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________________ प्रबंध चन्द्रप्रभसूरि (पौर्णमिक गच्छके वाचिक प्रमेयरन कोश स्थापक ११४९) आगमिक दर्शनशुद्धि, जिनवल्लभसूरि (नवांगी अभय- आगमिक सूक्ष्मार्थसिद्धान्त विचार (सार्धदेव के पास पुनर्दीक्षा लेकर शतक) आगमिकवस्तुविचार उनके पट्टधर, पहले जिनेश्वर के सार, षटशिति पिण्डविशुद्धि शिष्य थे, स्वर्ग ११६७) प्रकरण, प्रतिक्रमण सामाचारी, अष्टसप्ततिका पौषधविधि प्रकरण, संघपट्टक धर्मशिक्षा, द्वादशकुलक, प्रश्न त्तरशतक, काव्य श्रृंगारशतक,स्वप्नाष्टक विचार चित्रकाव्य, स्त्रोत्र अजितशांतिस्तंव, भावारिवार स्तोत्र, जिनकल्याणक स्तोत्र बीरस्तव, आदि करीब सौ स्तोत्र, प्रशस्तियां शान्ति सूरि (पूर्णतल्लगच्छीय) दार्शनिक यातार बार्तिक और वा काव्य-टीका तिलक मंजरी टिप्पण, वृन्दावर घटसपर-मेषाम्युदय-शिवभद्र चन्द्रदूत काव्यों की वृत्ति जिनदत्तसूरि (दादा) चरित्र गणघरसार्धशतक, गणधर जिनवल्भल के शिष्य सप्तति आगमिक कालस्वरूप कुलक,विशिका चर्च संदेहदोलावलि, सुगुरु पारतंत्र स्तोत्र स्वाधिष्ठायिस्तोत्र, विघ्नति नाशिस्तोत्र, अवस्था कुल चैत्यवन्दन कुलक, उपदेश उपदेश रसायन, रामदेवगणि (जिनवल्लभ के कर्मशान षडशिति टिप्पनक (११७३ शिष्य ) सत्तरी टिप्पनक (११७३) जिनभनसुरि (जिनवल्लभ के कोश अपवर्गनाममाला कोश (पंचर शिष्य) परिहार नाममाला) पद्मानंद (गृहस्थ) वराग्यशतक कवि श्रीपाल वैरोचन पराजय-महाप्रबंध, स्तोत्र __ सहस्त्रलिंग सरोवर प्रशस्ति, दुर्लभ सरोवर प्रशस्ति, रुद्रमाल प्रशस्ति, आनंदपुरवप्रप्रशस्ति (१२०९) हेमचंद्रसूरि (बृहद्गच्छीय) काव्य नाभेय-नेमि द्विसंधान काव्य. देवभद्रसूरि (नवांगीटीकाकार उपदेश भाराहणासस्थ, संवेगरंगशाला . अभयदेवके प्रशिष्य) कथा-चरित्र वीरचरियं, कहारयणकोसो (११५८), पाश्र्वनाथ चरित्र (११६५) वीरगणि (समुद्रयोषसूरि) आगमिक पिडनियुक्ति वृत्ति (११६९) वर्षमानसूरि (नवांगी टीकाकार चरित्र आदिनाथ चरित्र (१९६०) अभयदेव के शिष्य) प्रकरण धर्मकरंड सटीक (११७२) मुनिचन्द्रसूरि (वादीदेवसूरि के आगमिक सूक्ष्मार्थसाधशतक-णि गुरु वडगच्छीय) (१९६८) सूक्ष्मार्थविचारसार चूमि(११७०)आवश्यक सप्तति कर्मशास्त्र कर्म प्रकृति का टिप्पन, दार्शनिक अनेकान्त जयपताका वृत्ति का टिप्पन (११७६) काव्य-टीका नैषध काव्य पर टीका टीका चिरंतनाचार्य रचित (हरिभद्र सूरि रचित ?) देवेंद्रनरेंद्र प्रकरण पर वृत्ति-(११५८) उपदेशपद (हरिभद्र)का टिप्पन, (११७४) ललितविस्तरा (हरिभद्र) की पंजिका, धर्म बिंदु की वृत्ति, प्रकरण अंगुलसप्तति, वनस्पतिसप्तति का, गाथाकोश, अनुशासनांकुश
SR No.003235
Book TitleJain Granth aur Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Belani
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
Publication Year1950
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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