचंद्र संग्रहणी (श्रीचंद्र) को वृत्ति सूरि के शिष्य) For Private &Personal use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२ ) बार्शनिक न्यायावतार का टिप्पण वर्षमानसूरि (गोविन्दसूरि के व्याकरण गणरत्नमहोदधि सटीक शिष्य) चरित्र सिद्धराज वर्णन सिंहसूरि भूगोल लोकविभाग (संस्कृत) आचार्य अमृतचंद्र आगमिक तत्त्वार्थमार, पंचास्तिकाय टीका उपदेश पुरुषार्थसिद्धयुपाय बादीभसिंह (पुषसेन के शिष्य) गद्यचूडामणि, क्षत्रचूडामणि, (ोडयदेव) बागभट काव्य नेमिनिर्वाण महाकाव्य, * अलंकार वाग्भटालंकार जयकीति छंदोनुशासन देवचंद्रसूरि (वष्टिदेव) सुलसाख्यान, ( अपभ्रंश) स्तोत्र मुनिचंद्रस्तव (अपभ्रंश) जिनदत्तसूरि चर्चरी, उपदेशरशायन रास, कालस्वरूप कुलक(तीनों अपभंश) घाहिल चरित्र पउमसिरि चरिय, (अप.) तेरहवीं शताब्दी मलयगिरि व्याकरण मलय गिरि व्याकरण (मुष्टि व्याकरण) ६००० श्लोक * इसपर भट्टारक ज्ञानभूषण कृत पंजिका है। वागभटालंकार पर टीकाएँ। १ जिनवर्धमान सूरिकृत २ सिंहदेवगणि कृत ३ क्षेमहंसगणि कृतं ४ राजहंस उपाध्यायकृत ५ वादिराज कृत-कविचन्द्रिका टीका, ६ गणेश वैष्णव कृत, ( २३ ) आगमिक आवश्यक बृहत्वृत्ति, ओध नियुक्ति वृत्ति, चंद्रप्रज्ञप्ति वृत्ति, जीवाभिगम बुत्ति,ज्योतिष्क रंडक टीका, नंदी सूत्र टीका, पिंड नियुक्ति वृत्ति, प्रज्ञापना वृत्ति बृहत्कल्पपीठिकावृत्ति, भगवती द्वितीय शतक वृत्ति, राजप्रश्नीय वृत्ति, विशेषावश्यक वृत्ति (?) व्यवहार सूत्र वृत्ति, क्षेत्र समास (जिनभद्र) वृत्ति, कर्मप्रकृति टीका, धर्मसार टीका, पंचसंग्रह (चंद्रषिमहत्तर)टीका, षड़शिति वृत्ति, सप्ततिका ( कर्मग्रन्थ) टीका । दार्शनिक धर्मसंग्रहणी टीका, लक्ष्मण गणि चरित्र सुपासनाह चरिय(१०००० श्लो. मलधारी हेमचंद्र के शिष्य जिनभद्र औपदेशिक उपदेशमाला १२०४ चन्द्रसेन (चांद्रकुलीय प्रद्युम्न दार्शनिक उत्पादादि सिद्धि सटीक सूरि के शिष्य) नेमिचंद्र अनन्तनाथ चरित्र (१२१३) कनकचंद्र पृथ्वीचंद्र टिप्पण (१२२६) शीलभावना वृत्ति (१२१४) श्रीचंद्रसूरि (चन्द्र गच्छोय सनतकुमार चरित्र (८००० देवेन्द्र सूरि के शिष्य) श्लो. १२१४) श्री चंद्र सूरि (मलधारी हेमचंद्र आगमिक आवश्यक प्रदेश व्याख्या पर के शिष्य) टिप्पन १२२२ मुनिरलसूरि (पौर्णमिक चरित्र अममस्वामि चरित्र (१२२४) गच्छीय समुद्रघोष सूरि के अंबड चरित्र, मुनिसुव्रत चरित्र शिष्य) For Private &Personal use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोमप्रभ सूरि ( वडगच्छीय ) विजय सिंह सूरि (पोगच्छीय) हरिभद्र सूरि बडगच्छीय पद्मप्रभ सूरि परमानंद सूरि (शांति सूरि शिष्य अभयदेव सूरि के शिष्य) रामचंद्र सूरि (हेमचंद्र के शिष्य) एक सौ प्रबन्ध के कर्ता ( २४ ) काव्य सुमतिनाथ चरित्र ( प्रा० ) कुमारपाल प्रतिबोध (१२४१) शतार्थ काव्य (सं) सूक्तिमुक्तावलि, सिंदुरप्रकर सोमशतक १२३३-३५ भूगोल जम्बूद्वीप समात ( उमास्वाति ) टीका-विनेयजनहिता (२२१४) क्षेत्रसमास (जिनभद्र) वृत्ति (?) चौबीस तीर्थंकर चरित्र (चंद्रप्रभ मल्लि, नेमि उपलब्ध १२१६ श्लोक. २४००० ज्योतिष भुवनदीपक ग्रहभावप्रकाश (१२२१) sifare (गर्ग) टीका (प्रथमकर्म ग्रन्थ पर आगमिक द्रव्यालंकार स्वोपज्ञ वृत्ति युक्त वार्शनिक व्यतिरेक द्वात्रिंशिका व्याकरण नाटक सिद्धहेम न्यास ( ५३००० इलो०) सत्यहरिश्चन्द्र नाटक, निर्भयभीमव्यायोग राघवाभ्युदय, यदुविलास रघुविलास, नलविलास, मल्लिकामकरन्द रोहिणी मृगांक वनमाला, सुधाकलशकोश, कोमुदी मित्राणंद नाट्यदर्पण सटोक कुमार विहारशतक, युगादिदेव द्वात्रिंशिका, प्रासाद द्वात्रिंशिका मुनिसुव्रत द्वात्रिंशिका, आदिदेव स्तव, नाभिस्तव, सोलह स्तवन, स्तोत्र महेन्द्र सूरि (हेमचन्द्र के शिष्य) वर्धमान गणि (") बालचन्द्र (") रनप्रभ सूरि (वादीदेवरि के शिष्य) ( २५ ) कोष रामभद्र (देवसूरि संतानीय जय प्रभ सूरि के शिष्य ) यशपाल मंत्री आचार्य मल्लवादी नरपति (धारा के आम्रदेव का पुत्र) प्रद्युम्नसूर (बादिदेव सूरि के दार्शनिक शि० महेन्द्र सूरि के शिष्य ) जिनपति सूरि (") नाटक 13 " दार्शनिक शकुन ग्रंथ "1 प्रकरण अनेकार्य संग्रह कोश पर अनेकार्थ कैरवाकरकौमुदी टीका १२४१ कुमार विहार शतक पर व्याख्या चंद्रलेखा विजय नाटक चरित्र मानमुद्रा भंजननाटक, ( अनुपलब्ध) स्नातस्या स्तुति प्रबुद्धरोहिणेय नाटक तीर्थमाला, संघ पट्टक (जिन वल्लभ) बृहद्वृत्ति पंचलिगि (जिनेश्वर ) विवरण दार्शनिक स्याद्वादरत्नाकरावतारिका मोहपराजय नाटक धर्मोत्तर टिप्पनक नरपतिजयचर्या वादस्थल ( जिनपति का खंडन ) प्रबोध्यवादस्थल (ऊपर के ग्रन्थ का खंडन) महेश्वर सूरि सोमप्रभ सूरि कुमारपाल प्रतिबोध (१२४१) हेमप्रभ सूरि (पौर्णमिक यशोघोष प्रकीर्णक प्रश्नोत्तर रत्नमाला (विमलसूरि ) सूरि के शिष्य) परवृत्तिं ( १२४३ ) नेमिनाथ चरित्र प्रा० १२२३ उपदेशमाला ( धर्मदास) दोघट्टी वृत्ति पाक्षिक सप्तति पर सुखप्रबोधिनी वृत्ति Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिलकाचार्य (स्वर्ग० १३०८) ( २७ ) आगमिक जीतकल्प वृत्ति १२७४ सम्यक्त्व प्रकरण-दर्शनशुद्धि टीका (दादागुरु ने प्रारम्भ की हुई पूरी की) १२७७ आवश्यक नियुक्ति लघुवृत्ति, दशवकालिक टीका श्रावक प्रायश्चित्त समाचारी पोषध प्रायश्चित्त समाचारी वंदनक प्रत्याख्यान लघुवृत्ति, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघवृत्ति पाक्षिकसूत्र-पाक्षिक क्षामणकावचूरि। षट्स्थानक (जिनेश्वर) वृत्ति १२६२ दार्शनिक पंचलिंगीविवरण टिप्पन १२९३ चरित्र सनत्कुमार चरित्र शतपदी प्रश्नोत्तर पद्धति प्रा० १२६३ काव्य नारायणानंद काव्य १२७७-८७ विवेक विलास व्याकरण स्यादिशब्दसमुच्चय ( २६ ) परमाणद सूरि बार्शनिक खंडन मंडन टिप्पन (वादी देव सूरि के प्रशिष्य) देवमन (अभयदेव की परंपरा में) बार्शनिक प्रमाण प्रकाश चरित्र श्रेयांस चरित्र रियन सूरि दिवभद्र के शिष्य) आममिक प्रवचनसारोद्धार (नेमिचंद्र ) पर तत्त्वज्ञान विकाशिनी टीका (१२४८) सामाचारी चरित्र, पद्मप्रभ चरित्र स्तोत्र स्तुतियां आसड काव्य मेघदूत टीका स्तोत्र जिन स्तोत्र स्तुतियाँ औपदेशिक उपदेश कंदली विवेक मंजरी यशोभद्र (धर्मघोष के प्रशिष्य) गद्य गोदावरी नेमिचंद्र . आगमिक प्रवचनसारोद्धार की विषमपदव्यख्याटीका शतककर्म ग्रन्थ पर टिप्पनक कर्मस्तव टिप्पनक पृथ्वीचंद्र कल्प टिप्पनक उदयसिंह (श्रीप्रम के शिष्य) धर्म विधि (श्रीप्रभ) टीका (१२५३) देवसूरि चरित्र पद्मप्रभ चरित्र प्रा० (१२५) नेमिचन्द्र श्रेष्ठी औपदेशिक सट्ठिसय (पष्ठिशतक) उपदेश रसायन (जिनदत्त) का विवरण, द्वादश कुलक (जिन वल्लभ) विवरण (१२९३) चर्चा चर्चरी (जिनदत्त) विवरण मलयप्रभ(मानतुंगसूरि के शिष्य) स्वप्न स्वप्नविचार भाष्य, सिद्ध जयंति (मानतुंग) वृत्ति (१२६०) जिनपाल (जिनपतिसूरि के शिष्य) धर्मघोष (अंचलगच्छीय) वस्तुपाल जिनदत्तसूरि (वायडगच्छीय) अमरचन्द्र रि (जनदत्त के शिष्य) काव्य कविकल्पलता सटीक, कवि शिक्षावलि, काव्यकल्पलता परिमल सटीक,पयानंद काव्य (जिनेन्द्र चरित्र) कलाकलाप बालभारत छंदै छन्दोरत्नावलि अलंकार अलंकार प्रबोध सुभाषित सूक्तावलि For Private & Personale Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२८) वालचन देवेन्द्र सूरि गुणवल्लभ अजितदेव हरिभद्र पूर्णभद्र विजयपाल वर्षमान सूरि जयसिंह सूरि काव्य वसतावलास काव्य औपवेशिक उपदेश कंदली पर टीका १२७८ विवेक मंजरी पर टीका, नाटक करुणाबच्चायुध नाटक चरित्र चन्द्रप्रभचरित्र १२६४ व्याकरण व्याकरण चतुष्कावनिर(१२७२) योग योगविद्या चरित्र मुनिपति चरित्र १२७३ हया-चरित्र दश उपासक कया १२७५ द्रौपदी स्वयंवर नाटक चरित्र वासुपूज्य चरित्र १२२९ काव्य वस्तुपाल तेजपाल प्रशस्तिकाव्य नाटक हम्मीरमदमदन नाटक( १२७६ ८६) काव्य सुकृतकल्लोलिनी (प्रशस्ति काव्य) चरित्र धर्माभ्युदय महाकाव्य (संघाधि पतिचरित्र) नेमिनाथ चरित्र ज्योतिष आरम्भसिद्धि कर्मशास्त्र षडशिति और कर्मस्तव पर टिप्पन उपदेशमाला (धर्मदास) वाणिका टोका (१२९९) चरित्र पार्श्वनाथ चरित्र १२७६ शांतिनाथ चरित्र काव्य काव्य प्रकाश संकेत (काव्य प्रकाशकी टीका (१२७६) चरित्र पांडव चरित्र, मृगावती चरित्र, काकुत्स्थ केलि ( २९ ) नरचंद्र सूरि (देवप्रभ के शि०) व्याकरण प्राकृतदाापका प्रबाष कथा कथारत्न सागर अनर्घराघव (मुरारिकृत) टिप्पन दार्शनिक न्यायकंदली (श्रीधर) टीका ज्योतिष ज्योतिःसार (नारचंद्र ज्योति: सार) चतुर्विशति जिन स्तुति नरेन्द्रप्रभ अलंकार अलंकारमहोदधि अभयदेव सूरि (द्वितीय) काव्य जयंत विजय काव्य (१२७८) श्रीप्रभ सूरि व्याकरण कारक समुच्चय (हमचंद्र) वृत्ति (१२८०) लक्ष्मीधर कथा तिलकमंजरौ कथासार पूर्णभद्र गणि चरित्र अतिमुक्तक चरित्र १२८२ , धन्य शालीभद्र चरित्र १२८५ " . कृतपुण्य चरित्र १३०५ बप्पट्टि अलंकार काव्यशिक्षा विनयचंद (बप्पभट्टि के शिष्य) चरित्र मल्लिनाथ चरित्र पार्श्वनाथ चरित्रादि २० प्रबंध कविशिक्षा (?) १२८५ सर्वदेव स्वप्न स्वप्नसप्ततिका वृत्ति महेन्द्र सूरि (धर्मघोष के पट्ट शि०) शतपदी (धर्मघोष) विस्तार १२९४ स्तोत्र तीर्थमाला स्तोत्र सटीक प्रा० जीरावल्ली पार्श्व स्तोत्र भुवनतुंग सूरि आगमिक चतुःशरणवचूरि पद्मप्रभ सूरि चरित्र : मुनिसुव्रत चरित्र, कुंथुचरित्र, पार्श्वस्तव भुवनदीपक १२९४ सुमतिगणि (जिनपति सरि के गणधरसार्धशती (जिनदल) शिष्य) बृहद्वृत्ति १२९४ उदयप्रभ सूरि उपदेश माणिक्यचंद्र सूरि देवप्रभ सूरि For Private &Personal use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धनपाल माघनन्दि कथा तिलकमंजरा कथासार १२६१ आगमिक शास्त्रसार समुच्चर कल्प प्रतिष्ठा कल्प (३०) उदयसिंह सूरि आगमिक पिण्डविद्धि (जिनवल्लभ) दीपिका सूत्रसहित गुणाकर सूरि आयुर्वेद योगरत्नमाला (नागार्जुन ) वृत्ति १२९९ मलधारी पद्मप्रभ आगमिक नियमसार तात्पर्य टीका समन्तभद्र (लघु) दार्शनिक अष्टसहस्त्रीविषमपदतात्पर्य टीका शिवकोटि (समन्तभद्र के शिष्य) आगमिक तत्त्वार्थ टोका पं० आशाधर आयुर्वेद अष्टांग हृदय सटीक, अष्टांग हृदय घोतिनो टीका आगमिक धर्मामृत शास्त्र मूलाराधना टीका, सागार धर्मामृत टीका १२८५ अनगारधर्मामृत टीका १३०० आराधना सार टीका ' दार्शनिक प्रमेयरत्नाकर कोश अमरकोश पर टीका, व्याकरण क्रिया कलाप अलंकार काव्यालंकार पर टीका त्रिषष्टिस्मृति शास्त्र १२९२ भरतेश्वराभ्युदय राजीमती विप्रलम्भ कल्पादि जिनयशकल्प, ज्ञान दीपिका, इष्टोपदेश, भूपाल चतुर्विशतिका टीका सहस्त्रनाम स्तव सटीक, नित्य महोद्योत, रत्नत्रय विधान, भव्य कुमुद चंन्द्रिका टीका योग अध्यात्म रहस्य, शुभचन्द्र (मेघचंद विद्य के योग ज्ञानार्णव (योग प्रद्रीप)१२०७शिष्य ८४ के बीच १३ वीं सदी अपभ्रंश हेमचन्द्राचार्य अपभ्रंशव्याकरण अमरकीर्ति कर्मशास्त्र छक्कम्मोवएस (१२४७) योगचन्द्र (योगीन्द्रदेव) योगसार, परमात्मप्रकाश माइल्ल धवल दर्शनशास्त्र (देवसेन) दोहा में किया । हरिभद्रसूरि नेमिनाहचरिय ८०३२ गाथा वरदत्त वचस्वामी चरित्र रत्नप्रभ अंतरंगसिद्धि, कुछ कुलक जयदेवगणि भावना संधि रत्नप्रभाचार्य उपदेशमाला दोघट्टी के कुछ अंश सोमप्रभ सूरि कुमारपाल प्रतिबोष के कुछ अंश चौदहवीं शताब्दी देवेन्द्र सूरि (जगत् चन्द्र सूरि के कर्मशास्त्र पांच नव्य कर्मग्रन्थ सटीक शिष्य) स्वर्ग० १३२७ (कर्मविपाक कर्मस्त व, बंधस्वा मित्व, षडशिति, शतक) आगमिक तीन भाष्य श्रावक दिनकृत्य सवृत्ति, धर्मरत्नटीका सिद्धपंचाशिका (1) चरित्र सुदर्शनाचरित्र, प्रकीर्णक दानादिकुलक, अनेक स्तवन प्रकरण आदि सतिन्द चरित्र चन्द्रप्रभचरित्र (१३०२) Jain Education Internation For Private &Personal use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परमानन्दसूरि ( नवागा० अभयदेव के शिष्य) यशोदेव लक्ष्मीतिलक चन्द्रतिलक उ धर्म तिलक अभय तिलक जिनेश्वरसूरि पूर्णकला ( जिनेश्वर के शिष्य) व्याकरण द्वयाश्रय ( हेमचन्द्र ) वृत्ति १३०७( प्राकृत ) प्रत्येकबुद्ध चरित्र (सं०) १२११ अभयकुमारचरित्र ९०३६ श्लोक, सुरप्रभ विद्यानन्द जयमंगलसूरि "1 ( ३२ ) " हितोपदेशमाला वृत्ति (१३०४) उपदेश चरित्र उपदेश भावनासार धर्मोपदेश प्रकरण प्रा० शान्तिनाथ चरित्र १३०७ विधिविधान श्रावकधर्मविधि ( १३१३) बृहद्वृत्तियुक्त ( १३२७ ) चरित्र चरित्र १३१२ उल्लासिक स्मरण टीका अजितशान्ति ( जिनवल्लभ) टीका १३३२ दार्शनिक पंचप्रस्थन्यायतर्क व्याख्या (न्यायलंकार टिप्पन) तर्कन्याय सूत्र (अक्षपाद) टीका न्यायभाष्य (वात्स्यायन) टीका वार्तिक (भारद्वाज ) टीका तात्पर्य टीका ( वाचस्पति ) की टीका न्यायतात्पर्य परिशुद्धि ( उदयन) टीका न्यायालंकार वृत्ति (श्रीकंठ ) टीका सं० द्वाश्रम (हेमचंद्र) वृत्ति व्याकरण काव्य ब्रह्मकल्प व्याकरण विद्यानन्द व्याकरण अलंकार कविशिक्षा (१३२९-३०) प्रबोधचन्द्र गणि सुनिि नरचन्द्र (कागच्छ देवानन्द विपन्छी विजयचन्द्र सूरि रत्नप्रभसूरि प्रबोधमूर्ति सोमप्रभ (घोष के शिष्य ) ( ३३ ) दार्शनिक संदेहदोलावलि पर बृहद्वृत्ति ( १३२१ ) शान्तिनाथ चरित्र, धर्मोपदेशमाला पर वृत्ति चरित्र उपदेश कल्प गणित मंत्रतंत्र ज्योतिष व्याकरण आगमिक कथा कल्प सोमचन्द्र छन्दः शास्त्र धर्मघोषसूरि (देवेन्द्र के शिष्य) आगमिक स्तोत्र वर्धमान विद्याकल्प लीलावती वृत्तियुक्त गणित तिलक वृति कुवलयमाला ( दाक्षिण्य सिंहसूरि) प्राकृत से संस्कृत व्याकरण दुर्गपदबोधटीका - कातंत्र व्याकरण पर १३२८ वृत्तरत्नाकर पर टीका संघाचारभाष्य चैत्यवंदन भाष्य विवरण आगमिक स्तोत्र स्तुति मन्त्रराज रहस्य १३२२ भुवनदीपक (पद्मप्रभसूर ) वृत्ति १३२६ प्रश्नशतक, जन्मसमुद्र सटीक शब्दानुशासन प्रव्रज्याविधान मूलशुद्धि प्रकरण (१३३८) समरादिस्य संक्षेप १३२४ दीपालिका कल्प ( कल्पनिर्युक्तियुक्त ) कालसप्तति सावचूरि-कालरवरू विचार, श्राद्धजीतकल्प (प्राकृत) दुमकाल संघस्तोत्र, चतुर्विंशति जिनस्तुति यतिजीतकल्प २८ यमक स्तुति Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्षेमकीर्ति मानतुंगाचार्य धर्मकुमार विवेकसागर ( ३४ ) आगमिक वृहत्कल्पसूत्र (भद्रबाहु ) विवृति १३३२ श्रेयांस चरित्र शालिभद्र चरित्र (१३३८) सम्यक्वालंकार, प्रभाचन्द्रसूरि भालचन्द्र माणिक्यसरि उदयप्रभसूरि (विजयसेन के शिष्य) मल्लिषेण ( उदयप्रम के शिष्य) जिनप्रभसूरि चरित्र وا आगमिक कथा-चरित्र पुण्यसार कथानक चरित्र उपदेश शकुन काव्य वार्शनिक आगमिक स्याद्वाद मंजरी (१३४९ ) विधिप्रपा सामाचारी, १३६३. संदेहविषीषधि ( कल्पसूत्रटीका) साधु प्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति १३६४ आवश्यक सूत्रावचूरि कातंत्र व्याकरण पर विभ्रम टीका १३५२ व्याकरणं चरित्र द्वयाश्रयकाव्य (श्रेणिक चरित्र१३५६) व्याकरण प्रभावक चरित्र १३३८ विषयनिग्रहकुलक वृति शकुनसारोद्धार १३३८ कल्पस्तोत्रादि विविधतीर्थकल्प सातसी स्तवन, गौतमस्तोत्र, २४ जिनस्तुति, अजिनराज स्तवन प्रा० द्विअक्षरस्तवन (नेमिनाथ ), पंचपरमेष्ठिस्तव आदि अजितशान्तिस्तवनसि उपसर्ग हर स्तोत्र वृत्ति, धर्माधर्मप्रकरण, भयहर ( मानतुंग) स्तोत्रवृत्ति, चर्चा चतुविध भावना कुलक, तपोमल कुट्टन, जिनप्रभ सूरि जिनप्रेम सूरि के शिष्य (??) संघतिलक सूरि महेश्वर सूरि मेयतुंग विजयसिंह सूरि फेरू (ज्योतिषाचार्य) (३५) सूरिमन्त्रप्रदेशविवरण, महावीर स्तवनवृत्ति १३८० । अपभ्रंश साहित्य मदनरेखा सन्धि, मल्लि चरित्र, नेमिनाथ रास, ज्ञान प्रकाश, वयरस्वामि चरित्र, षट्पंचाशक दिक्कुमारिका अभिषेक, मुनिसुव्रत जन्माभिषेक, धर्माधर्मविचार कुलक श्रावकविधि प्रकरण, चैत्य परिपाटी कथा चरित नर्मदासुंदरी सन्धि १३२८ गौतम स्वामि चरित्र सम्यक्त्व सप्ततिका स्थूलभद्र फाग, युगादिचिच चरित्र कुलक आगमिक कथा कालकाचार्य कथा १३३५ प्रबंध चरित्र प्रबंध चिन्तामणि १३६१ कामदेव चरित्र १४०१ सम्भवनाथ चरित्र १४१३ हैमव्याकरण बृहद्वृत्ति पर दीपिका १३६८ ज्योतिष ज्योतिष सार सटीक विज्ञान द्रव्यपरीक्षा सटीक, रस्न परीक्षा सटीक, वास्तुसार (१३७२). पुंडरीक चरित्र व्याकरण कमलप्रभ चरित्र सोमतिलक (सोमप्रभ के शिष्य) आगमिक नव्य क्षेत्र समास १३७३ विचार सूत्र सप्ततिशतस्थानक, १३८७ स्तोत्रस्तुति सोमप्रभकृत २८ स्तुति पर वृषि Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुधाकलश (मलधारा राजशेखर के शिष्य) जिनकुशल सूरि सोमलिक (विद्यातिलक) रत्नदेव गणि श्री तिलक सर्वानन्द सूरि भुवनतुंग सूरि हस्ति मल्ल कवि (गोविन्द भट्ट के पुत्र) वागभट माघनन्दि सं० १३१७ *दोनों कनटी भाषा में ( ३६ ) संगीत कोश आगमिक दार्शनिक प्रबंध कल्प-स्तोत्र उपदेश चरित्र आगमिक स्तोत्र सुभाषित वज्जालय पर टीका १३९३ गौतमपुच्छा नाटक चरित्र संगीतोपनिषत् १३८०, संगीत सार १४०६ एकाक्षरनाममाला कल्प चैत्यवंदन (जिनदत्त) कुलकवृत्ति षड्दर्शन टीका १३९२ कुमारपाल प्रबंध वीरकल्प (१३८९), लघुस्तव टीका १३९७ शीलोपदेशमाला ( जयतिलक) पर शीलतरंगिणी टीका जगड चरित्र आतुर प्रत्याख्यान वृत्ति, चतुःशरण वृत्ति ऋषिमंडल पर वृि विक्रान्त कौरव, सुभद्राहरण, मैथली कल्याण अंजनापवनंजय, आदिपुराण * ( पुरु-चरित ) श्रीपुराण * प्रतिष्ठाकल्प काव्य शास्त्र काव्यानुशासन स्वोपज्ञवृत्ति युक्त वागभट छन्दोनुशासन छन्द प्रागमिक माघनन्दि आवकाचार दार्शनिक शास्त्रवार्ता समुच्चय पर टीका राजशेखर ज्ञानचंद गुणसमृद्धि महत्तरा (साध्वी ) सुविधा सोमकीर्ति भवदेवसूदि जयसिंह ( ३७ ) पंद्रहवीं शताब्दी दार्शनिक गुणाकर महेन्द्रप्रभसूर मलवेन्द्र (महेन्द्र के शिष्य) रत्नशेखर स्याद्वादकलिका (स्याद्वाद दीपिका), रत्नाकरावतारिका पंजिका, दर्शन समुच्चय, न्यायकंदली पंजिका, प्रबंध चरित्र प्रबंधकोश १४०५ कौतुक कथा, दार्शनिक रश्ना करावतारिका-टिप्पन, चरित्र अंजनासुंदरी चरित्र (प्राकृत) १४०६ शान्तिनाथ चरित्र, " व्याकरण कातंत्रवृत्ति-पंजिका १४११ विधिविधान यतिदिन चर्या प्रा० चरित्र पार्श्वनाथ चरित्र कालकाचार्य कथा, दार्शनिक न्यायसार ( भासवंज्ञ) दीपिका व्याकरण एक व्याकरण भी बनाया है, चरित्र स्तोत्र यंत्र-तंत्र कुमारपाल चरित्र भक्तामर स्तोत्र वृत्ति १४२६ यंत्रराज १४२७ यंत्रराज टीका आगमिक गुणस्थान क्रमारोह सटीक १४४७ संबोध सत्तरि भूगोल लघुक्षेत्र समास सविवरण सिरियाल कहा (प्रा० १४२८) छन्दकोश (") स्तोत्र स्तुति गुरुगुण पत्रिशत् पचिका यंत्र-तंत्र सिद्धयंत्रचक्रोद्धार कथा छंब प्रकीर्णक प्रश्नोत्तर रत्नमाला पर वृद्धि उपदेश दानोपदेशमाला सटीक Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जयशेखर सरि आगमिक कल्पसूत्र सुखावबोध विवरण दार्शनिक न्यायमंजरी काव्य धम्मिल चरित काव्य(१४६२), जैनकुमारसम्भव, नल-दमयंती चम्पू प्रकीर्णक उपदेश चिन्तामणि सावरि प्रबोध चिन्तामणि १४६२ शत्रुजय बत्रीशी, गिरनार बत्रि महावीर बत्रिशी, आत्मबोधकुलक धर्मसर्वस्व, उपदेशमाला अवचूरि, संबोध सप्ततिका, महेन्द्रसूरि (स्व. १४४४) स्तोत्र तीर्थमाला विचार सप्ततिका (1) बेक्तुंग (महेन्द्र सूरि के शिष्य) आगमिक सप्ततिभाष्य पर टीका १४४९ भावकम प्रक्रिया, शतकभाष्य, दार्शनिक षड्दर्शन निर्णय व्याकरण कातंत्र व्याकरण वृत्ति १४ धातु गरायण काव्य मेघदूत सटीक स्तोत्र नमोत्युणं टीका जयानन्द चरित्र स्थूलभद्र चरित्र ज्ञानसागर (देवसदर के शिष्य) आगमिक आवश्यक अवचूणि १४४०, उत्तराध्ययन अवणि १४१ ओपनियुक्ति अवचूर्णि १४४१ स्तुति-स्तोत्र मुनिसुव्रतस्तव, नवखंडपार्श्वस्तक आदि कुलमंडन (देवसुन्दर के शिष्य) आगमिक प्रज्ञापना सूत्र अवचूरि १४३, प्रतिक्रमण सूत्र अवचरि, कल्पसूत्र अवचूरि पाक्षिकसत्तरि, अंगुलसत्तरि सिद्धान्तालापकोद्धार बरित्र-कथा जयानंद चरित्र,मित्रचतुष्क कथा ___काव्य स्थिति स्तोत्र अवचूरि, स्तोत्ररत्न कोश शांतिकर स्तोत्र, सीमंधर स्तुति उपवेश विचारामृतसार, उपदेश रत्नाकर सवृत्ति साधुरत्न (देवसुन्दर के शिष्य) आगमिक यति जीत कल्प वृत्ति १४५६ नवतत्त्व अवचूरि गुणरन * .) भागमिक कल्पान्तर्वाच्य १४५७ सप्ततिका अवचूणि १४५९ चार पयन्ना पर अवचूरि क्षेत्र समास(सोमतिलक)अवचूरि नवतत्त्व अवचूरि ओपनियुक्ति का उद्धार कर्मशास्त्र देवेन्द्रीय कर्म ग्रन्थों पर अवचूरि बार्शनिक षड्दर्शन (हरिभद्र) पर तर्क रहस्य दीपिका टीका १४६६ व्याकरण क्रियारत्न समुच्चय १४६६ मुनिसुन्दरसूरि (सोमसुन्दर के न्यायावि विद्यगोष्ठि (न्याय-व्याकरणशिष्य) काम्य विषयक) चरित्र गुर्वावलि अध्यात्मकल्पद्रुम? त्रिदशतरंगिणी (विज्ञप्ति पत्र) देवानन्द (देवमूर्ति) आगमिक क्षेत्र समास सटीक नयचन्द्रसूरि काम्य 'वीरीक' हम्मीर महाकाव्य नाटक रम्भा मंजरी नाटिका * देवसुन्दर के पांचवें शिष्य सोमसुन्दर सरि For Private & Personal use only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जयचन्द्र सूरि (सोमसुन्दर के शिष्य) आगमिक प्रत्याख्यानस्थान विरमण १५०६ भुवनसुन्दरसूरि (,) जिनकीति सम्यक्त्व कौमुदी प्रतिक्रमण विधि वार्शनिक परब्रह्मोत्थापन लघु महा विद्या विडंबन, प्रकीर्णक व्याख्यान दीपिका नहाविद्या विबृति टिप्पन चरित्र धन्यकुमार चरित्र (दानकल्प द्रुम), श्रीपालगापाल कथा चंपकवेष्ठिकथा नमस्कारस्तववृत्ति, पंचजिन स्तवन श्राद्ध गुण संग्रह आगमिक षडावश्यक वृत्ति, रत्नशेखरसूरि (सोमसुन्दर के शिष्य) नमिसाधु अलंकार रुद्रालंकार टिप्पन रुद्रालंकार तात्पर्य परिशुद्धि (टीका) देवमूर्ति चरित्र विक्रम चरित्र गुणसमुद्रसूरि कथा जिनदत्त कथा १४७४ खंडन-मुंडन अंचलमतवलन हर्षभूषण आगमिक श्राद्धविधि विनिश्चय, पर्युषणा विचार जिनसुन्दर दीपालिका कल्प चारित्रसुन्दर काव्य शीलदूत काव्य, कुमारपाल चरित्र महाकाव्य चरित्र महीपाल चरित्र रामचन्द्रसूरि चरित्र विक्रम चरित्र १४९० पंचदण्डातपत्र (सिंहासन द्वात्रि शिका (क्षेमंकर) के आधार से) शुभशील (मुनिसुन्दर के शिष्य) कथा-चरित्र विक्रम चरित्र १४९०, भरते श्वर बाहुबलि वृत्ति प्रभावक कथा १५०६ व्याकरण उणादि नाम माला कल्प शत्रुजय कल्प वृत्ति जिनमण्डन आगमिक श्राद्धगुण संग्रह विवरण १४९८ उपवेश कुमारपाल प्रबोध १४९२ चर्चा धर्म परीक्षा चरित्र रत्नगणि उपदेश दान प्रदीप जिनहर्ष कथा-चरित्र वस्तुपाल चरित्र, रत्नशेख कथा, आराम शोभा चरित्र आगमिक; विशति स्थानक विचारामृत, प्रतिक्रमण विधि कीतिराज उपाध्याय काव्य नेमिनाथ महाकाव्य १४१५ माणिक्य सुन्दर (जयशेखर-मेरुजुंगके शिष्य श्राद्धप्रतिक्रमण वृत्ति (अर्थदीपिका) १५०६ आचार प्रदीप? प्रकीर्णक प्रबोध चन्द्रोदय वृत्ति कथा-चरित्र चतुःपर्वी चम्पू १४६३ श्रीधर चरित्र, गुणवर्म चरित्र धर्मदत्त कथानक, महाबल मलय सुन्दरी चरित्र आगमिक कल्पनियुक्ति पर अवचूरि आवश्यक नियुक्ति पर दीपिका पिंडनियुक्ति पर दीपिका ओपनियुक्ति दीपिका दशवै कालिक नियुक्ति दीपिका उत्तराध्ययन नियुक्ति दीपिका, आचारांग नियुक्ति दीपिका नवतत्त्व विवरण माणिक्य शेखर (1) For Private &Personal use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धीरसुन्दरगणि सोमसुन्दरसूरि उदय धर्म सर्व सुंदर सूरि मेषराज साधु सोम मंडन मंत्री ऋषि वर्धन धर्मचन्द्र गणि हमेहंस गणि धनराज (धनद) ज्ञानसागर रत्नमंडन गणि (४२) आगमिक आवश्यक नियुक्ति पर अवचूरि आगमिक चउसरण पयन्ना-संस्कत टीका आनुर प्रत्याख्यान अवचूरि सप्तति पर अवचुरि स्तुति-स्तोत्र अष्टादश स्तव सावचुरि व्याकरण सारस्वत मंडन काव्य मंडन, कविकल्पद्रुम चम्पू चम्पू मंडन कथा कादम्बरी मंडन, चंद्र विजय अलंकार अलंकार मंडन शृंगार मंडन संगीत संगीत मंडन उपसर्ग मंडन शृंगार धनद १४१० नीति धनद , वैराग्य घनद , घनद त्रिशतिः .. नाटक ज्योतिः प्रभाकल्याणक नाटक सोलहवीं शताब्दी प्रकीर्णक षष्ठि शतक पर टीका आगमिक उत्तराध्ययन लघुवृत्ति सवेश उपदेश सप्ततिका कथा कथा महोदधि स्तुति सिद्धान्त स्तव (जिनप्रभ) टीका आगमिक सम्यक्त्व कौमुदी १५०४ प्रकीर्णक विद्यासागर सिदुर प्रकर टीका १५०५ काव्य रघुवंश की टीका-शिशुहित षिणी ( ४३ ) वाक्य प्रकाश १५०७ चरित्र हंसराज-वत्सराज चरित्र स्तोत्र वीतराग स्तोत्र चरित्र महावीर चरित्र (जिनवल्लभ) वृत्ति पुष्पमाला वृत्ति नन्दीश्वर स्तवन वृति जिनेन्द्रातिशय पंचाशिका सिंदुर प्रकर पर टीका ज्योतिष आरम्भ सिद्धि पर टीका व्याकरण न्याय मंजुषा बृहद्वृति १५१६ चरित्र विमलनाथ चरित्र । उपदेश उपदेश तरंगिणी चरित्र प्रबंधराज-(भोजप्रबंध) १५१७ चरित्र शालीवाहन चरित्र १५४० कल्प शāजय कल्प १५१८ काव्य सोम सौभाग्य काव्य आगमिक षडावश्यक वृति १५३० कथा-चरित्र चित्रसेन पद्मावती कथा भोज प्रबन्ध १५३० दार्शनिक जल्पमंजरी चरित्र पृथ्वीचन्द्र चरित्र १५३५ चरित्र शान्तिनाथ चरित्र व्याकरण स्यादिशब्द समुच्चय की टीका स्तुति चतुर्विशति जन स्तुति काव्य गुरुगुण रत्नाकर काव्य दार्शनिक बाद विजय प्रकरण १५४५.