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________________ त्रिभुवन-स्वयंभू (स्वयंभू के पुत्र) व्याकरण स्वयंभू व्याकरण, स्तोत्र स्वयंभू छंद दार्शनिक अष्टशती, लघीयस्त्रय, प्रमाण संग्रह, न्यायविनिश्चय सिद्धिविनिश्चय, तत्त्वार्थ की राजवार्तिक टीका विक्रम नवमी उद्योतन सूरि (दाक्षिण्यांक सूरि) कथा कुवलय माला (प्राकृत) आचार्य जिनसेन पुराण हरिवंश पुराण कवि परमेष्ठी वागर्थ संग्रह वीरसेन आगमिक - धवला टीका जलधवलाटीका* जिनसेन (वीरसेन के शिष्य) आगमिक जय धवला के ४० हजार इलाक काव्य पाश्र्वाभ्युदय काव्य (८३५) इतिहास आदिपुराण (त्रिपष्ठि चरित्र) शाकटायन (पाल्यकीति दार्शनिक स्त्रीमुक्ति प्रकरण, केवलिभुक्ति (यापनीय) प्रकरण, व्याकरण शब्दानुशासन -अमोघवृत्ति महासेन चरित्र सुलोचना कथा * इस टीका में ६०००० श्लोक है उसमें बीस हजार इलोक वीरसेन ने लिखे, बाकी के चालीस हजार श्लोक जिनसेन ने लिखे । +इसमें २०३८० श्लोंक जिनसेन ने लिखें, शेष तशिष्य गुणभद्र ने लिखा, अर्थात् दोनों ने मिलकर आदिपुराण और उत्तरपुराण पूरा किया । + शब्दानुशासन पर टीकाएं स्वयंकृत-अमोधवृत्ति (स्वापेश) प्रभाचन्द्रकृत-शाकटायन न्यास यक्षवर्मा कृत-चिन्तामणि लघीयसी टीका अजीतसेन कृत-मणि प्रकाशिका अभयचंद्र कृत-प्रक्रिया संग्रह भावसेन विद्य कृत-शाकटायन टीका दयापाल कृत-रूप सिद्धि प्रभंजन चरित्र यशोधर चरित्र धनंजय कोश धनञ्जय नाम माला (अनेकार्थ नाममालायुक्त) (धनंजय निघण्टु नाम माला) काव्य द्विसंधान काव्य x (राघव पाण्डवीय) स्तोत्र विषापहर स्तोत्र विद्यानंद दार्शनिक आप्तपरीक्षा, प्रमाण परीक्षा, पत्र (राजमल्ल सत्य वाक्य परीक्षा, सत्यशासनपरीक्षा, के समकालीन) अष्टसहस्त्री, श्लोकवातिक (तत्त्वार्थसूत्र की टीका) विद्यानंदमहोदय (अनु०) युक्त्यनुशासन टीका, श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र विक्रम दशी शताब्दी जयसिंह सूरि उपदेश धर्मोपदेशमाला वृत्ति शीलाचार्य (तत्त्वादित्य) गमिक आचारांगटीका सूत्रकृतांगटीका जीवसमासवृत्ति शिलाका देव (विमलमति) चरित्र चउपन्नमहापुरुसचरियं (१०००० श्लोक), सर्षि (दुर्ग स्वामी के शिष्य) बार्शनिक न्यायावतार( सिद्धसेन ) टीका कथा उपमितिभवप्रपंचा कथा चंद्रके बलीचरित्र उपदेश उपदेशमाला(धर्मदास कृत). विवरण विजयसिंह सूरि कथा भुवन सुंदरी-८९११ गाथा xद्विसंधार पर टीकाएं नेमिचंद्र कृत-पदकौमुदी टीका कवि देवर कृत-राघव-पांडवीय प्रकाशिका पं बदरीनाथ कृत--संक्षिप्त टीका Jain Education International For Private &Personal use Only
SR No.003235
Book TitleJain Granth aur Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Belani
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
Publication Year1950
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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