Book Title: Jain Granth aur Granthkar
Author(s): Fatehchand Belani
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras

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Page 24
________________ धीरसुन्दरगणि सोमसुन्दरसूरि उदय धर्म सर्व सुंदर सूरि मेषराज साधु सोम मंडन मंत्री ऋषि वर्धन धर्मचन्द्र गणि हमेहंस गणि धनराज (धनद) ज्ञानसागर रत्नमंडन गणि (४२) आगमिक आवश्यक नियुक्ति पर अवचूरि आगमिक चउसरण पयन्ना-संस्कत टीका आनुर प्रत्याख्यान अवचूरि सप्तति पर अवचुरि स्तुति-स्तोत्र अष्टादश स्तव सावचुरि व्याकरण सारस्वत मंडन काव्य मंडन, कविकल्पद्रुम चम्पू चम्पू मंडन कथा कादम्बरी मंडन, चंद्र विजय अलंकार अलंकार मंडन शृंगार मंडन संगीत संगीत मंडन उपसर्ग मंडन शृंगार धनद १४१० नीति धनद , वैराग्य घनद , घनद त्रिशतिः .. नाटक ज्योतिः प्रभाकल्याणक नाटक सोलहवीं शताब्दी प्रकीर्णक षष्ठि शतक पर टीका आगमिक उत्तराध्ययन लघुवृत्ति सवेश उपदेश सप्ततिका कथा कथा महोदधि स्तुति सिद्धान्त स्तव (जिनप्रभ) टीका आगमिक सम्यक्त्व कौमुदी १५०४ प्रकीर्णक विद्यासागर सिदुर प्रकर टीका १५०५ काव्य रघुवंश की टीका-शिशुहित षिणी ( ४३ ) वाक्य प्रकाश १५०७ चरित्र हंसराज-वत्सराज चरित्र स्तोत्र वीतराग स्तोत्र चरित्र महावीर चरित्र (जिनवल्लभ) वृत्ति पुष्पमाला वृत्ति नन्दीश्वर स्तवन वृति जिनेन्द्रातिशय पंचाशिका सिंदुर प्रकर पर टीका ज्योतिष आरम्भ सिद्धि पर टीका व्याकरण न्याय मंजुषा बृहद्वृति १५१६ चरित्र विमलनाथ चरित्र । उपदेश उपदेश तरंगिणी चरित्र प्रबंधराज-(भोजप्रबंध) १५१७ चरित्र शालीवाहन चरित्र १५४० कल्प शāजय कल्प १५१८ काव्य सोम सौभाग्य काव्य आगमिक षडावश्यक वृति १५३० कथा-चरित्र चित्रसेन पद्मावती कथा भोज प्रबन्ध १५३० दार्शनिक जल्पमंजरी चरित्र पृथ्वीचन्द्र चरित्र १५३५ चरित्र शान्तिनाथ चरित्र व्याकरण स्यादिशब्द समुच्चय की टीका स्तुति चतुर्विशति जन स्तुति काव्य गुरुगुण रत्नाकर काव्य दार्शनिक बाद विजय प्रकरण १५४५.५१ हेतुखंडन प्रकरण शुभशील गणि ब्रह्मसूरि प्रतिष्ठा सोम राजबल्लभ गुण रत्न तपोरन । सोमधर्मगणि सोमदेवगणि सुधानन्द-गणि के शिष्य गुणाकरसूरि सत्यराज भावचन्द्र सूरि विनय भषण सिद्धान्त सागर सोम चारित्र साधु विनय चारित्र वर्धन Jain Education International For Private &Personal use Only

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