५१ हेतुखंडन प्रकरण शुभशील गणि ब्रह्मसूरि प्रतिष्ठा सोम राजबल्लभ गुण रत्न तपोरन । सोमधर्मगणि सोमदेवगणि सुधानन्द-गणि के शिष्य गुणाकरसूरि सत्यराज भावचन्द्र सूरि विनय भषण सिद्धान्त सागर सोम चारित्र साधु विनय चारित्र वर्धन For Private &Personal use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सर्व विजय शुभ वर्षन जिन माणिक्य कमल संयम उपाध्याय उदय सागर कीर्ति वल्लभगणि इन्द्रसिंह गणि लब्धिसागर तिलक गणि सिद्धान्तसार अनन्त हंस गणि विनयहंस सोमदेवसूरि सौभाग्यनंदि विद्यारल लावण्य समय गजसार जिनहंससूरि ( ४४ ) चरित्र उपदेश चरित्र स्तोत्र चरित्र आगमिक कर्मशास्त्र आगमिक उत्तराध्ययन दीपिका उत्तराध्ययन पर वृत्ति १५५२ भुवनभानु चरित्र १५५४, बलिनरेन्द्र कथा व्याकरण महजिणाणं पर कल्पवल्लीटीका श्रीपाल कथा १५५७ प्राकृत शब्द समुच्चय १५६१ दार्शनिक दर्शन रत्नाकर १५७० चरित्र दशकृष्टान्त चरित्र १५७१ आगमिक दशवेकालिक वृत्ति उत्तराध्ययन वृत्ति कुमारपाल प्रबोध १५७३ सम्यक्त्व कौमुदी १५७३ मोन एकादशी कथा कुर्मापुत्र चरित्र १५७५ विमल चरित्र १५७८ विचारषत्रिशिकासटीक १५७१ आगमिक आचारांग दीपिका ور चरित्र कथा दशधावक चरित्र वर्षमान देशना दशश्रावक चरित्र ऋषिमंडल वृति कुर्मापुत्र चरित्र उत्तराध्ययन टीका सर्वार्थसिद्धि उत्तराध्ययन दीपिका सिद्धान्तसारोद्धार पर सम्यक्त्वोल्लास टिप्पन कर्मस्तव विवरण चरित्र सहजसुन्दर हर्षकुल गणि लक्ष्मी कल्लोल हृदय सोभाग्य श्रुतसागर १५५० करीब ज्ञान भूषण भट्टारक गुणभद्र भट्टारक ( ४५ ) रत्नश्रावक प्रबंध १५८२ आगमिक सूत्रकृतांग दीपिका १५८३. व्याकरण वाक्य प्रकाश कर्मशास्त्र बन्धहेतूदय त्रिभंगी आगमिक व्याकरण आगमिक तत्वार्थवृत्ति श्रुतसागरी टीका तत्वत्रय प्रकाशिका, षट्प्राभूत टीका व्याकरण औदार्य चिन्तामणि सटीक कथा-चरित्र यशस्तिलक (सोमदेव) चन्द्रिका, व्रतकथा कोश जिनसहस्र ( आशाधर) टीका महाभिषक (आशाधरका नित्य महोद्योत ) टीका श्रुतस्कन्ध पूजा आगमिक सिद्धान्तसार ( जिनवन्द्रसूरि ) भाष्य तत्वज्ञान तरंगिणी १५६० पंचास्तिकाय टीका (अनुपलब्ध) नेमिनिर्वाण काव्य पंजिका स्तोत्र काव्य उपदेश आचारांग अवचूर्णि ज्ञातासूत्र लघुवृत्ति ( मुग्धायबोघा ) स्तोत्र हेम प्राकृतवृत्ति ढुंढिका पर • व्युत्पत्तिदीपिका १५९१ (अनु.) परमार्योपदेश (अनु० ) दशलक्षणोद्यापन, भक्तामरोयापन, सरस्वती पूजा ( ये तोनों अनु० ) चित्रबन्ध स्तोत्र Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४७) नयरंग पद्मराज चारित्र सिंह दयारत्न अजितदेव बन्द्रकीति सत्रहवीं शताब्दी उदयधर्मगणि आगमिक जीवविचार (शान्ति सूरि) वृत्ति १६१० उपदेश उपदेशमालाको ५१वीं गाथा पर शास्त्रार्थ वृत्ति १६०१ जिनचन्द्र सुरि विधि विधान पौषधविधि पर वृत्ति १६१७ साधुकीर्ति संघपट्टक पर अवचूरि १६१९ वानप्रमोद छन्दःशास्त्र वाग्भटालंकार परवृत्ति १६२१ हीरकलश ज्योतिष जोइस हीर प्रा० १६२१ धर्मसागर उपाध्याय आगमिक कल्प किरणावलि १६२८ ।। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति पर वृत्ति १६२ खंडन मंडन औष्ट्रिकमतोत्सूत्रदीपिका (खर तरगच्छ खंडन) १६१७ प्रवचन परीक्षा (कुक्षकौशिका दित्य सवृत्ति) १६२९ आगमिक तत्वतरंगिणी वृत्ति, गुरुतत्व प्रदीपिका ईर्यापथिका षट्त्रिंशिका, गुर्वावलि सवृत्ति पर्युषणशतक सवृत्ति, सर्वज्ञ शतक सवृत्ति वर्धमान द्वात्रिशिका विजयदेव सूरि (ब्रह्ममुनि) आगमिक दशाश्रुतस्कन्ध पर जनहिता पार्शचंद्रीय टीका नम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति पर वृत्ति बजय विमल (वानर ऋषि) आगमिक गच्छाचारपयन्ना पर लघु(बानंदविमल के शिष्य) बृहत् टीका १६३४ दुलवैयालियपयन्ना पर अवचूरि भाव प्रकरण सटीक स्तात्र साधारण जनस्तर पर अपूर कर्म शास्त्र बन्धोदयसत्ता सटीक सावरि १६२३ बन्धहेदूदय (हर्षकुल)त्रिभंगी पर अवचूरि प्रकीर्णक प्रतिलेखना कुलक व्याकरण जिनेन्द्र अनिट्कारिका पर अवक चरित्र परमहंस संबोध चरित १६२४ अर्जुनमालाकर स्तोत्र रुचितदंडक स्तुति पर व्याख्या व्याकरण कातंत्र्य विभ्रम पर अवचूरि १६२५ दार्शनिक न्यायरत्नावलि १६२६ आगमिक पिंडविशुद्धि पर दीपिका व्याकरण सारस्वत व्याकरण पर सुबो धिका दीपिका छन्द-शास्त्र प्राकृत छन्दकोश (रत्नशेखरकृत) पर संस्कृत टीका १६१३ सिद्धचक (रत्नशेखर) टीका उपदेशा ध्यान दीपिका १६२१ धर्मशिक्षा, श्रुतास्वाद शिक्षाद्वार १६३० कल्प प्रतिष्ठा कम १६३० रित्र कथा पार्श्वनाथ चरित्र, १६३२, कथारस्ताकर १६५७ प्रकीर्णक ऋषभशतक, अन्योक्तिमुक्ता. महोदधि कीर्तिकल्लोलिनी, सूक्तरलावलि सद्भाव शतक, चतुर्विशति स्तुति स्तुति त्रिदशतरंगिणी कस्तुरी प्रकर विजय स्तुति सकलचन्द्र गणि हेम विजय For Private & Personale Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य (१५। र अष्टलक्षी ('राजानो ददते सौल्य' की) अर्थ रत्नावलि वृत्तियुक्त वीरभद्र पद्मसागर ( ४८ काव्य विजय प्रशस्ति *(१६ सर्ग पर्यन्त) श्रृङ्गार कन्दर्प चूडामणि १६३३ दार्शनिक नयप्रकाशाष्टक सटीक, युक्ति प्रकाश सटीक प्रमाण प्रकाश सटीक काव्य जगद्गुरु काव्य संग्रह १६४६ उत्तराध्ययन कथा संग्रह (प्राकृत से. संस्कृत) १६५७ कयाचरित्र तिलक मञ्जरी वुचि, यशोधर चरित्र प्रकीर्णक शील प्रकाश, धर्म परीक्षा कथाचरित्र रूपसेन चरित्र, प्रद्युम्न चरित्र मौन एकादशी कथा आगमिक जम्बूदीप प्रज्ञप्ति वृत्ति १६४५ काव्य