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निवेदन
श्री फतेहचन्द बेलानी की प्रस्तुत पुस्तिका उन्होंने १९४६ ई० में प्रकाशित करने को दी थी। वह अब प्रकाशित हो रही है अतएव इसमें हाल में जो नई सामग्री, जैसे आमेर ग्रन्थागार की सूची और प्रशस्तिसंग्रह मावि, उपलब्ध हुई है, उसका उपयोग नहीं हुआ है। इतना होते हुए भी जैन ग्रन्थ और प्रन्यकारों का यह संकलन हिन्दीभाषी विद्वानों को जैन साहित्य का शताब्दी के अनुसार परिचय देने में एक मात्र साधन है इसे स्वीकार करना होगा। इस छोटी सी पुस्तिका को अपनी संशोधक सामग्री के द्वारा परिपूर्ण बनावें यही प्रार्थना विद्वानों से है।
इसी छोटी सी पुस्तिका से यह भली भांति ज्ञात हो सकता है कि भारतीय बाडमय की प्रत्येक शाखा में प्रत्येक शताब्दी में जैनाचार्यों ने जो योगदान किया है वह नगण्य नहीं है। इस साहित्य को भी भारतीय साहित्य के इतिहास में उचित स्थान मिले और उसकी साम्प्रदायिक साहित्य के नाम पर उपेक्षा न की जाय तब ही भारतीय साहित्य अपने पूर्ण रूप में ज्ञात हो सकेगा अन्यथा वह विकल ही रहेगा।
२६-१०-५०
निवेदक दलसुख मालवणिया
मंत्री
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