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( २२ )
बार्शनिक न्यायावतार का टिप्पण वर्षमानसूरि (गोविन्दसूरि के व्याकरण गणरत्नमहोदधि सटीक शिष्य)
चरित्र सिद्धराज वर्णन सिंहसूरि
भूगोल लोकविभाग (संस्कृत) आचार्य अमृतचंद्र
आगमिक तत्त्वार्थमार, पंचास्तिकाय टीका
उपदेश पुरुषार्थसिद्धयुपाय बादीभसिंह (पुषसेन के शिष्य) गद्यचूडामणि, क्षत्रचूडामणि,
(ोडयदेव) बागभट
काव्य नेमिनिर्वाण महाकाव्य, *
अलंकार वाग्भटालंकार जयकीति
छंदोनुशासन देवचंद्रसूरि (वष्टिदेव)
सुलसाख्यान, ( अपभ्रंश)
स्तोत्र मुनिचंद्रस्तव (अपभ्रंश) जिनदत्तसूरि
चर्चरी, उपदेशरशायन रास,
कालस्वरूप कुलक(तीनों अपभंश) घाहिल
चरित्र पउमसिरि चरिय, (अप.)
तेरहवीं शताब्दी मलयगिरि
व्याकरण मलय गिरि व्याकरण (मुष्टि
व्याकरण) ६००० श्लोक * इसपर भट्टारक ज्ञानभूषण कृत पंजिका है।
वागभटालंकार पर टीकाएँ। १ जिनवर्धमान सूरिकृत २ सिंहदेवगणि कृत ३ क्षेमहंसगणि कृतं ४ राजहंस उपाध्यायकृत ५ वादिराज कृत-कविचन्द्रिका टीका, ६ गणेश वैष्णव कृत,
( २३ ) आगमिक आवश्यक बृहत्वृत्ति, ओध
नियुक्ति वृत्ति, चंद्रप्रज्ञप्ति वृत्ति, जीवाभिगम बुत्ति,ज्योतिष्क रंडक टीका, नंदी सूत्र टीका, पिंड नियुक्ति वृत्ति, प्रज्ञापना वृत्ति बृहत्कल्पपीठिकावृत्ति, भगवती द्वितीय शतक वृत्ति, राजप्रश्नीय वृत्ति, विशेषावश्यक वृत्ति (?) व्यवहार सूत्र वृत्ति, क्षेत्र समास (जिनभद्र) वृत्ति, कर्मप्रकृति टीका, धर्मसार टीका, पंचसंग्रह (चंद्रषिमहत्तर)टीका, षड़शिति वृत्ति, सप्ततिका ( कर्मग्रन्थ)
टीका ।
दार्शनिक धर्मसंग्रहणी टीका, लक्ष्मण गणि
चरित्र सुपासनाह चरिय(१०००० श्लो. मलधारी हेमचंद्र के शिष्य जिनभद्र
औपदेशिक उपदेशमाला १२०४ चन्द्रसेन (चांद्रकुलीय प्रद्युम्न दार्शनिक उत्पादादि सिद्धि सटीक
सूरि के शिष्य) नेमिचंद्र
अनन्तनाथ चरित्र (१२१३) कनकचंद्र
पृथ्वीचंद्र टिप्पण (१२२६)
शीलभावना वृत्ति (१२१४) श्रीचंद्रसूरि (चन्द्र गच्छोय
सनतकुमार चरित्र (८००० देवेन्द्र सूरि के शिष्य)
श्लो. १२१४) श्री चंद्र सूरि (मलधारी हेमचंद्र आगमिक आवश्यक प्रदेश व्याख्या पर के शिष्य)
टिप्पन १२२२ मुनिरलसूरि (पौर्णमिक चरित्र अममस्वामि चरित्र (१२२४) गच्छीय समुद्रघोष सूरि के
अंबड चरित्र, मुनिसुव्रत चरित्र शिष्य)
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