प्रश्नोत्तर काव्य (जिनवल्लभ) वृत्ति रुचितदंडक स्तुति (भुवनहित) वृत्ति १६४४ विधि विधान इरियावहिका विशिका सटीक १६४० पोषध प्रकरण सटीक १६४५ आगमिक कल्पसूत्र पर कल्पलता वृत्ति दशवकालिक पर शब्दार्थ वृत्ति रवि सागर गुण विनय पुण्यसागर छन्दःशास्त्र वृत्त रत्नाकर पर वृत्ति १६१४ प्रकीर्णक रूपकमालावृत्ति, समाचारी शतक, वशेष शतक, विचार शतक, विसंवाद शतक, विशेष संग्रह, गाथा सहस्री, जयतिहुअण स्तोत्र वृत्ति, संवाद सुन्दर, कल्याण मंदिर वृत्ति दुरियरयसमीर (जिनवल्लभ) स्तोत्रवृत्ति काव्य खंडप्रशस्तिकाव्य पर वृत्ति, रघुवंश टीका १६४६ लघशान्ति टीका १६५१ कथा दमयंती कथा (त्रिविक्रम) वृत्ति स्तुति-स्तोत्र अजित शान्ति (जिनवल्लभकृत) पर मितभाषिणी वृत्ति, वैराग्यशतक पर टीका, संबोध सप्ततिका (जयशेखर) वृत्ति, इन्द्रियपराजयशतक टीका, हीर प्रश्न (प्रश्नोत्तर समुच्चय) संकलित किया। खंडन-मंडन उत्सूत्रोद्घाटन कुलक (धर्म सागर का खंडन) आगमिक जम्बूदीव पन्नत्ति पर प्रमेयरत्न मजुषा खीमसौभाग्याभ्युदय ग्रन्थ १६५० स्तुति अजित शान्ति स्तव, विवरण सूक्तिद्वात्रिशिका पर पद्मराज प्रकीर्णक जयसोम समय सुंदर गुण विजय शान्तिचन्द्र गणि '(सकलचंद्र के शिष्य) जीव विचार-नवतत्त्व दंडक पर वृत्ति १६९८ कथा चातुर्मासिक पर्व कथा, कालका चार्य कथा (गद्य-पद्य) *शेष पांच सर्ग और सम्पूर्ण टीका उनके गुरुभाई विद्याविजय के शिष्य गुण वजयजी ने की। टीका का नाम विजयदीपिका है १६८८ । काव्य For Private &Personal use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रीति विमल देवविजय रविसागर नगर्षिगणि विनय कुशल कनक कुशल ज्ञानतिलक कथा चम्पक श्रेष्ठि कथा कथा-चरित्र जनरामायण, पांडव चरित्र गद्य १६६० प्रकीर्णक सप्ततिशत स्थानक वृत्ति, धर्मरत्न मञ्जुषा (दानादि कुलक वृत्ति १६६६ मण्डल प्रकरण स्वोपज्ञ. १६५२ विचार सप्ततिका वृत्ति १६७५ कथा सौभाग्य पंचमी कथा, सुरप्रिय मुनि कथा, रोहिणेय कथानक, स्तुति-स्तोत्र जिनस्तुति १६४१, कल्याण मंदिर टीका . विशाल लोचन सूत्रबृत्ति,१६५३ साधारण जिनस्तवन पर अव चूरि, रत्नाकर पच्चीसी टीका व्याकरण शब्दप्रभेद ( महेश्वर कृत ) व्याकरण पर वृत्ति १६५४ कोश अभिधाननाममाला पर सारोद्धार वृत्ति, शिलोच्छ कोश (जिनेश्वर कृत) पर टीका व्याकरण लिंगानुशासन (हेम) दुर्गप्रबोध टीका काव्य विजयदेवमाहात्म्य काव्य सटीक स्तोत्र अरनाथ स्तुति सवृत्ति व्याकरण सारस्वत दीपिका, सेट् अनिट् कारिका विवरण, धातुपाठ तरंगिणी, शारदीय नाममाला छन्दःशास्त्र श्रुतबोध वृत्ति योग योग चिन्तामणि बुद्धि विजय हंस प्रमोद आनन्द विजय मेरु विजय शुभ विजय वैद्यक वैद्यक सारोद्धार स्तुति-स्तोत्र वृहत्शान्ति पर टीका १६५५ कल्याण मन्दिर टोका सिकर प्रकर टीका मौन एकादशी माहात्म्य १६५७ आगमिक स्थानांग दीपिका कल्पान्तर्वाच्य (प्राकृत-१६५७) स्तोत्र जिनसहस्त्र नाम १६५८ जिनस० की टीका गौतम कुलक पर वृत्ति १६६० कथा चित्रसेन-पद्मावती कथा १६६० सारंगसार वृत्ति त्रिभंगी सूत्र(हर्षकुल) वृत्ति वीरजिनस्तुति सावचूरिक आगमिक कल्पसूत्र पर वृत्ति १६७१ दार्शनिक तर्कभाषा वार्तिक १६६३ स्याद्वाद भाषा १६६७ कोश हमी नाम माला काव्य, काव्यकल्पलतावृत्तिमकरंद १६६५ प्रकीर्णक सेन प्रश्न (संकलन) १६५७ प्रश्नोत्तर रत्नाकर १६७१ शोभनस्तुति पर वृत्ति १६७१ व्याकरण सारस्वत व्याकरण टोका कथा, कादम्बरी पूर्वभाग टीका रत्नपाल कथानक विवेक विलास पर टीका शकुन वसन्तराज पर टीका स्तोत्र सूर्य सहस्रनाम ज्ञानविमल वल्लभ उपाध्याय जयविजय भानुचन्द्र उपाध्याय हर्ष काति For Private & Personale Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५२) तेजपाल संघ विजय चारित्रसिह कल्प दीपालिका कल्प पर अवचूरि आगमिक कल्पसूत्र दीपिका व्याकरण कातंत्र विभ्रम पर अवणि १६७५ विचार षट्त्रिंशिका (गजस्व कृत दंडक पर वृत्ति) १६७५ ज्योतिष जातक कर्म पद्धति जिन वृषम समवरण प्रकर भविक प्रकर काव्य हीरसौभाग्य काव्य सटीक श्रीपति देव विमल गणि (श्रीपति के शिष्य) सुमति हर्ष सिद्धि चन्द्र उपाध्याय व्याकरण धातु मञ्जरी, अनेकार्थनाममाला (भानुचन्द्र के शिष्य) पर वृत्ति कथा चरित्र कादम्बरी उत्तर भाग पर टीका वासवदत्ता पर वृत्ति भानुचन्द्र चरित्र स्तुति-स्तोत्र भक्तामर टीका, शोभन स्तुति पर टीका बुद्धप्रस्तावोक्ति रत्नाकर मानसागर शतार्थी पर वृत्ति नय विजय गणि पुद्गलभंगविवृति प्रकरण (विजय सेन सूरि के शिष्य) हर्ष नन्दन गणि मध्याह्न व्याख्यान, आदिनाथ व्याख्यान, ऋषिमण्डल स्तोत्र पर वृत्ति । रत्नचंद्र (शान्ति चन्द्र के शिष्य) चरित्र-काव्य प्रद्युम्न चरित्र महाकाव्य १६७१ नैषध काव्य पर टीका रघुवंश पर टीका स्तुति-स्तोत्र भक्तामर-कल्याण मंदिर-श्रीमत् धर्मस्तव-देवा प्रभोः स्तव-ऋषभ वीरस्तव पर वृत्ति अध्यात्म कृपारसकोश पर वृत्ति अध्यात्मकल्पद्रुम (मुनिसुंदर) पर कल्पलता टोका खंडन-मंडन कुमताहिविषभंगलि (धर्मसागर का खंडन) १६७१ : साधु सुंदर व्याकरण-कोष उक्ति रत्नाकर (प्राकृत सम संस्कृत शब्द संग्रह) १६७०-७४ धातुपाठ पर धातुरत्नाकर सटीक १६८० टीका क्रियाकल्पलता ज्योतिष जातककर्मपद्धति (श्रीपति) टीका बृहत्पर्वमाला(ताजिक सार टीका) गणककुमुद कौमुदी (भास्कर कृत कर्ण कुतूहल पर टीका) आगमिक कल्पसुत्र पर कल्प दीपिका १६७७ दशवकालिक वार्तिक १६७८ व्याकरण सारस्वत व्याकरण पर टीका जय विजय रामचन्द्र सूरि सहजकीर्ति गणि समद्वीपि शब्दार्णव ब्याकरणऋजुप्राज्ञ व्याकरण प्रक्रिया एकादिशतपर्यन्त शब्दसायनिक नाम कोश (छकांड) कल्पमञ्जरी स्तुति महावीर स्तुति वृत्ति अनेक शास्त्रसार समुच्चय पार्श्वनाथ स्तुति व्याकरण पदव्यवस्था (विमल कीति)टीका १६८१ साधु सुन्दर उदयकीति For Private & Personale Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५४ ) राज, सुन्दर माणिक्यचन्द्र दानचन्द्र स्तोत्र कल्याण मंदिर दीपिका कथा ज्ञान पञ्चमी कथा (वरदत्त गुणमंजरी कथा) १७०० आगमिक जीवाजीवाभिगम सूत्र पर टीक