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________________ जयशेखर सरि आगमिक कल्पसूत्र सुखावबोध विवरण दार्शनिक न्यायमंजरी काव्य धम्मिल चरित काव्य(१४६२), जैनकुमारसम्भव, नल-दमयंती चम्पू प्रकीर्णक उपदेश चिन्तामणि सावरि प्रबोध चिन्तामणि १४६२ शत्रुजय बत्रीशी, गिरनार बत्रि महावीर बत्रिशी, आत्मबोधकुलक धर्मसर्वस्व, उपदेशमाला अवचूरि, संबोध सप्ततिका, महेन्द्रसूरि (स्व. १४४४) स्तोत्र तीर्थमाला विचार सप्ततिका (1) बेक्तुंग (महेन्द्र सूरि के शिष्य) आगमिक सप्ततिभाष्य पर टीका १४४९ भावकम प्रक्रिया, शतकभाष्य, दार्शनिक षड्दर्शन निर्णय व्याकरण कातंत्र व्याकरण वृत्ति १४ धातु गरायण काव्य मेघदूत सटीक स्तोत्र नमोत्युणं टीका जयानन्द चरित्र स्थूलभद्र चरित्र ज्ञानसागर (देवसदर के शिष्य) आगमिक आवश्यक अवचूणि १४४०, उत्तराध्ययन अवणि १४१ ओपनियुक्ति अवचूर्णि १४४१ स्तुति-स्तोत्र मुनिसुव्रतस्तव, नवखंडपार्श्वस्तक आदि कुलमंडन (देवसुन्दर के शिष्य) आगमिक प्रज्ञापना सूत्र अवचूरि १४३, प्रतिक्रमण सूत्र अवचरि, कल्पसूत्र अवचूरि पाक्षिकसत्तरि, अंगुलसत्तरि सिद्धान्तालापकोद्धार बरित्र-कथा जयानंद चरित्र,मित्रचतुष्क कथा ___काव्य स्थिति स्तोत्र अवचूरि, स्तोत्ररत्न कोश शांतिकर स्तोत्र, सीमंधर स्तुति उपवेश विचारामृतसार, उपदेश रत्नाकर सवृत्ति साधुरत्न (देवसुन्दर के शिष्य) आगमिक यति जीत कल्प वृत्ति १४५६ नवतत्त्व अवचूरि गुणरन * .) भागमिक कल्पान्तर्वाच्य १४५७ सप्ततिका अवचूणि १४५९ चार पयन्ना पर अवचूरि क्षेत्र समास(सोमतिलक)अवचूरि नवतत्त्व अवचूरि ओपनियुक्ति का उद्धार कर्मशास्त्र देवेन्द्रीय कर्म ग्रन्थों पर अवचूरि बार्शनिक षड्दर्शन (हरिभद्र) पर तर्क रहस्य दीपिका टीका १४६६ व्याकरण क्रियारत्न समुच्चय १४६६ मुनिसुन्दरसूरि (सोमसुन्दर के न्यायावि विद्यगोष्ठि (न्याय-व्याकरणशिष्य) काम्य विषयक) चरित्र गुर्वावलि अध्यात्मकल्पद्रुम? त्रिदशतरंगिणी (विज्ञप्ति पत्र) देवानन्द (देवमूर्ति) आगमिक क्षेत्र समास सटीक नयचन्द्रसूरि काम्य 'वीरीक' हम्मीर महाकाव्य नाटक रम्भा मंजरी नाटिका * देवसुन्दर के पांचवें शिष्य सोमसुन्दर सरि Jain Education International For Private & Personal use only
SR No.003235
Book TitleJain Granth aur Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Belani
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
Publication Year1950
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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