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अध्यात्म
प्रकीर्णक
न्यायतीर्थ प्रकरण न्यायकुसुमाञ्जलि (काव्य में) १९७० अनेकान्त विभूतिः अध्यात्मतत्त्वालोक १९७५ अझत्ततत्तालोओ १९९४ महास्म विभूतिः, जीवनामृतम्, जीवनहितम्, जीवनभूमि:, वीरविभूतिः, दीनक्रन्दनम्, जीवनपाठोपनिषद्, भक्तगीतम् विजय धर्मसूरि श्लोकाञ्जलिः गांधी प्रशस्ति: महेन्द्र स्वर्गारोहः, दीक्षाद्वात्रिशिका, विद्याधिजीवनरश्मिः, आत्महितोपदेश आश्वासनम् ।
'SANMATI' PUBLICATIONS
Lord Mahavira __by Dr. Bool Chand, M.A., Ph.D.
Rs. 4/8/ गुजरात का जैन धर्म-मुनि श्री जिनविजय जी बारह आने 3. विश्व-समस्या और व्रत-विचार-डॉ.बेनीप्रसाद चार आने 4. Constitution .
4Ans. 5. अहिंसा की साधना -श्री काका कालेलकर चार आने 6, परिचयपत्र और वार्षिक कार्यविवरण
चार आने 7. Jainism in Kalingadesa-Dr. Bool Chand 4Ans. 8. भगवान् महावीर-श्रीदलसुखभाई मालवणिया चार आने 9. Mantra Shastra and Jainism-Dr. A. S. Altekar 4 Ans. 10. जैन-संस्कृति का हृदय-पं० श्री सुखलालजी संघवी चार आने 11. भ० महावीरका जीवन-40 श्री सुखलालजी संघवी " " 12. जैन तत्वज्ञान, जैनधर्म और नीतिवाद
ले०-५० श्री सुखलालजी तथा डॉ० राजबलि पाण्डेय 13. आगमयुग का अनेकान्तवाद-श्री दलसुखभाई मालवणिया आठ आने 14-15. निर्ग्रन्थ-सम्प्रदाय-श्री सुखलालजी संघबी
एक रुपया 16. वस्तुपाल का विद्यामण्डल-प्रो० भोगीलाल सांडेसरा ' आठ आने 17. जैन आगम-श्री दलसुखभाई मालवणिया
दस आने 18. कायप्रवृत्ति और कार्यदिशा
आठ आने 19. गांधीजी और धर्म
ले०पं० श्री सुखलालजी और दलसुख मालवणिया दस आने 20. अनेकान्तवाद-पं० श्री सुखलाल जी संघवी बारह आने 21. जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन पं० दलसुखभाई मालवणिया
दस आने 22. राजर्षि कुमारपाल-मुनि श्री जिनविजयजी
आठ आने 23. जैनधर्म का प्राण-श्री सुखलाल जी संघवी
छ: आने 24. हिन्दू, जैन और हरिजन मंदिर प्रवेश ले० श्री पृथ्वीराज जैन M.A.
सात आने 25. Pacifism & Jainism-Pt Sukhlalji SAns. 26. छठे वर्ष का कार्य-विवरण
दो आना 27. जीवन में स्याद्वाद-श्री चन्द्रशंकर शुक्ल
बारह आना The Secretary, JAIN CULTURAL RESEARCH SOCIETY
BENARES HINDU UNIVERSITY.
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