पद्मसागर देवसागर गणि गुण विजय कार नयकुञ्जर घन विजय वादिचन्द्र सुरि १६४८ के करीब (प्रभाचन्द्र के शिष्य आगमिक प्रवचनसार सुभाषित आभाणशतक १६१६ काव्य पवनदूत चरित्र विजय गणि भाव विजय चतुर्दशी-पाक्षिक विचार १६८४ पार्श्व स्तुति (जिसमें प्रत्येक चौथा चरण भक्तामरके श्लोकों का प्रथम चरण है।) अभिधान चिन्तामणि पर व्युत्पत्ति रत्नाकर टीका १६८६ विजय प्रशस्तिका शेष भाग पूरा किया और पूरे काव्य पर विजय दीपिका टोका लिखी १६८८ आगमिक कल्पकल्पलता टाका आगमिक उत्तराध्ययन टीका १६८१ दार्शनिक पत्रिंशत् जल्प विचार चरित्र चम्पक माला चरित्र काव्य मेघदूत पर टीका १६१३ , रघुवंश पर टीका, कुमार संभव पर टीका व्याकरण वाक्य प्रकाश सावरि कथारूप में १६१४ आगमिक कल्पसूत्र सुबोधिका १६१६ लोक प्रकाश बार्शनिक नयकणिका, षट्त्रिंशत्जल्पसंक्षेप व्याकरण हेमलघु प्रक्रिया सटीक १७१० काव्य इन्दूत तुति स्तोत्र शान्ति सुधारस, अहन्नमस्कार स्तोत्र जिनसहस्र नाम आयमिक षडावश्यक सूत्र पर व्याख्या १६१७ विक्रम (सांगण के पुत्र) भट्टारक शुभ चन्द्र महिमसिंह गणि श्रीविजय गणि जिन विजय विनय विजय उपाध्याय चरित्रा यशोधर चरित्र १६५७ पुराण पार्श्वपुराण १६४० प्रकीर्णक ज्ञानसूर्योद चरित्र नेमिदूत-नेम चरित्र अंगपन्नति (प्राकृत) पार्शनिक तत्वनिर्णय,स्वरूप संबोधन टीका, षड्वाद ज्याकरण चिन्तामणि व्याकरण (प्राकृत) नागमिक स्वामि कार्तिकेयानुप्रेक्षाटीका १६१३ नित्य महोद्योत (आशाघर) टीका पार्श्वनाथ काव्य (वादिराज) पंजिका टीका कथा-चरिश चन्द्रप्रभ-पद्मनाभ-जीवंधर चरित्र चंदना कथा, नंदीश्वर कथा, करकंडु चरित्र १६११ पुराण पांडव पुराण १६०८ स्तुति-स्तोत्र त्रिंशत् चतुर्विशति पूजापाठ, सिद्धचक्रवतपूजा, सरस्वती पूजा, चिन्तामणि यंत्र पूजा, कर्मदहन विधान द्वितरुचि Jain Education Internation For Private & Personale Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणधरवलयपूजा, पल्यवतोबापन्न १२३४ व्रतोद्यापन, अध्यात्मपद टीका सर्वतोभद्र टीका, अनेक स्तोत्र खंडन-मंडन संशयवदनविदारण (श्वेतांबर खंडन) अपशब्द खंडन अठारहवीं शताब्दी आनन्दघनजी यशोविजयजी आनन्द धन बहत्तरी (मुजराती) अध्यात्म दीक्षा १६८८, स्व. १७४३ नयविजय के शिष्य विनय विजय उ. के गुरुबंधु तत्त्वालोकविवरण, त्रिसूश्याछोक, द्रव्यालोकविवरण, न्याय बिन्दु, प्रमाण रहस्य, मंगलवाद वादमाला, वाद महार्णव, विधिवाद, वेदान्तनिर्णय, सिद्धान्ततकं परिष्कार, सिद्धान्तमञ्जरी टीका, स्याद्वादमञ्जूषा-स्याद्वाद मंजरीटीका, द्रव्यपर्याययुक्ति । आगमिक आराधकविराधकचतुर्भगी, गुरु तत्त्वविनिश्चय, धर्मसंग्रहटिप्पन, निशाभक्तप्रकरण, प्रतिमाशतक, मार्गपरिशुद्धि यतिलक्षण समुच्चय, सामाचारी प्रकरण, कूपदष्टान्तविशदीकरण, तत्त्वार्थ टीका, अस्पृशद्गतिवाद योगविशिका टीका, योग दीपिका (षोडशक वृत्ति), योग दर्शन विवरण कर्मशास्त्र कर्मप्रकृति टीका, कर्मप्रकृति' लघुवृत्ति। स्तोत्र ऐन्द्रस्तुति चतुर्विशतिका, स्तोत्रा वलि, शंखेश्वर पाश्वनाप स्तोत्र समीकापार्श्वनाथ स्तोत्र, आदिजिन स्तवन, विजयप्रभसूरि स्वाध्याय, गोडीपावनाप स्तोत्रादि, व्याकरण तिङन्तान्वयोक्ति अलंकार अलंकारचूडा मणि टीका काव्य प्रकाश टीका छन्द छन्दश्चूडामणि प्रकीर्णक शठप्रकरण योग अध्यात्ममतपरीक्षा, अध्यात्म सार, अध्यात्मोपनिषद् आध्यात्मिक मत दलन (स्वोपशटीका) उपदेशरहस्य (सटीक),शानसार, परमात्मपंचविंशतिका, परम ज्योतिपंचविंशतिका, वैराग्य कल्पलता,अध्यात्मोपदेश ज्ञानसारावणि . अष्टसहस्री विवरण अनेकान्त व्यवस्था ज्ञानबिन्द, जननकभाषा, देव धर्मपरीक्षा, द्वात्रिंशत् द्वात्रिशिका, धर्मपरीक्षा, नयप्रदीप, नयोपदेश, नयरहस्य, न्याय खण्डखाद्य वीरस्तव, न्यायालोक, भाषारहस्य, शास्त्रवासिमुच्चय टीका-स्याद्वाद कल्पलता उत्पाद व्ययधौम्यसिद्धिटीका ज्ञानार्णव, अनेकान्त प्रवेश, आत्मख्याति, दार्शनिक For Private & Personale Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५८) मेघविजय उपाध्याय शान्तिसागर गणि दानचन्द्र जिन विजय कल्याणसागर सूरि १६७०-१७१८ विनयसागर आगामक कल्पकामुदा १७०८ । कया मौन एकादशी कथा स्तोत्र कल्याणमन्दिर टोका व्याकरण मिश्रलिंग कोश (लिंग निर्णय) महिमोदय यशस्वत् सागर व्याकरण भोज व्याकरण (काव्य में) वृद्धचिंतामणि (सारस्वत सूत्र काव्य में) ज्योतिष ज्योतिष् रत्नाकर १७२२ दार्शनिक जैन सप्तपदार्थी १७५७, प्रमाण वादार्च १७५१ वादार्थ निरूपण, स्थाद्वाद मुक्ता वली व्याकरण चन्द्रप्रभा (हमकौमुदी) व्याकरण १७५७ काव्य देवानन्दाभ्युदयमहाकाव्य१७३५ माघकाव्य पूर्ति (अखीर के सब अन्तिम पदों को लेकर) मेघदूत समस्या लेख (पादपूर्ति दिग्विजय महाकाव्य शान्तिनाथ चरित्र महाकाव्य (नैषध के पदों को लेकर) सप्तसंधान महाकाव्य सटीक १७६० कथा-चरिश विजयदेव माहात्म्य लघुत्रिषष्ठिचरित्र (५००० श्लोक पंचमी कथा पंचास्यान-पंचतंत्र स्तुति स्तोश पंचतीर्थ स्तुति (एक के पांच अर्य- पाँच तीयों के वर्णन) अर्हद्गीता (३६ अध्याय) भक्तामर पर टीका ज्योतिष उदय दीपिका वर्ष प्रबोध-मेघ महोदय रमल शास्त्र, हस्त संजीवन सटीक मंत्र-तंत्र वीसायंत्र विधि अध्यात्म मातृका प्रसाद, ब्रह्मबोध युक्तिप्रबोध (मूलप्राकृत) सटीक खंडन मंडन धर्ममंजुषा (स्थानकवासी खंडन) चरिश नल चरित्र आग्रमिक स्थानांग वृत्ति (अभयदेव) पर विवरण प्रकीर्णक विचार षड्विशिका पर अवचुरि १७२१ भावसप्ततिका १७४०, स्तवन हरित रुचि मान विजय उदय चन्द्र, मतिवर्धन ज्योतिष ग्रहलाघव (गणेशकृत) वार्तिक १७६० यशोराजिराजपद्धति (जन्म कुंडली विषयक बंद्यक वैद्यवल्लभ १७२६ धर्मसंग्रह पाण्डित्य दर्पण गौतम पच्छा पर सुगम वृत्ति १७३८ आगमिक उत्तराभ्ययन वृत्ति कल्पसूत्र पर कल्पद्रुम कलिका उपदेश धर्मोपदेश पर वृत्ति हितरुचि लक्ष्मी वल्लभ हर्ष नन्दन सुमति कल्लोल For Private & Personale Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नय विमल मान विजय लब्धिचन्द्र गणि रंग विजय दान विजय