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________________ नय विमल मान विजय लब्धिचन्द्र गणि रंग विजय दान विजय हंसरन भावप्रभसूरि विमल सूरि तेजसिंह भोजसागर रूपचन्द्र A मयाचन्द्र फतेंन्द्रसागर जिनलाभ सूरि विजय लक्ष्मी सुरि पद्मविजय गणि Jain Education International ( ६० ). आगमिक चरित्र ज्योतिष् इतिहास आगमिक कल्पसूत्र - दानदीपिका १७५० व्याकरण उपवेश स्तोत्र दार्शनिक स्तोत्र उपदेश आगमिक प्रश्न व्याकरण टीका श्रीपाल चरित्र धर्म परीक्षा जन्मपत्री पद्धति १७५१ गुर्जर देश भूपावलि २७६५ उपदेश " चरित्र शब्दभूषण पद्यबद्ध १७७० उपदेश माला पर वृत्ति १७८१ उन्नीसवीं शताब्दी शत्रुंजय माहात्म्योल्लेख (धनेश्वरकृत शत्रुंजय माहात्म्य से) नयोपदेश (यशोवि . ) टीका भक्तामर समस्या पूर्ति सटीक १७११ प्रतिमा शतक काव्य प्रकीर्णक दार्शनिक ज्ञान क्रियावाद १८०४ टीका उपदेश शतक १७९३ सिद्धांत शतक १७९८, दृष्टान्त शतंक १७९८ द्रव्यानुयोग तर्कणा सटीक गौतमीय महाकाव्य १८०७ गुणमाला प्रकरण लीराज १८२२ आत्म प्रबोध उपदेश प्रासाद जयानन्द चरित्र (गद्य) क्षमाकल्याण उपाध्याय जिनकीर्ति उमेदचन्द्र जिमम सूरि शिष्य कस्तूरचन्द्र ऋद्धिसागर विजय राजेन्द्र सूरि न्याय विजय ( न्याय तीर्थ, म्याय विशारद ) For Private & Personal Use Only ( ६१ ) आगमिक जीव विचार वृत्ति १८५०, परम समय साथ विचार संग्रह तर्कसंग्रह फक्किका १८५४ गौतमीय काव्यमाला कथा चरित्र चातुर्मासिक होलिका पर्व कथा १८३५ यशोधर चरित्र, अक्षय तृतीया कथा श्रीपाल दार्शनिक काव्य प्रकीर्णक मेरुत्रयोदशी व्याख्या, चरित्र व्याख्या समरादित्य चरित्र खरतर पट्टावलि १८३० सूक्त मुक्तावलि, प्रश्नोत्तर सार्धं शतक दार्शनिक पर्युषणाष्ठाह्निका, विचारशत बीजक सूक्त रत्नावलि वृत्ति श्रीपाल चरित्र संस्कृत से कृत १८६८ प्रश्नोत्तर शतक आगमिक सिद्धान्त रत्नावलि आगमिक ज्ञातासूत्र वृत्ति १८९९ बीसवीं शताब्दी दार्शनिक आगमिक निर्णय प्रभाकर अभिधान राजेन्द्र कोश १९४६०. ८६ प्रमाण परिभाषा सटीक १९६९ (न्यायालंकार वृत्ति) www.jainelibrary.org
SR No.003235
Book TitleJain Granth aur Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Belani
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
Publication Year1950
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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