हंसरन भावप्रभसूरि विमल सूरि तेजसिंह भोजसागर रूपचन्द्र A मयाचन्द्र फतेंन्द्रसागर जिनलाभ सूरि विजय लक्ष्मी सुरि पद्मविजय गणि ( ६० ). आगमिक चरित्र ज्योतिष् इतिहास आगमिक कल्पसूत्र - दानदीपिका १७५० व्याकरण उपवेश स्तोत्र दार्शनिक स्तोत्र उपदेश आगमिक प्रश्न व्याकरण टीका श्रीपाल चरित्र धर्म परीक्षा जन्मपत्री पद्धति १७५१ गुर्जर देश भूपावलि २७६५ उपदेश " चरित्र शब्दभूषण पद्यबद्ध १७७० उपदेश माला पर वृत्ति १७८१ उन्नीसवीं शताब्दी शत्रुंजय माहात्म्योल्लेख (धनेश्वरकृत शत्रुंजय माहात्म्य से) नयोपदेश (यशोवि . ) टीका भक्तामर समस्या पूर्ति सटीक १७११ प्रतिमा शतक काव्य प्रकीर्णक दार्शनिक ज्ञान क्रियावाद १८०४ टीका उपदेश शतक १७९३ सिद्धांत शतक १७९८, दृष्टान्त शतंक १७९८ द्रव्यानुयोग तर्कणा सटीक गौतमीय महाकाव्य १८०७ गुणमाला प्रकरण लीराज १८२२ आत्म प्रबोध उपदेश प्रासाद जयानन्द चरित्र (गद्य) क्षमाकल्याण उपाध्याय जिनकीर्ति उमेदचन्द्र जिमम सूरि शिष्य कस्तूरचन्द्र ऋद्धिसागर विजय राजेन्द्र सूरि न्याय विजय ( न्याय तीर्थ, म्याय विशारद ) ( ६१ ) आगमिक जीव विचार वृत्ति १८५०, परम समय साथ विचार संग्रह तर्कसंग्रह फक्किका १८५४ गौतमीय काव्यमाला कथा चरित्र चातुर्मासिक होलिका पर्व कथा १८३५ यशोधर चरित्र, अक्षय तृतीया कथा श्रीपाल दार्शनिक काव्य प्रकीर्णक मेरुत्रयोदशी व्याख्या, चरित्र व्याख्या समरादित्य चरित्र खरतर पट्टावलि १८३० सूक्त मुक्तावलि, प्रश्नोत्तर सार्धं शतक दार्शनिक पर्युषणाष्ठाह्निका, विचारशत बीजक सूक्त रत्नावलि वृत्ति श्रीपाल चरित्र संस्कृत से कृत १८६८ प्रश्नोत्तर शतक आगमिक सिद्धान्त रत्नावलि आगमिक ज्ञातासूत्र वृत्ति १८९९ बीसवीं शताब्दी दार्शनिक आगमिक निर्णय प्रभाकर अभिधान राजेन्द्र कोश १९४६०. ८६ प्रमाण परिभाषा सटीक १९६९ (न्यायालंकार वृत्ति) Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६२) अध्यात्म प्रकीर्णक न्यायतीर्थ प्रकरण न्यायकुसुमाञ्जलि (काव्य में) १९७० अनेकान्त विभूतिः अध्यात्मतत्त्वालोक १९७५ अझत्ततत्तालोओ १९९४ महास्म विभूतिः, जीवनामृतम्, जीवनहितम्, जीवनभूमि:, वीरविभूतिः, दीनक्रन्दनम्, जीवनपाठोपनिषद्, भक्तगीतम् विजय धर्मसूरि श्लोकाञ्जलिः गांधी प्रशस्ति: महेन्द्र स्वर्गारोहः, दीक्षाद्वात्रिशिका, विद्याधिजीवनरश्मिः, आत्महितोपदेश आश्वासनम् । 'SANMATI' PUBLICATIONS Lord Mahavira __by Dr. Bool Chand, M.A., Ph.D. Rs. 4/8/ गुजरात का जैन धर्म-मुनि श्री जिनविजय जी बारह आने 3. विश्व-समस्या और व्रत-विचार-डॉ.बेनीप्रसाद चार आने 4. Constitution . 4Ans. 5. अहिंसा की साधना -श्री काका कालेलकर चार आने 6, परिचयपत्र और वार्षिक कार्यविवरण चार आने 7. Jainism in Kalingadesa-Dr. Bool Chand 4Ans. 8. भगवान् महावीर-श्रीदलसुखभाई मालवणिया चार आने 9. Mantra Shastra and Jainism-Dr. A. S. Altekar 4 Ans. 10. जैन-संस्कृति का हृदय-पं० श्री सुखलालजी संघवी चार आने 11. भ० महावीरका जीवन-40 श्री सुखलालजी संघवी " " 12. जैन तत्वज्ञान, जैनधर्म और नीतिवाद ले०-५० श्री सुखलालजी तथा डॉ० राजबलि पाण्डेय 13. आगमयुग का अनेकान्तवाद-श्री दलसुखभाई मालवणिया आठ आने 14-15. निर्ग्रन्थ-सम्प्रदाय-श्री सुखलालजी संघबी एक रुपया 16. वस्तुपाल का विद्यामण्डल-प्रो० भोगीलाल सांडेसरा ' आठ आने 17. जैन आगम-श्री दलसुखभाई मालवणिया दस आने 18. कायप्रवृत्ति और कार्यदिशा आठ आने 19. गांधीजी और धर्म ले०पं० श्री सुखलालजी और दलसुख मालवणिया दस आने 20. अनेकान्तवाद-पं० श्री सुखलाल जी संघवी बारह आने 21. जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन पं० दलसुखभाई मालवणिया दस आने 22. राजर्षि कुमारपाल-मुनि श्री जिनविजयजी आठ आने 23. जैनधर्म का प्राण-श्री सुखलाल जी संघवी छ: आने 24. हिन्दू, जैन और हरिजन मंदिर प्रवेश ले० श्री पृथ्वीराज जैन M.A. सात आने 25. Pacifism & Jainism-Pt Sukhlalji SAns. 26. छठे वर्ष का कार्य-विवरण दो आना 27. जीवन में स्याद्वाद-श्री चन्द्रशंकर शुक्ल बारह आना The Secretary, JAIN CULTURAL RESEARCH SOCIETY BENARES HINDU UNIVERSITY. For Private &Personal use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SENTEN ANMASHMA 400000 600 000000 'SANMATI PUBLICATIONS M OHEORMER संस्कृति संशोधन मण्डल Gooooo Q0000) 0000 1. World Problems and Jain Ethics by Dr. Beni Prasad 6A 2. Lord Mahavira ____by Dr. Bool Chand, M.A., PhD. Rs. 4/8/ 3. विश्व-समस्या और व्रतविचार डॉ. बेनीप्रसाद चार माने 4. Constitution 4Ans. 5. अहिंसा की साधना -श्री काका कालेलकर चार भाने 6. परिचयपत्र और वार्षिक कार्यविचरण चार आने 7. Jainism in Kalingadesa Dr. Bool Chand 4 Ans. 8. भगवान् महावीर-श्री दलसुखभाई मालवणिया चार आने 9. Mantra Shastra and Jainism-Dr. A. S. Altekar 4 Ans. 10. जैन-संस्कृति का हृदय-पं. श्री सुखलालजी संघवी चार आने 11. भ० महावीरका जीवन-4. श्री सुखलालजी संघवी 12. जैन तत्त्वज्ञान, जैनधर्म और नीतिवाद ले०-पं. श्री सुखलालजी तथा डॉ. राजवलि पाण्डेय 13. आगमयुग का अनेकान्तवाद-श्री दलसुखभाई मालवणिया माठ माने 14-15. निर्ग्रन्थ-सम्प्रदाय-श्री सुखलालजी संघवी एक रूपया 16. पस्तुपाल का विधामण्डल-प्रो. भोगीलाल सांडसरा भाठ माने 17. जैन आगम-श्री दलसुखभाई मालवणिया मूल्य दस भाने 18. कार्यप्रवृति और कार्यदिशा आठ भाने 19. गांधीजी और धर्म . पं. श्री सुखलालजी भोर दलसुख मालवणिया 20. अनेकान्तवाद-पं० श्री सुखलालजी संघवी 21. जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन पं. दलमुखमाई मालवणिया 22. राजर्षि कुमारपाल-मुनि श्री जिनविजयची 23. जैनधर्म का प्राण- श्री सुखलालजी संघवी जैन संस्कृति संशोधन मंडल बनारस हिन्दू युनिवर्सीटीः बनारस हिचन्द वेद शाधन Jain Educatalotavani M anohashaa. incom.. Res m arak Private &Fers गम्मि PlwMFREE